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नई शिक्षा नीति से छात्रों की प्रतिभा को मिलेगा पूरा मौका : मोदी - Foundational literacy and numeracy

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित एक सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति में छात्रों को कोई भी विषय चुनने की आजादी दी गई है. इससे देश के छात्रों की प्रतिभा को अब पूरा मौका मिलेगा. विस्तार से पढ़ें प्रधानमंत्री का भाषण...

प्रधानमंत्री मोदी
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Published : Sep 11, 2020, 11:21 AM IST

Updated : Sep 11, 2020, 12:15 PM IST

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 (एनईपी) के तहत '21वीं सदी में स्कूली शिक्षा' विषय पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'मुझे खुशी है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के इस अभियान में हमारे प्रधानाचार्य और शिक्षक पूरे उत्साह से हिस्सा ले रहे हैं.'

प्रधानमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति से नए युग के निर्माण के बीज पड़े हैं, यह 21वीं सदी के भारत को नई दिशा प्रदान करेगी. उन्होंने कहा, 'हमारा काम तो अभी शुरू हुआ है; राष्ट्रीय शिक्षा नीति को समान रूप से प्रभावी ढंग से लागू करना होगा.'

उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले शिक्षा मंत्रालय ने देशभर के शिक्षकों से उनके सुझाव मांगे थे. एक सप्ताह के भीतर ही 15 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के एलान होने के बाद बहुत से लोगों के मन में कई सवाल आ रहे हैं. यह शिक्षा नीति क्या है? यह कैसे अलग है. इससे स्कूल और कॉलेजों में क्या बदलाव आएगा. हम सभी इस कार्यक्रम में इकट्ठा हुए हैं ताकि चर्चा कर सकें और आगे का रास्ता बना सकें.

मोदी ने कहा कि एनईपी में बच्चों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, इसमें अन्वेषण, गतिविधियों और मनोरंजक तरीकों की मदद से सीखने पर जोर दिया गया है.

उन्होंने कहा, 'मूलभूत शिक्षा पर ध्यान इस नीति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (Foundational literacy and numeracy) के विकास को एक राष्ट्रीस मिशन के रूप में लिया जाएगा. हमें शिक्षा में आसान और नए-नए तौर-तरीकों को बढ़ाना होगा. बच्चों के लिए नए दौर के अध्ययन का मूलमंत्र होना चाहिए- भागीदारी, खोज, अनुभव, अभिव्यक्ति तथा उत्कृष्टता.

उन्होंने कहा कि बहुत सारे प्रोफेशन हैं जिनके लिए डीप स्किल्स (Deep Skills) की जरूरत होती है, लेकिन हम उन्हें महत्व ही नहीं देते. अगर छात्र इन्हें देखेंगे तो एक तरह का भावनात्मक जुड़ाव होगा, उनका सम्मान करेंगे. हो सकता है बड़े होकर इनमें से कई बच्चे ऐसे ही उद्योगों से जुड़ें.

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों को कोई भी विषय चुनने की आजादी दी गई है. यह सबसे बड़े सुधार में से एक है. अब हमारे युवा को विज्ञान, कला या कॉमर्स के किसी एक ब्रेकैट में ही फिट होने की जरूरत नहीं है. देश के छात्रों की प्रतिभा को अब पूरा मौका मिलेगा.

प्रधानमंत्री ने कहा, 'सीख तो बच्चे तब भी रहे होते हैं जब वह खेलते हैं, जब वह परिवार में बात कर रहे होते हैं, जब वह बाहर आपके साथ घूमने जाते हैं. लेकिन अक्सर माता-पिता भी बच्चों से यह नहीं पूछते कि क्या सीखा? वह भी यही पूछते हैं कि मार्क्स कितने आए. हर चीज यहीं आकर अटक जाती है.'

पढ़ाई के तनाव से बच्चों को बाहर निकालना प्रमुख उद्देश्य: मोदी
उन्होंने कहा कि पढ़ाई से मिल रहे इस तनाव से अपने बच्चों को बाहर निकालना राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य है. परीक्षा इस तरह होनी चाहिए कि छात्रों पर इसका बेवजह दबाव न पड़े. कोशिश यह होनी चाहिए कि केवल एक परीक्षा से विद्यार्थियों का मूल्यांकन न किया जाए.

मोदी ने कहा, 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति की इस यात्रा के पथ-प्रदर्शक देश के शिक्षक हैं. चाहे नए तरीके से लर्निंग हो, विद्यार्थी को इस नई यात्रा पर लेकर शिक्षक को ही जाना है. हवाई जहाज कितना ही एडवांस हो, उड़ाता पायलट ही है. इसलिए सभी शिक्षकों को भी कुछ नया सीखना है और कुछ पुराना भूलना भी है.'

यह भी पढ़ें- विशेष : राष्ट्रीय प्रगति के लिए जरूरी है विशिष्ट शिक्षा नीति

बता दें, शिक्षा मंत्रालय 'शिक्षा पर्व' के एक हिस्से के रूप में 10 और 11 सितंबर को इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है.

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से जारी एक बयान के मुताबिक, 'शिक्षकों को सम्मानित करने और नई शिक्षा नीति 2020 को आगे बढ़ाने के लिए 8 सितंबर से 25 सितंबर तक शिक्षा पर्व मनाया जा रहा है. देश भर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विभिन्न पहलुओं पर विभिन्न वेबिनार, वर्चुअल सम्मेलन और सभाएं आयोजित की जा रही हैं.'

इससे पहले प्रधानमंत्री ने सोमवार को एनईपी- 2020 के तहत उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधार पर आयोजित एक सम्मेलन में उद्घाटन भाषण दिया था. उन्होंने राज्यपालों के सम्मेलन को भी संबोधित किया था.

बयान के मुताबिक एनईपी- 2020 इक्कीसवीं सदी की पहली शिक्षा नीति है, जिसे पिछली राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के 34 वर्षों के बाद घोषित किया गया है. एनईपी-2020 में स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों स्तरों पर बड़े सुधारों के लिए निर्देश दिया गया है.

सरकार का कहना है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य भारत को एक न्यायोचित और ज्ञान आधारित उद्योगी समाज बनाना है. इसमें भारत केंद्रित शिक्षा प्रणाली को लागू करने की सोच है जो देश को वैश्विक महाशक्ति में बदलने में सीधे योगदान करेगा.

बयान में कहा गया, 'एनईपी में लक्षित व्यापक परिवर्तन देश की शिक्षा प्रणाली में प्रतिमान बदलाव लाएगा और प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित एक नए आत्म-निर्भर भारत के लिए एक सक्षम और सुदृढ़ शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगा.'

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 (एनईपी) के तहत '21वीं सदी में स्कूली शिक्षा' विषय पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'मुझे खुशी है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के इस अभियान में हमारे प्रधानाचार्य और शिक्षक पूरे उत्साह से हिस्सा ले रहे हैं.'

प्रधानमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति से नए युग के निर्माण के बीज पड़े हैं, यह 21वीं सदी के भारत को नई दिशा प्रदान करेगी. उन्होंने कहा, 'हमारा काम तो अभी शुरू हुआ है; राष्ट्रीय शिक्षा नीति को समान रूप से प्रभावी ढंग से लागू करना होगा.'

उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले शिक्षा मंत्रालय ने देशभर के शिक्षकों से उनके सुझाव मांगे थे. एक सप्ताह के भीतर ही 15 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के एलान होने के बाद बहुत से लोगों के मन में कई सवाल आ रहे हैं. यह शिक्षा नीति क्या है? यह कैसे अलग है. इससे स्कूल और कॉलेजों में क्या बदलाव आएगा. हम सभी इस कार्यक्रम में इकट्ठा हुए हैं ताकि चर्चा कर सकें और आगे का रास्ता बना सकें.

मोदी ने कहा कि एनईपी में बच्चों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, इसमें अन्वेषण, गतिविधियों और मनोरंजक तरीकों की मदद से सीखने पर जोर दिया गया है.

उन्होंने कहा, 'मूलभूत शिक्षा पर ध्यान इस नीति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (Foundational literacy and numeracy) के विकास को एक राष्ट्रीस मिशन के रूप में लिया जाएगा. हमें शिक्षा में आसान और नए-नए तौर-तरीकों को बढ़ाना होगा. बच्चों के लिए नए दौर के अध्ययन का मूलमंत्र होना चाहिए- भागीदारी, खोज, अनुभव, अभिव्यक्ति तथा उत्कृष्टता.

उन्होंने कहा कि बहुत सारे प्रोफेशन हैं जिनके लिए डीप स्किल्स (Deep Skills) की जरूरत होती है, लेकिन हम उन्हें महत्व ही नहीं देते. अगर छात्र इन्हें देखेंगे तो एक तरह का भावनात्मक जुड़ाव होगा, उनका सम्मान करेंगे. हो सकता है बड़े होकर इनमें से कई बच्चे ऐसे ही उद्योगों से जुड़ें.

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों को कोई भी विषय चुनने की आजादी दी गई है. यह सबसे बड़े सुधार में से एक है. अब हमारे युवा को विज्ञान, कला या कॉमर्स के किसी एक ब्रेकैट में ही फिट होने की जरूरत नहीं है. देश के छात्रों की प्रतिभा को अब पूरा मौका मिलेगा.

प्रधानमंत्री ने कहा, 'सीख तो बच्चे तब भी रहे होते हैं जब वह खेलते हैं, जब वह परिवार में बात कर रहे होते हैं, जब वह बाहर आपके साथ घूमने जाते हैं. लेकिन अक्सर माता-पिता भी बच्चों से यह नहीं पूछते कि क्या सीखा? वह भी यही पूछते हैं कि मार्क्स कितने आए. हर चीज यहीं आकर अटक जाती है.'

पढ़ाई के तनाव से बच्चों को बाहर निकालना प्रमुख उद्देश्य: मोदी
उन्होंने कहा कि पढ़ाई से मिल रहे इस तनाव से अपने बच्चों को बाहर निकालना राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य है. परीक्षा इस तरह होनी चाहिए कि छात्रों पर इसका बेवजह दबाव न पड़े. कोशिश यह होनी चाहिए कि केवल एक परीक्षा से विद्यार्थियों का मूल्यांकन न किया जाए.

मोदी ने कहा, 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति की इस यात्रा के पथ-प्रदर्शक देश के शिक्षक हैं. चाहे नए तरीके से लर्निंग हो, विद्यार्थी को इस नई यात्रा पर लेकर शिक्षक को ही जाना है. हवाई जहाज कितना ही एडवांस हो, उड़ाता पायलट ही है. इसलिए सभी शिक्षकों को भी कुछ नया सीखना है और कुछ पुराना भूलना भी है.'

यह भी पढ़ें- विशेष : राष्ट्रीय प्रगति के लिए जरूरी है विशिष्ट शिक्षा नीति

बता दें, शिक्षा मंत्रालय 'शिक्षा पर्व' के एक हिस्से के रूप में 10 और 11 सितंबर को इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है.

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से जारी एक बयान के मुताबिक, 'शिक्षकों को सम्मानित करने और नई शिक्षा नीति 2020 को आगे बढ़ाने के लिए 8 सितंबर से 25 सितंबर तक शिक्षा पर्व मनाया जा रहा है. देश भर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विभिन्न पहलुओं पर विभिन्न वेबिनार, वर्चुअल सम्मेलन और सभाएं आयोजित की जा रही हैं.'

इससे पहले प्रधानमंत्री ने सोमवार को एनईपी- 2020 के तहत उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधार पर आयोजित एक सम्मेलन में उद्घाटन भाषण दिया था. उन्होंने राज्यपालों के सम्मेलन को भी संबोधित किया था.

बयान के मुताबिक एनईपी- 2020 इक्कीसवीं सदी की पहली शिक्षा नीति है, जिसे पिछली राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के 34 वर्षों के बाद घोषित किया गया है. एनईपी-2020 में स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों स्तरों पर बड़े सुधारों के लिए निर्देश दिया गया है.

सरकार का कहना है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य भारत को एक न्यायोचित और ज्ञान आधारित उद्योगी समाज बनाना है. इसमें भारत केंद्रित शिक्षा प्रणाली को लागू करने की सोच है जो देश को वैश्विक महाशक्ति में बदलने में सीधे योगदान करेगा.

बयान में कहा गया, 'एनईपी में लक्षित व्यापक परिवर्तन देश की शिक्षा प्रणाली में प्रतिमान बदलाव लाएगा और प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित एक नए आत्म-निर्भर भारत के लिए एक सक्षम और सुदृढ़ शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगा.'

Last Updated : Sep 11, 2020, 12:15 PM IST
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