नई दिल्ली : नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिल गई है. इसके बाद नागरिकता कानून, 1955 में बदलाव होंगे. मूल कानून 1955 में बना था, जिसमें 2019 के संशोधन विधेयक से बदलाव किए गए हैं.
बता दें कि इस कानून को लेकर पूर्वोत्तर के जमकर विरोध प्रदर्शन जारी है. उच्चतम न्यायालय में भी इसके खिलाफ याचिका दायर की जा चुकी है. इस पर वकील एमएल शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि CAB संविधान के खिलाफ है और यही याचिका का आधार है.
पीस पार्टी की वकील पंखुड़ी श्रीवास्तव ने कहा कि यह कानून अनुच्छेद 14 के खिलाफ है और यह संविधान के मूल आधार, धर्म निरपेक्षता का उल्लंघन करता है.
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पीस पार्टी के मोहम्मद आयूब ने कहा कि यह कानून संविधान द्वारा दिए गए समानता के अधिकारों का उल्लंघन करता है और यह कानून देश और समाज को बांटने वाला है. यही नहीं, सिर्फ मुस्लिमों को इस कानून के बाहर रखा गया है. इन्हीं बुनियादों पर इस कानून के खिलाफ याचिका दायर की गई है.