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'मन की बात' में बोले PM : 2010 में जब राम जन्मभूमि फैसला आया, तब देश ने बदलाव महसूस किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से 'मन की बात' की. इस दौरान पीएम ने महान हस्तियों को श्रद्धांजलि देते हुए उनके कार्यों से जनता को अवगत कराया. पीएम ने कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को भी उजागर किया. पढ़ें पूरी खबर...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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Published : Oct 27, 2019, 11:14 AM IST

Updated : Oct 27, 2019, 9:41 PM IST

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से 'मन की बात' की. मोदी ने रेडियो पर आने वाले अपने मासिक कार्यक्रम के माध्यम से देश की जनता को दिवाली की शुभकामनाएं और बधाइयां भी दीं.

पढे़ं मोदी के संबोधन का बिंदुवार विवरण

  • मैं दीपावली के पावन पर्व पर आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं. दीवाली में हम पटाखे का उपयोग करते हैं. लेकिन, कभी-कभी असावधानी में आग लग जाती है. मेरा आग्रह है कि खुद को भी संभालिये और उत्सव को बड़े उमंग से मनाइये. मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं.
  • जितना ज्यादा हम अपने लोकल चीजें खरीदने का प्रयास करेंगे, गांधी-150, अपने आप में एक महान अवसर बन जाएगा और मेरा तो आग्रह रहता ही है कि हमारे बुनकरों के हाथ से बना हुआ, हमारे खादी वालों के हाथ से बना हुआ, कुछ-न-कुछ तो हमें खरीदना ही चाहिए.
  • उत्सव, हम सबके जीवन में एक नई चेतना को जगाने वाला पर्व होता है, दीपावली में तो खासतौर पर कुछ-न-कुछ नया खरीदना, बाजार से कुछ लाना हर परिवार में कम-अधिक मात्रा में होता ही होता है. मैंने एक बार कहा था कि हम कोशिश करें - लोकल चीजों को खरीदें.
  • 31 अक्टूबर, हमारे देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा की हत्या भी उस दिन हुई थी. देश को एक बहुत बड़ा सदमा लगा था. मैं आज उनको भी श्रद्धांजलि देता हूं.
  • मुझे वो दिन बराबर याद है. जब भी उस दिन को याद करता हूं मन को खुशी होती है. न्यायपालिका की गरिमा को बहुत ही गौरवपूर्ण रूप से सम्मान दिया और कहीं पर भी गर्माहट का, तनाव का माहौल नहीं बनने दिया. एकता का स्वर, देश को कितनी बड़ी ताकत देता है उसका यह उदाहरण है.
  • एक तरफ दो हफ्ते तक गर्माहट के लिए सब कुछ हुआ था, लेकिन, जब राम जन्मभूमि पर फैसला आया तब सरकार ने, राजनैतिक दलों ने, सामाजिक संगठनों ने, सिविल सोसाइटी ने, सभी सम्प्रदायों के प्रतिनिधियों ने, साधु-संतों ने बहुत ही संतुलित और संयमित बयान दिए.
  • कुछ बयानबाजों ने, बड़बोलों ने सिर्फ और सिर्फ खुद को चमकाने के इरादे से न जाने क्या-क्या बोल दिया था, हमें सब याद है. लेकिन ये सब, पांच दिन, सात दिन, दस दिन, चलता रहा, लेकिन, जैसा ही फैसला आया, एक आनंददायक, आश्चर्यजनक बदलाव देश ने महसूस किया.
  • सितम्बर 2010 में जब राम जन्मभूमि पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. जरा उन दिनों को याद कीजिये. भांति-भांति के कितने लोग मैदान में आ गये थे. कैसे-कैसे इंटरस्ट ग्रुप्स उस परिस्थितियों का अपने-अपने तरीके से फायदा उठाने के लिए खेल रहे थे.
  • आप जिस भी शहर में रहते हों, वहां रन फॉर यूनिटी के बारे में पता कर सकते हैं. इसके लिए एक पोर्टल लॉच किया गया है.
  • मुझे उम्मीद है कि आप सब 31 अक्टूबर को जरूर दौड़ेगें - भारत की एकता के लिए, खुद की फिटनेस के लिये भी.
  • 2014 से हर साल 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है. यह दिन, हमें, अपने देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा की हर कीमत पर रक्षा करने का सन्देश देता है. 31 अक्टूबर को, हर बार की तरह रन फॉर यूनिटी का आयोजन भी किया जा रहा है.
  • सरदार साहब की याद में बना स्टैचू ऑफ यूनिटी देश और दुनिया को समर्पित किया गया था. यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है. अमेरिका में स्थित स्टैचू ऑफ लिबर्टी से भी ऊंचाई में डबल है.
  • मुझे आशा है कि आप सभी लोग अपने कीमती समय से कुछ वक्त निकाल कर स्टैचू ऑफ यूनिटी देखने जाएंगे.
  • लक्षद्वीप कुछ द्वीपों का समूह है. 1947 में भारत विभाजन के तुरंत बाद हमारे पड़ोसी की नजर लक्षद्वीप पर थी और उसने अपने झंडे के साथ जहाज भेजा थी. सरदार पटेल ने बगैर समय गंवाये, तुरंत, कठोर कार्यवाही शुरू कर दी.
  • भारत के प्रथम गृहमंत्री के रूप में सरदार पटेल ने, रियासतों को, एक करने का ऐतिहासिक काम किया. एक तरफ उनकी नज़र हैदराबाद, जूनागढ़ और अन्य राज्यों पर केन्द्रित थी वहीं उनका ध्यान दूर-सुदूर दक्षिण में लक्षद्वीप पर भी था.
  • संविधान सभा में उल्लेखनीय भूमिका निभाने के लिए हमारा देश, सरदार पटेल का सदैव कृतज्ञ रहेगा. उन्होंने मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया, जिससे जाति और संप्रदाय के आधार पर होने वाले किसी भी भेदभाव की गुंजाइश न बचे.
  • 1921 में अहमदाबाद में कांग्रेस अधिवेशन में पानी की व्यवस्था, जूते या कोई सामान के लिये खादी के थैले का प्रबंध आदि के विषय में सरदार पटेल की योजना और कार्यशैली की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री ने एक घटना का उदाहरण दिया.
  • सरदार पटेल बारीक-से-बारीक चीजें को भी बहुत गहराई से देखते थे, परखते थे. सही मायने में वे मैन ऑफ डीटेल थे. सरदार साहब की कार्यशैली के विषय में जब पढ़ते हैं, सुनते हैं, तो पता चलता है कि उनकी प्लैनिंग कितनी जबरदस्त होती थी.
  • 31 अक्तूबर की तारीख आप सबको याद होगी. भारत के लौह पुरुष सरदार पटेल की जन्म जयंती का है जो देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाले महानायक थे. सरदार साहब की कार्यशैली के विषय में जब पढ़ते हैं, सुनते हैं, तो पता चलता है कि उनकी प्लैनिंग कितनी जबरदस्त होती थी.
  • गुरु नानक देव जी ने अपना संदेश, दुनिया में, दूर-दूर तक पहुंचाया. वे अपने समय में सबसे अधिक यात्रा करने वालों में से थे, गुरु नानक का प्रकाश पर्व हमें उनके विचारों को जीवन में उतारने की प्रेरणा दे.
  • अभी कुछ दिन पहले ही, करीब 85 देशों के राजदूत, दिल्ली से अमृतसर गये थे. वहां राजदूतों ने गोल्डन टेम्पल के दर्शन तो किये ही, उन्हें, सिख परम्परा और संस्कृति के बारे में भी जानने का अवसर मिला. इसके बाद कई राजदूतों ने सोशल मीडिया पर वहां की तस्वीरें साझा की.
  • 12 नवंबर को दुनिया भर में गुरुनानक देव जी का 550वां प्रकाश उत्सव मनाया जाएगा. गुरू नानक देव जी का प्रभाव भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व मे है.
  • गुरुनानकदेव जी मानते थे कि निस्वार्थ भाव से किए गए सेवा कार्य की कोई कीमत नहीं हो सकती.
  • भारत की लक्ष्मी की ऐसी अनेक कहानियां लोगों ने शेयर की हैं. आप जरुर पढ़िये, प्रेरणा लीजिये और खुद भी ऐसा ही कुछ अपने आस-पास से शेयर कीजिये और मेरा, भारत की इन सभी लक्ष्मियों को आदरपूर्वक नमन है.
  • मेरे प्यारे देशवासियो, पिछली मन की बात में हमने तय किया था कि इस दीपावली पर कुछ अलग करेंगे. मैंने कहा था – आइये, हम सभी इस दीपावली पर भारत की नारी शक्ति और उनकी उपलब्धियों को सेलिब्रेट करें, यानी भारत की लक्ष्मी का सम्मान.
  • साथियो, दुनिया में फेस्टिवल टूरिज्म का अपना ही आकर्षण है. हमारा भारत, जो कंट्री ऑफ फेस्टिवल्स है, उसमें फेस्टिवल टूरिज्म की भी अपार संभावनाएं हैं. हमारा प्रयास होना चाहिये कि हम त्योहारों का प्रसार करें.
  • आजकल दुनिया के अनेक देशों में दिवाली मनायी जाती है. इसमें सिर्फ भारतीय समुदाय शामिल होता है, ऐसा नहीं है बल्कि अब कई देशों की सरकारें, वहां के नागरिक दिवाली को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. एक प्रकार से वहां भारत खड़ा कर देते हैं.

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से 'मन की बात' की. मोदी ने रेडियो पर आने वाले अपने मासिक कार्यक्रम के माध्यम से देश की जनता को दिवाली की शुभकामनाएं और बधाइयां भी दीं.

पढे़ं मोदी के संबोधन का बिंदुवार विवरण

  • मैं दीपावली के पावन पर्व पर आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं. दीवाली में हम पटाखे का उपयोग करते हैं. लेकिन, कभी-कभी असावधानी में आग लग जाती है. मेरा आग्रह है कि खुद को भी संभालिये और उत्सव को बड़े उमंग से मनाइये. मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं.
  • जितना ज्यादा हम अपने लोकल चीजें खरीदने का प्रयास करेंगे, गांधी-150, अपने आप में एक महान अवसर बन जाएगा और मेरा तो आग्रह रहता ही है कि हमारे बुनकरों के हाथ से बना हुआ, हमारे खादी वालों के हाथ से बना हुआ, कुछ-न-कुछ तो हमें खरीदना ही चाहिए.
  • उत्सव, हम सबके जीवन में एक नई चेतना को जगाने वाला पर्व होता है, दीपावली में तो खासतौर पर कुछ-न-कुछ नया खरीदना, बाजार से कुछ लाना हर परिवार में कम-अधिक मात्रा में होता ही होता है. मैंने एक बार कहा था कि हम कोशिश करें - लोकल चीजों को खरीदें.
  • 31 अक्टूबर, हमारे देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा की हत्या भी उस दिन हुई थी. देश को एक बहुत बड़ा सदमा लगा था. मैं आज उनको भी श्रद्धांजलि देता हूं.
  • मुझे वो दिन बराबर याद है. जब भी उस दिन को याद करता हूं मन को खुशी होती है. न्यायपालिका की गरिमा को बहुत ही गौरवपूर्ण रूप से सम्मान दिया और कहीं पर भी गर्माहट का, तनाव का माहौल नहीं बनने दिया. एकता का स्वर, देश को कितनी बड़ी ताकत देता है उसका यह उदाहरण है.
  • एक तरफ दो हफ्ते तक गर्माहट के लिए सब कुछ हुआ था, लेकिन, जब राम जन्मभूमि पर फैसला आया तब सरकार ने, राजनैतिक दलों ने, सामाजिक संगठनों ने, सिविल सोसाइटी ने, सभी सम्प्रदायों के प्रतिनिधियों ने, साधु-संतों ने बहुत ही संतुलित और संयमित बयान दिए.
  • कुछ बयानबाजों ने, बड़बोलों ने सिर्फ और सिर्फ खुद को चमकाने के इरादे से न जाने क्या-क्या बोल दिया था, हमें सब याद है. लेकिन ये सब, पांच दिन, सात दिन, दस दिन, चलता रहा, लेकिन, जैसा ही फैसला आया, एक आनंददायक, आश्चर्यजनक बदलाव देश ने महसूस किया.
  • सितम्बर 2010 में जब राम जन्मभूमि पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. जरा उन दिनों को याद कीजिये. भांति-भांति के कितने लोग मैदान में आ गये थे. कैसे-कैसे इंटरस्ट ग्रुप्स उस परिस्थितियों का अपने-अपने तरीके से फायदा उठाने के लिए खेल रहे थे.
  • आप जिस भी शहर में रहते हों, वहां रन फॉर यूनिटी के बारे में पता कर सकते हैं. इसके लिए एक पोर्टल लॉच किया गया है.
  • मुझे उम्मीद है कि आप सब 31 अक्टूबर को जरूर दौड़ेगें - भारत की एकता के लिए, खुद की फिटनेस के लिये भी.
  • 2014 से हर साल 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है. यह दिन, हमें, अपने देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा की हर कीमत पर रक्षा करने का सन्देश देता है. 31 अक्टूबर को, हर बार की तरह रन फॉर यूनिटी का आयोजन भी किया जा रहा है.
  • सरदार साहब की याद में बना स्टैचू ऑफ यूनिटी देश और दुनिया को समर्पित किया गया था. यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है. अमेरिका में स्थित स्टैचू ऑफ लिबर्टी से भी ऊंचाई में डबल है.
  • मुझे आशा है कि आप सभी लोग अपने कीमती समय से कुछ वक्त निकाल कर स्टैचू ऑफ यूनिटी देखने जाएंगे.
  • लक्षद्वीप कुछ द्वीपों का समूह है. 1947 में भारत विभाजन के तुरंत बाद हमारे पड़ोसी की नजर लक्षद्वीप पर थी और उसने अपने झंडे के साथ जहाज भेजा थी. सरदार पटेल ने बगैर समय गंवाये, तुरंत, कठोर कार्यवाही शुरू कर दी.
  • भारत के प्रथम गृहमंत्री के रूप में सरदार पटेल ने, रियासतों को, एक करने का ऐतिहासिक काम किया. एक तरफ उनकी नज़र हैदराबाद, जूनागढ़ और अन्य राज्यों पर केन्द्रित थी वहीं उनका ध्यान दूर-सुदूर दक्षिण में लक्षद्वीप पर भी था.
  • संविधान सभा में उल्लेखनीय भूमिका निभाने के लिए हमारा देश, सरदार पटेल का सदैव कृतज्ञ रहेगा. उन्होंने मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया, जिससे जाति और संप्रदाय के आधार पर होने वाले किसी भी भेदभाव की गुंजाइश न बचे.
  • 1921 में अहमदाबाद में कांग्रेस अधिवेशन में पानी की व्यवस्था, जूते या कोई सामान के लिये खादी के थैले का प्रबंध आदि के विषय में सरदार पटेल की योजना और कार्यशैली की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री ने एक घटना का उदाहरण दिया.
  • सरदार पटेल बारीक-से-बारीक चीजें को भी बहुत गहराई से देखते थे, परखते थे. सही मायने में वे मैन ऑफ डीटेल थे. सरदार साहब की कार्यशैली के विषय में जब पढ़ते हैं, सुनते हैं, तो पता चलता है कि उनकी प्लैनिंग कितनी जबरदस्त होती थी.
  • 31 अक्तूबर की तारीख आप सबको याद होगी. भारत के लौह पुरुष सरदार पटेल की जन्म जयंती का है जो देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाले महानायक थे. सरदार साहब की कार्यशैली के विषय में जब पढ़ते हैं, सुनते हैं, तो पता चलता है कि उनकी प्लैनिंग कितनी जबरदस्त होती थी.
  • गुरु नानक देव जी ने अपना संदेश, दुनिया में, दूर-दूर तक पहुंचाया. वे अपने समय में सबसे अधिक यात्रा करने वालों में से थे, गुरु नानक का प्रकाश पर्व हमें उनके विचारों को जीवन में उतारने की प्रेरणा दे.
  • अभी कुछ दिन पहले ही, करीब 85 देशों के राजदूत, दिल्ली से अमृतसर गये थे. वहां राजदूतों ने गोल्डन टेम्पल के दर्शन तो किये ही, उन्हें, सिख परम्परा और संस्कृति के बारे में भी जानने का अवसर मिला. इसके बाद कई राजदूतों ने सोशल मीडिया पर वहां की तस्वीरें साझा की.
  • 12 नवंबर को दुनिया भर में गुरुनानक देव जी का 550वां प्रकाश उत्सव मनाया जाएगा. गुरू नानक देव जी का प्रभाव भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व मे है.
  • गुरुनानकदेव जी मानते थे कि निस्वार्थ भाव से किए गए सेवा कार्य की कोई कीमत नहीं हो सकती.
  • भारत की लक्ष्मी की ऐसी अनेक कहानियां लोगों ने शेयर की हैं. आप जरुर पढ़िये, प्रेरणा लीजिये और खुद भी ऐसा ही कुछ अपने आस-पास से शेयर कीजिये और मेरा, भारत की इन सभी लक्ष्मियों को आदरपूर्वक नमन है.
  • मेरे प्यारे देशवासियो, पिछली मन की बात में हमने तय किया था कि इस दीपावली पर कुछ अलग करेंगे. मैंने कहा था – आइये, हम सभी इस दीपावली पर भारत की नारी शक्ति और उनकी उपलब्धियों को सेलिब्रेट करें, यानी भारत की लक्ष्मी का सम्मान.
  • साथियो, दुनिया में फेस्टिवल टूरिज्म का अपना ही आकर्षण है. हमारा भारत, जो कंट्री ऑफ फेस्टिवल्स है, उसमें फेस्टिवल टूरिज्म की भी अपार संभावनाएं हैं. हमारा प्रयास होना चाहिये कि हम त्योहारों का प्रसार करें.
  • आजकल दुनिया के अनेक देशों में दिवाली मनायी जाती है. इसमें सिर्फ भारतीय समुदाय शामिल होता है, ऐसा नहीं है बल्कि अब कई देशों की सरकारें, वहां के नागरिक दिवाली को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. एक प्रकार से वहां भारत खड़ा कर देते हैं.
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Last Updated : Oct 27, 2019, 9:41 PM IST
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