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मौनी अमावस्या: श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी, कैसे हुई पर्व की शुरुआत- जानें

मौनी अमावस्या के पावन पर्व पर आज देश भर में श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान, ध्यान और दान कर रहे हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से पापों से मुक्ति मिलती है.

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सांकेतिक चित्र
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Published : Jan 24, 2020, 10:58 AM IST

Updated : Feb 18, 2020, 5:19 AM IST

वाराणसी: आज मौनी अमावस्या है. देश भर में श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है. ज्योतिष शास्त्र व धार्मिक दृष्टि से यह तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण होती है.

मौनी अमावस्या पर मौन रहकर स्नान और दान करने का विशेष महत्व है. इस दिन मौन रहने का अलग महत्व है. मौनी अमावस्या के बारे में कहा जाता है कि इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था. मनु शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है, इसलिए इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है.

मौनी अमावस्या का महत्व

वहीं इसको लेकर प्रयागराज मेला प्रशासन ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है. प्रशासन को अनुमान है कि इस प्रमुख स्नान पर्व पर संगम में एक करोड़ से अधिक श्रद्धालु डुबकी लगाने वाले हैं. शुभ मुहूर्त में डुबकी लगाने के लिये संगम क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंचने लगी है.

रात 1:30 बजे लगा शुभ मुहूर्त

मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त गुरुवार रात 1:30 बजे से लग गया है. श्रद्धालुओं ने रात में ही पवित्र संगम में डुबकी लगाना शुरू कर दिया है. इसके मद्देनजर स्नान घाटों पर प्रकाश की समुचित व्यवस्था की गई है. वहीं सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर सम्पूर्ण मेला क्षेत्र पुलिस, पीएसी, जल पुलिस, कमांडो, दस्ते आरएएफ की तैनाती की गई है.

पढ़ें: प्रयागराज: मौनी अमावस्या का स्नान आज, 1 करोड़ से अधिक श्रद्धालु लगाएंगे डुबकी

धार्मिक मान्यता है कि माघ महीने में मौनी अमावस्या पर स्नान करने से इसका पुण्य कई गुना बढ़ जाता है. साथ ही मौन रहकर स्नान, दान करने से इंसान के कई जन्मों के पाप मिट जाते हैं.

पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिये इस तिथि का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इस तिथि को तर्पण, स्नान, दान आदि के लिये शास्त्रों में बहुत ही पुण्य फलदायी माना गया है.

वाराणसी: आज मौनी अमावस्या है. देश भर में श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है. ज्योतिष शास्त्र व धार्मिक दृष्टि से यह तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण होती है.

मौनी अमावस्या पर मौन रहकर स्नान और दान करने का विशेष महत्व है. इस दिन मौन रहने का अलग महत्व है. मौनी अमावस्या के बारे में कहा जाता है कि इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था. मनु शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है, इसलिए इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है.

मौनी अमावस्या का महत्व

वहीं इसको लेकर प्रयागराज मेला प्रशासन ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है. प्रशासन को अनुमान है कि इस प्रमुख स्नान पर्व पर संगम में एक करोड़ से अधिक श्रद्धालु डुबकी लगाने वाले हैं. शुभ मुहूर्त में डुबकी लगाने के लिये संगम क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंचने लगी है.

रात 1:30 बजे लगा शुभ मुहूर्त

मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त गुरुवार रात 1:30 बजे से लग गया है. श्रद्धालुओं ने रात में ही पवित्र संगम में डुबकी लगाना शुरू कर दिया है. इसके मद्देनजर स्नान घाटों पर प्रकाश की समुचित व्यवस्था की गई है. वहीं सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर सम्पूर्ण मेला क्षेत्र पुलिस, पीएसी, जल पुलिस, कमांडो, दस्ते आरएएफ की तैनाती की गई है.

पढ़ें: प्रयागराज: मौनी अमावस्या का स्नान आज, 1 करोड़ से अधिक श्रद्धालु लगाएंगे डुबकी

धार्मिक मान्यता है कि माघ महीने में मौनी अमावस्या पर स्नान करने से इसका पुण्य कई गुना बढ़ जाता है. साथ ही मौन रहकर स्नान, दान करने से इंसान के कई जन्मों के पाप मिट जाते हैं.

पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिये इस तिथि का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इस तिथि को तर्पण, स्नान, दान आदि के लिये शास्त्रों में बहुत ही पुण्य फलदायी माना गया है.

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वाराणसी: भक्त मौनी अमावस्या पर गंगा घाट पर पूजा-अर्चना करते हैं और पवित्र स्नान करते हैं।


Conclusion:
Last Updated : Feb 18, 2020, 5:19 AM IST
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