नई दिल्ली : पेशे से लेखिका पौलोमी पविनी शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अनाथों को लेकर एक याचिका दायर की है. याचिका में उन्होंने अपील की है कि गरीब तबके के बच्चों को जिस प्रकार से आरक्षण मिलता है, उसी प्रकार अनाथ बच्चों को भी आरक्षण दिया जाए. इतना ही नहीं उन्होंने अपनी याचिका में अनाथ बच्चों की देखभाल और सुरक्षा की दृष्टि से सरकार से आधिकारिक सर्वेक्षण कराने की भी मांग की है, जिससे इन लोगों की संख्या का अनुमान लगाया जा सके.
पौलोमी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिकाकर्ता के रूप में बहस करते हुए कहा कि अनाथों को शिक्षा के अधिकारों से बाहर रखा गया है. उन्होंने कहा कि उनके लिए आरक्षण पाने के लिए कोई प्रावधान नहीं है. उन्होंने कहा 18 लाख बच्चे पहले ही बालिग हो चुके हैं.
उन्होंने आगे कहा कि अनाथ बच्चों के लिए कोई छात्रवृत्ति या सहभोज नहीं है, परीक्षा के लिए कोई कोचिंग नहीं है, कोई माइक्रो क्रेडिट या ऋण रियायती दर नहीं है, शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण नहीं है, किसी भी अनाथ के लिए किसी भी प्रकार के ऐसे कोई प्रावधान नहीं बनाए गए हैं कि इंटर मे उत्तीर्ण होने के बाद किसी किसी पेशेवर या उच्च संस्थाओं में एडमिशन ले सकें.
पौलोमी ने अपनी याचिका में कहा है कि भारत में दो करोड़ से अधिक लोग (संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार) अनाथ हैं और सरकार ने कभी भी अनाथों की संख्या का अनुमान लगाने के लिए आधिकारिक सर्वेक्षण नहीं करवाया.
उन्होंने अपनी याचिका में यह भी जिक्र किया है कि 2018-2019 में बच्चों की सुरक्षा के लिए सरकार का कुल बजटीय आवंटन 725 करोड़ रुपये ही था, जो कि प्रतिदिन एक रुपये से भी कम है. उन्होंने अपनी याचिका में यह भी जिक्र किया है कि पिछले पांच वर्षों में भारत सरकार ने एयरइंडिया को बचाए रखने के लिए 23 हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है.
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शर्मा ने कहा कि एक अधिसूचना के द्वारा इन अनाथ बच्चों को शामिल किया जा सकता है, लेकिन उन्हें केवल दिल्ली छोड़कर अन्य राज्यों में बाहर रखा गया है.
गौरतलब है कि पौलोमी शर्मा ने धरती पर कमजोर नामक एक पुस्तक लिखी है. पुस्तक में उन्होंने अनाथों के बारे में बताया है.