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बाॅलीवुड गीतों के जरिए युद्ध जीतने का व्यर्थ प्रयास कर रहे चीनी सैनिक

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Published : Sep 16, 2020, 9:08 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 5:25 PM IST

पैंगोंग त्सो में चीनी सेना (पीएलए) धमाकेदार पंजाबी गाने बजा रही है. इस क्षेत्र में दोनों सेनाएं एक-दूसरे से मुश्किल से 200 मीटर की दूरी पर मौजूद हैं. अगर चीनी सेना यह भारतीय सैनिकों को विचलित करने और मनोवैज्ञानिक युद्ध में हराने के तौर पर कर रही है तो यह एक व्यर्थ प्रयास है. पढे़ं ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट-

india and china
भारत व चीन

नई दिल्ली : कुछ साल पहले अरुणाचल प्रदेश के तवांग के पास चोट्टा किला के पास एक युवा भारतीय सेना अधिकारी पैदल गश्त के बाद थककर छाया में बैठ गए. अचानक एक हिंदी फिल्म का हिट गीत 'परदेशी परदेसी' गाते दो पीएलए के सैनिक आ गए. दोनों ने युवा भारतीय सेना अधिकारी को अच्छे भाव से देखा और आगे बढ़ गए. अब भी सेना में कार्यरत उसी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर ईटीवी भारत को बताया कि गीत गाते पीएलए सैनिकों को देख तब उन्हें भारत के सॉफ्ट पावर की ताकत का एहसास हुआ.

यह भारतीय संगीत की लोकप्रियता को करता है रेखांकित

अधिकारी ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में बढ़ते तनाव के बीच खबर है कि पैंगोंग त्सो में चीनी सेना (पीएलए) धमाकेदार पंजाबी गाने बजा रही है. इस क्षेत्र में दोनों सेनाएं एक-दूसरे से मुश्किल से 200 मीटर की दूरी पर मौजूद हैं. अगर चीनी सेना यह भारतीय सैनिकों को विचलित करने और मनोवैज्ञानिक युद्ध में हराने के तौर पर कर रही है तो यह एक व्यर्थ प्रयास है. हमारे सैनिक यह सब अच्छी तरह से जानते हैं कि पीएलए क्या करने की कोशिश कर रही है. हां, यह भारतीय संगीत की लोकप्रियता को रेखांकित जरूर करता है. चीनी वास्तव में इसे पसंद करते हैं.

लद्दाख में मौसम से दोनों सेनाओं को लड़ना पड़ेगा

एक वरिष्ठ सैन्य स्रोत ने कहा कि यह बहुत ही मूर्खतापूर्ण होगा, अगर चीनी सोचते हैं कि गाने सुनाकर हमारे सैनिकों को विचलित कर देंगे या मनोबल में सेंध लगा देंगे. हमारे पास कठोर और पेशेवर सैनिक हैं, जिन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ी है. भारतीय सैनिकों को सियाचिन की उच्च ऊंचाई पर टिके रहने का भी लंबा अनुभव है. पीएलए के पास इन सबका अनुभव नहीं है मगर उन्हें भी हमारी तरह लद्दाख में मौसम से लड़ना पड़ेगा.

सबसे महत्वपूर्ण भोजन और उपकरणों की आपूर्ति

हम हर तरह से तैयार हैं. पानी के स्टॉक, ईंधन स्टॉक, टैंक और बख्तरबंद वाहनों के लिए पुर्जे, गर्म रहने वाले क्वाटर्स, पर्याप्त गोला बारूद स्टॉक, चिकित्सा सुविधाएं आदि सब कुछ तैयार है. सर्दियों में दोनों सेनाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण भोजन और उपकरणों की आपूर्ति और रखरखाव होगा. तनाव वाले क्षेत्रों में लगभग 40 फीट बर्फ देखी जाती है, जबकि तापमान शून्य से 30-40 डिग्री तक कम होता है.

लंबे समय तक नहीं रह सकते चीनी सैनिक

रिपोर्ट्स में पीएलए के अन्य ट्रिक आजमाने के बारे में भी पता चला है. पूर्वी लद्दाख के चुशुल में अपने मोलदो बेस से चीनी सैनिक लाउडस्पीकर के जरिए भारतीय राजनीतिक नेतृत्व को दोषी ठहराते हैं. यहां तक ​​कि राज्य के स्वामित्व वाले चीनी टीवी चैनलों और सोशल मीडिया हैंडल से भी भारतीय राजनीतिक नेतृत्व को कोसते हैं. भारत के साथ तिब्बती सीमा में तैनात पीएलए सैनिकों के लिए ड्रोन से गर्म भोजन आता है. वरिष्ठ सैनिकों ने कहा कि चीनी सैनिक ज्यादातर शहरी इलाकों से होते हैं और इस तरह की परिस्थितियों में लंबे समय तक नहीं रह सकते. यही कारण है कि चीनी सैनिकों और चीनी मीडिया के लिए यह सब बड़ी बातें हैं.

नई दिल्ली : कुछ साल पहले अरुणाचल प्रदेश के तवांग के पास चोट्टा किला के पास एक युवा भारतीय सेना अधिकारी पैदल गश्त के बाद थककर छाया में बैठ गए. अचानक एक हिंदी फिल्म का हिट गीत 'परदेशी परदेसी' गाते दो पीएलए के सैनिक आ गए. दोनों ने युवा भारतीय सेना अधिकारी को अच्छे भाव से देखा और आगे बढ़ गए. अब भी सेना में कार्यरत उसी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर ईटीवी भारत को बताया कि गीत गाते पीएलए सैनिकों को देख तब उन्हें भारत के सॉफ्ट पावर की ताकत का एहसास हुआ.

यह भारतीय संगीत की लोकप्रियता को करता है रेखांकित

अधिकारी ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में बढ़ते तनाव के बीच खबर है कि पैंगोंग त्सो में चीनी सेना (पीएलए) धमाकेदार पंजाबी गाने बजा रही है. इस क्षेत्र में दोनों सेनाएं एक-दूसरे से मुश्किल से 200 मीटर की दूरी पर मौजूद हैं. अगर चीनी सेना यह भारतीय सैनिकों को विचलित करने और मनोवैज्ञानिक युद्ध में हराने के तौर पर कर रही है तो यह एक व्यर्थ प्रयास है. हमारे सैनिक यह सब अच्छी तरह से जानते हैं कि पीएलए क्या करने की कोशिश कर रही है. हां, यह भारतीय संगीत की लोकप्रियता को रेखांकित जरूर करता है. चीनी वास्तव में इसे पसंद करते हैं.

लद्दाख में मौसम से दोनों सेनाओं को लड़ना पड़ेगा

एक वरिष्ठ सैन्य स्रोत ने कहा कि यह बहुत ही मूर्खतापूर्ण होगा, अगर चीनी सोचते हैं कि गाने सुनाकर हमारे सैनिकों को विचलित कर देंगे या मनोबल में सेंध लगा देंगे. हमारे पास कठोर और पेशेवर सैनिक हैं, जिन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ी है. भारतीय सैनिकों को सियाचिन की उच्च ऊंचाई पर टिके रहने का भी लंबा अनुभव है. पीएलए के पास इन सबका अनुभव नहीं है मगर उन्हें भी हमारी तरह लद्दाख में मौसम से लड़ना पड़ेगा.

सबसे महत्वपूर्ण भोजन और उपकरणों की आपूर्ति

हम हर तरह से तैयार हैं. पानी के स्टॉक, ईंधन स्टॉक, टैंक और बख्तरबंद वाहनों के लिए पुर्जे, गर्म रहने वाले क्वाटर्स, पर्याप्त गोला बारूद स्टॉक, चिकित्सा सुविधाएं आदि सब कुछ तैयार है. सर्दियों में दोनों सेनाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण भोजन और उपकरणों की आपूर्ति और रखरखाव होगा. तनाव वाले क्षेत्रों में लगभग 40 फीट बर्फ देखी जाती है, जबकि तापमान शून्य से 30-40 डिग्री तक कम होता है.

लंबे समय तक नहीं रह सकते चीनी सैनिक

रिपोर्ट्स में पीएलए के अन्य ट्रिक आजमाने के बारे में भी पता चला है. पूर्वी लद्दाख के चुशुल में अपने मोलदो बेस से चीनी सैनिक लाउडस्पीकर के जरिए भारतीय राजनीतिक नेतृत्व को दोषी ठहराते हैं. यहां तक ​​कि राज्य के स्वामित्व वाले चीनी टीवी चैनलों और सोशल मीडिया हैंडल से भी भारतीय राजनीतिक नेतृत्व को कोसते हैं. भारत के साथ तिब्बती सीमा में तैनात पीएलए सैनिकों के लिए ड्रोन से गर्म भोजन आता है. वरिष्ठ सैनिकों ने कहा कि चीनी सैनिक ज्यादातर शहरी इलाकों से होते हैं और इस तरह की परिस्थितियों में लंबे समय तक नहीं रह सकते. यही कारण है कि चीनी सैनिकों और चीनी मीडिया के लिए यह सब बड़ी बातें हैं.

Last Updated : Sep 17, 2020, 5:25 PM IST
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