ETV Bharat / bharat

कोरोना के शुरुआती लक्षणों की अनदेखी करना है घातक, हो जाएं सजग

लोगों द्वारा शुरुआती लक्षणों की अनदेखी करने से कोरोना वायरस अधिक घातक साबित हो रहा है. देरी से इलाज शुरू होने के कारण ऐसे मामलों में मरीज के बचने की संभावना भी बहुत कम होती है. हैदराबाद में ऐसे सैकड़ों मामले देखने को मिले हैं. पढ़िए कोरोना को लेकर सजग करने वाली हमारी विशेष रिपोर्ट...

corona symptoms
कोरोना लक्षण
author img

By

Published : Jul 31, 2020, 7:31 PM IST

Updated : Jul 31, 2020, 7:37 PM IST

हैदराबाद : तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के जीडीमेटला का रहने वाले एक आदमी कुछ दिनों पहले किसी काम के लिए विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) गया. जैसे ही वह हैदराबाद लौटा, उसे बुखार हो गया. इसके बाद जल्द ही उसके पिता ने भी बुखार की शिकायत की. जब उसके पिता ने डॉक्टर से संपर्क किया तो उसने उन्हें खून की कमी बताई और स्वस्थ होने के लिए खून चढ़वाने की सलाह दी. इस तरह पिता-पुत्र दोनों उचित जांच कराने से बचे रहे.

साथियों के दबाव के बाद पिता-पुत्र दोनों ने कोरोना की जांच के लिए अपने नमूने दिए. जांच में नमूने पॉजिटिव निकले. उसके अगले ही दिन उसकी बहन की जांच हुई तो वह भी पॉजिटिव निकली. तत्काल पिता-पुत्र दोनों शहर के चेस्ट हॉस्पिटल में भर्ती हुए. उसके बाद जब पिता की स्थिति खराब होने लगी तो उन्हें गांधी अस्पताल ले जाया गया. वहां उनका लगभग एक सप्ताह तक इलाज चला, तब जाकर उनका स्वास्थ सुधरा.

लोगों का कहना है कि यदि पहले दिन बेटे ने जांच करा ली होती तो परिवार के अन्य लोगों को संक्रमित करने वाला वायरस केवल उसी तक सीमित रहता.

हैदराबाद के आरटीसी कॉलोनी के रहने वाले एक व्यक्ति ने कोरोना के लक्षणों की उपेक्षा की और उसने अपनी तत्काल जांच नहीं कराई. बाद में जांच कराने पर पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ वह कोरोना पॉजिटिव निकला. एक अस्पताल में इलाज के दौरान पहले पत्नी की मौत हो गई और फिर मंगलवार को उसने भी दम तोड़ दिया.

ईनाडू- सिटी ब्यूरो चीफ प्रतिनिधि

तेलंगाना में बहुत सारे निवासी कोरोना वायरस के प्रत्यक्ष लक्षण माने जा रहे खांसी, बुखार और अन्य संकेतों की अनदेखी कर रहे हैं. सही तरीके से जांच कराने से बचने की वजह से लोगों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है. लापरवाह रवैये के कारण समय पर जांच नहीं होने से जहां कुछ लोगों को जीवन से हाथ धोना पड़ रहा है, वहीं कुछ लोगों की इलाज मिलने के बाद भी मौत हो रही है. क्योंकि शुरुआती लक्षणों की अनदेखी करने पर जब लक्षण बहुत अधिक बढ़ जाते हैं तब ऐसी स्थिति में अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को बचा पाना बहुत मुश्किल होता है.

गांधी अस्पताल में भर्ती 100 से अधिक मरीज मौत से संघर्ष कर रहे हैं, इन्हें आखिरी क्षणों में भर्ती कराया गया था. जबकि हजारों लोग जिन्होंने समय पर जांच कराई और पॉजिटिव पाए गए थे, उनका उसी अस्पताल में सफलतापूर्वक इलाज हुआ और संक्रमण मुक्त होकर जी रहे हैं.

शुरुआत में, जैसे-जैसे दिन गुजर रहे थे बहुत सारे लोग घातक कोरोना वायरस को हल्के में ले रहे थे. इसके परिणाम स्वरूप ऐसे लोगों ने इसके किसी लक्षण को गंभीरता से नहीं लिया. इसी अनदेखी के कारण वे इस वायरस से बुरी तरह से संक्रमित होकर गंभीर रूप से खतरे में पड़ गए.

हालांकि, कुछ लोगों को 4-5 दिन से तेज बुखार या लगातार खांसी थी लेकिन उन लोगों ने कोई प्रवाह नहीं की और कोरोना संक्रमण के शिकार हो गए हैं. वे इसके उपचार के लिए गोलियां खाकर खुद इलाज करने की कोशिश कर रहे हैं. जल्दी ही दूसरे हफ्ते में ये लक्षण बढ़ जाते हैं और वायरस फेफड़ों को प्रभावित करना शुरू कर देते हैं. अचानक सांस लेने में कठिनाई शुरू हो जाती है और निमोनिया जैसी बीमारी हो जाती है. धीरे-धीरे स्थिति और बिगड़ने लगती है और संक्रमित व्यक्ति बिना ऑक्सीजन के सांस नहीं ले पाते हैं, जिसके बाद उसे वेंटिलेटर पर रखा जाता है. ऐसे लोगों के बचने का प्रतिशत बहुत कम है.

जितने जल्दी आप सजग हो जाएं...

मेडिकल रिसर्च काउंसिल ऑफ इंडिया (ICMR) के दिशा-निर्देश के अनुसार, जैसे ही कोरोना के लक्षण दिखाई दें, डॉक्टरों को कोराना है या नहीं इसकी जांच कराने की सलाह देनी चाहिए. खांसी, बुखार, ठंड, गला सूखना, शरीर में दर्द, सूंघने की शक्ति खत्म होना, ठीक से सांस नहीं ले पाना आदि किसी भी तरह का लक्षण होने पर किसी के लिए भी तत्काल कोरोना वायरस की जांच जरूरी है.

यदि किसी व्यक्ति की जांच होती है और हल्के लक्षण सामने आते हैं तो उसका सफलतापूर्वक इलाज हो जाने की पूरी गुंजाइश है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो इससे जुड़े हर लक्षण दिखने लगेंगे और धीरे-धीरे यह मौत के मुंह में ले जाएंगे. शरीर में संक्रमण नहीं फैले इसके लिए लोगों को सतर्क रहने और प्रारंभिक स्तर पर ही एहतियात बरतने की जरूरत है.

गांधी अस्पताल ऐसे मरीजों से भरा हुआ है...

हैदराबाद के गांधी अस्पताल में 800 से भी अधिक ऐसे मरीजों का इलाज चल रहा है जो कोरोना पॉजिटिव थे. इनमें से करीब 100 मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा गया है. अन्य 350 मरीजों को ऑक्सीजन दिया जा रहा है.

चिकित्सकों का कहना है कि उनकी स्थिति शुरुआत में कोरोना वायरस के लक्षणों की उपेक्षा करने की वजह से खराब हुई. अन्य की ऐसी स्थिति में जांच हुई जब गंभीर स्वास्थ समस्या पैदा हो सकती है. इन मरीजों ने बिना उचित जानकारी के घर पर ही इस बीमारी के इलाज के लिए दवा ली.

गांधी अस्पताल के अलावा किंग कोठी, चेस्ट हॉस्पिटल, फीवर हॉस्पिटल और कई आयुर्वेदिक अस्पतालों में भी बहुत सारे ऐसे मरीज हैं.

हैदराबाद : तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के जीडीमेटला का रहने वाले एक आदमी कुछ दिनों पहले किसी काम के लिए विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) गया. जैसे ही वह हैदराबाद लौटा, उसे बुखार हो गया. इसके बाद जल्द ही उसके पिता ने भी बुखार की शिकायत की. जब उसके पिता ने डॉक्टर से संपर्क किया तो उसने उन्हें खून की कमी बताई और स्वस्थ होने के लिए खून चढ़वाने की सलाह दी. इस तरह पिता-पुत्र दोनों उचित जांच कराने से बचे रहे.

साथियों के दबाव के बाद पिता-पुत्र दोनों ने कोरोना की जांच के लिए अपने नमूने दिए. जांच में नमूने पॉजिटिव निकले. उसके अगले ही दिन उसकी बहन की जांच हुई तो वह भी पॉजिटिव निकली. तत्काल पिता-पुत्र दोनों शहर के चेस्ट हॉस्पिटल में भर्ती हुए. उसके बाद जब पिता की स्थिति खराब होने लगी तो उन्हें गांधी अस्पताल ले जाया गया. वहां उनका लगभग एक सप्ताह तक इलाज चला, तब जाकर उनका स्वास्थ सुधरा.

लोगों का कहना है कि यदि पहले दिन बेटे ने जांच करा ली होती तो परिवार के अन्य लोगों को संक्रमित करने वाला वायरस केवल उसी तक सीमित रहता.

हैदराबाद के आरटीसी कॉलोनी के रहने वाले एक व्यक्ति ने कोरोना के लक्षणों की उपेक्षा की और उसने अपनी तत्काल जांच नहीं कराई. बाद में जांच कराने पर पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ वह कोरोना पॉजिटिव निकला. एक अस्पताल में इलाज के दौरान पहले पत्नी की मौत हो गई और फिर मंगलवार को उसने भी दम तोड़ दिया.

ईनाडू- सिटी ब्यूरो चीफ प्रतिनिधि

तेलंगाना में बहुत सारे निवासी कोरोना वायरस के प्रत्यक्ष लक्षण माने जा रहे खांसी, बुखार और अन्य संकेतों की अनदेखी कर रहे हैं. सही तरीके से जांच कराने से बचने की वजह से लोगों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है. लापरवाह रवैये के कारण समय पर जांच नहीं होने से जहां कुछ लोगों को जीवन से हाथ धोना पड़ रहा है, वहीं कुछ लोगों की इलाज मिलने के बाद भी मौत हो रही है. क्योंकि शुरुआती लक्षणों की अनदेखी करने पर जब लक्षण बहुत अधिक बढ़ जाते हैं तब ऐसी स्थिति में अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को बचा पाना बहुत मुश्किल होता है.

गांधी अस्पताल में भर्ती 100 से अधिक मरीज मौत से संघर्ष कर रहे हैं, इन्हें आखिरी क्षणों में भर्ती कराया गया था. जबकि हजारों लोग जिन्होंने समय पर जांच कराई और पॉजिटिव पाए गए थे, उनका उसी अस्पताल में सफलतापूर्वक इलाज हुआ और संक्रमण मुक्त होकर जी रहे हैं.

शुरुआत में, जैसे-जैसे दिन गुजर रहे थे बहुत सारे लोग घातक कोरोना वायरस को हल्के में ले रहे थे. इसके परिणाम स्वरूप ऐसे लोगों ने इसके किसी लक्षण को गंभीरता से नहीं लिया. इसी अनदेखी के कारण वे इस वायरस से बुरी तरह से संक्रमित होकर गंभीर रूप से खतरे में पड़ गए.

हालांकि, कुछ लोगों को 4-5 दिन से तेज बुखार या लगातार खांसी थी लेकिन उन लोगों ने कोई प्रवाह नहीं की और कोरोना संक्रमण के शिकार हो गए हैं. वे इसके उपचार के लिए गोलियां खाकर खुद इलाज करने की कोशिश कर रहे हैं. जल्दी ही दूसरे हफ्ते में ये लक्षण बढ़ जाते हैं और वायरस फेफड़ों को प्रभावित करना शुरू कर देते हैं. अचानक सांस लेने में कठिनाई शुरू हो जाती है और निमोनिया जैसी बीमारी हो जाती है. धीरे-धीरे स्थिति और बिगड़ने लगती है और संक्रमित व्यक्ति बिना ऑक्सीजन के सांस नहीं ले पाते हैं, जिसके बाद उसे वेंटिलेटर पर रखा जाता है. ऐसे लोगों के बचने का प्रतिशत बहुत कम है.

जितने जल्दी आप सजग हो जाएं...

मेडिकल रिसर्च काउंसिल ऑफ इंडिया (ICMR) के दिशा-निर्देश के अनुसार, जैसे ही कोरोना के लक्षण दिखाई दें, डॉक्टरों को कोराना है या नहीं इसकी जांच कराने की सलाह देनी चाहिए. खांसी, बुखार, ठंड, गला सूखना, शरीर में दर्द, सूंघने की शक्ति खत्म होना, ठीक से सांस नहीं ले पाना आदि किसी भी तरह का लक्षण होने पर किसी के लिए भी तत्काल कोरोना वायरस की जांच जरूरी है.

यदि किसी व्यक्ति की जांच होती है और हल्के लक्षण सामने आते हैं तो उसका सफलतापूर्वक इलाज हो जाने की पूरी गुंजाइश है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो इससे जुड़े हर लक्षण दिखने लगेंगे और धीरे-धीरे यह मौत के मुंह में ले जाएंगे. शरीर में संक्रमण नहीं फैले इसके लिए लोगों को सतर्क रहने और प्रारंभिक स्तर पर ही एहतियात बरतने की जरूरत है.

गांधी अस्पताल ऐसे मरीजों से भरा हुआ है...

हैदराबाद के गांधी अस्पताल में 800 से भी अधिक ऐसे मरीजों का इलाज चल रहा है जो कोरोना पॉजिटिव थे. इनमें से करीब 100 मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा गया है. अन्य 350 मरीजों को ऑक्सीजन दिया जा रहा है.

चिकित्सकों का कहना है कि उनकी स्थिति शुरुआत में कोरोना वायरस के लक्षणों की उपेक्षा करने की वजह से खराब हुई. अन्य की ऐसी स्थिति में जांच हुई जब गंभीर स्वास्थ समस्या पैदा हो सकती है. इन मरीजों ने बिना उचित जानकारी के घर पर ही इस बीमारी के इलाज के लिए दवा ली.

गांधी अस्पताल के अलावा किंग कोठी, चेस्ट हॉस्पिटल, फीवर हॉस्पिटल और कई आयुर्वेदिक अस्पतालों में भी बहुत सारे ऐसे मरीज हैं.

Last Updated : Jul 31, 2020, 7:37 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.