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बैलट पेपर से चुनाव की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में फिर से याचिका

ईवीएम पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा. कभी राजनीतिक दल इस पर सवाल उठाते हैं तो कभी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाती है. सुप्रीम कोर्ट कई बार ऐसी याचिकाओं को खारिज कर चुका है. अब एक बार फिर से एक याचिका दायर हुई है. पढ़ें रिपोर्ट.

SUPREME COURT
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Nov 25, 2020, 6:49 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की गई है. इसके साथ ही आगामी चुनावों में ईवीएम की बजाय बैलट पेपर का इस्तेमाल करने की अपील की गई है. याचिका अधिवक्ता सीआर जयासुखिन ने दायर की है.

विदेशों का दिया हवाला

जयासुखिन ने याचिका में दावा किया है कि ईवीएम को आसानी से हैक किया जा सकता है. एक मतदाता की पूरी प्रोफाइल को ईवीएम के माध्यम से जाना जा सकता है. ईवीएम के सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ की जा सकती है. इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन पर्ची नहीं देती है. इसके कारण मतदाता को वोट की पुष्टि नहीं होती है और हैकर के लिए वोटों का हेरफेर करना बहुत आसान होता है. उन्होंने इंग्लैंड, नीदरलैंड, फ्रांस, जर्मनी सहित देशों का हवाला दिया है, जिन्होंने सुरक्षा संबंधी चिंताओं को देखते हुए ईवीएम के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है.

हेरफेर की कीमत 5 करोड़ रुपये

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि चुनाव परिणामों को पक्ष में करने के लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए 5 करोड़ रुपये लिए जा रहे हैं. फिर से मतपत्रों का उपयोग करने की दलील देते हुए याचिकाकर्ता का कहना है कि मतपत्रों को गिनने में अधिक समय जरूर लगता है लेकिन यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिस पर लोगों का पूरा भरोसा है.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की गई है. इसके साथ ही आगामी चुनावों में ईवीएम की बजाय बैलट पेपर का इस्तेमाल करने की अपील की गई है. याचिका अधिवक्ता सीआर जयासुखिन ने दायर की है.

विदेशों का दिया हवाला

जयासुखिन ने याचिका में दावा किया है कि ईवीएम को आसानी से हैक किया जा सकता है. एक मतदाता की पूरी प्रोफाइल को ईवीएम के माध्यम से जाना जा सकता है. ईवीएम के सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ की जा सकती है. इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन पर्ची नहीं देती है. इसके कारण मतदाता को वोट की पुष्टि नहीं होती है और हैकर के लिए वोटों का हेरफेर करना बहुत आसान होता है. उन्होंने इंग्लैंड, नीदरलैंड, फ्रांस, जर्मनी सहित देशों का हवाला दिया है, जिन्होंने सुरक्षा संबंधी चिंताओं को देखते हुए ईवीएम के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है.

हेरफेर की कीमत 5 करोड़ रुपये

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि चुनाव परिणामों को पक्ष में करने के लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए 5 करोड़ रुपये लिए जा रहे हैं. फिर से मतपत्रों का उपयोग करने की दलील देते हुए याचिकाकर्ता का कहना है कि मतपत्रों को गिनने में अधिक समय जरूर लगता है लेकिन यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिस पर लोगों का पूरा भरोसा है.

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