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1993 से पहले सेवामुक्त हुए एसएससी अधिकारियों की ग्रेच्युटी के लिए याचिका दायर - संगठन डिसेबल्ड वार वेटरन

दिल्ली उच्च न्यायालय में 1993 से पहले सेवामुक्त हुए एसएससी अधिकारियों की ग्रेच्युटी के लिए याचिका दायर की गई है.

दिल्ली उच्च न्यायालय
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Published : Sep 14, 2020, 11:04 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है जिसमें वर्ष 1993 से पहले सेवामुक्त हुए शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) अधिकारियों को सह सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी का भुगतान करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ और न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने कहा कि सामान्यत: वह ऐसी याचिका पर सुनवाई नहीं करती जिसमें 27 वर्ष पुराने रक्षा मंत्रालय के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें तीन जून 1993 से पहले सेवानिवृत्त हुए अधिकारियों को ग्रेच्युटी देने से इनकार किया गया है.

अदालत ने कहा, हालांकि, याचिका दिव्यांग युद्ध सैनिकों से जुड़ी है इसलिए याचिका दायर करने वाला संगठन पहले यह जानकारी दे कि ऐसे कितने अधिकारी या परिवार हैं और उनको ग्रेच्युटी के रूप में कितनी राशि का भुगतान किया जाना है.

अदालत ने याचिका दायर करने वाले संगठन डिसेबल्ड वार वेटरन (इंडिया) से यह भी बताने को कहा कि कैसे 27 साल बीतने के बावजूद यह मुद्दा सुनने योग्य है.

यह भी पढ़ें - मानसून सत्र के पहले दिन 17 सांसद कोरोना संक्रमित पाए गए

केंद्र सरकार के स्थायी वकील अजय दिगपाल जो रक्षा मंत्रालय की ओर से पेश हुए, ने पीठ से कहा कि यह याचिका सुनने योग्य नहीं है क्योंकि संबंधित आदेश के पारित होने के 27 साल यह दायर की गई है.

दिगपाल ने याचिका में लगाए गए भेदभाव के आरोप से भी इंकार किया.

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है जिसमें वर्ष 1993 से पहले सेवामुक्त हुए शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) अधिकारियों को सह सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी का भुगतान करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ और न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने कहा कि सामान्यत: वह ऐसी याचिका पर सुनवाई नहीं करती जिसमें 27 वर्ष पुराने रक्षा मंत्रालय के उस फैसले को चुनौती दी गई है जिसमें तीन जून 1993 से पहले सेवानिवृत्त हुए अधिकारियों को ग्रेच्युटी देने से इनकार किया गया है.

अदालत ने कहा, हालांकि, याचिका दिव्यांग युद्ध सैनिकों से जुड़ी है इसलिए याचिका दायर करने वाला संगठन पहले यह जानकारी दे कि ऐसे कितने अधिकारी या परिवार हैं और उनको ग्रेच्युटी के रूप में कितनी राशि का भुगतान किया जाना है.

अदालत ने याचिका दायर करने वाले संगठन डिसेबल्ड वार वेटरन (इंडिया) से यह भी बताने को कहा कि कैसे 27 साल बीतने के बावजूद यह मुद्दा सुनने योग्य है.

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केंद्र सरकार के स्थायी वकील अजय दिगपाल जो रक्षा मंत्रालय की ओर से पेश हुए, ने पीठ से कहा कि यह याचिका सुनने योग्य नहीं है क्योंकि संबंधित आदेश के पारित होने के 27 साल यह दायर की गई है.

दिगपाल ने याचिका में लगाए गए भेदभाव के आरोप से भी इंकार किया.

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