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हिन्दुओं, जुडिस्टों और बहेलियों को अल्पसंख्यक घोषित करने की मांग - राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान अधिनियम

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और बीजेपी सदस्य अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर कुछ राज्यों में हिंदू, यहूदी और बहेलिया धर्म के अनुयायियों को अल्पसंख्यक घोषित करने की मांग की है. पढ़ें पूरी खबर...

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Aug 12, 2020, 5:33 PM IST

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और बीजेपी सदस्य अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर कुछ राज्यों में हिंदू, यहूदी और बहेलिया धर्म के अनुयायियों को अल्पसंख्यक घोषित करने की मांग की है.

इन राज्यों में लद्दाख, मिजोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और मणिपुर शामिल हैं.

इन राज्यों में इन 3 धर्मों की आबादी के आंकड़ों का हवाला देते हुए, उपाध्याय ने कहा कि वे यहां वास्तव में अल्पसंख्यक हैं, लेकिन राज्य स्तर पर अल्पसंख्यक के रूप में पहचान न होने के कारण अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना नहीं कर पाते हैं.

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान अधिनियम (एनसीएमईआई अधिनियम), 2004 के राष्ट्रीय आयोग को चुनौती देते हुए कहा कि 5 समुदायों जिनमें कि मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी हैं, उन्हें ही राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक घोषित किया गया है.

पढ़ेंः परीक्षा आयोजन को लेकर 800 से अधिक छात्रों का सीजेआई बोबडे को पत्र

अश्विनी उपाध्याय ने एनसीएमईआई अधिनियम 2004 की धारा 2 (f) को शून्य घोषित करने की मांग की और राज्य स्तर पर अल्पसंख्यक की पहचान के लिए दिशानिर्देश देने के निर्देश देने को कहा.

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और बीजेपी सदस्य अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर कुछ राज्यों में हिंदू, यहूदी और बहेलिया धर्म के अनुयायियों को अल्पसंख्यक घोषित करने की मांग की है.

इन राज्यों में लद्दाख, मिजोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और मणिपुर शामिल हैं.

इन राज्यों में इन 3 धर्मों की आबादी के आंकड़ों का हवाला देते हुए, उपाध्याय ने कहा कि वे यहां वास्तव में अल्पसंख्यक हैं, लेकिन राज्य स्तर पर अल्पसंख्यक के रूप में पहचान न होने के कारण अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना नहीं कर पाते हैं.

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान अधिनियम (एनसीएमईआई अधिनियम), 2004 के राष्ट्रीय आयोग को चुनौती देते हुए कहा कि 5 समुदायों जिनमें कि मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी हैं, उन्हें ही राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक घोषित किया गया है.

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अश्विनी उपाध्याय ने एनसीएमईआई अधिनियम 2004 की धारा 2 (f) को शून्य घोषित करने की मांग की और राज्य स्तर पर अल्पसंख्यक की पहचान के लिए दिशानिर्देश देने के निर्देश देने को कहा.

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