श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और नेशनल पैंथर्स पार्टी (एनपीपी) ने जम्मू-कश्मीर के बाहर के लोगों को केंद्र शासित प्रदेश में जमीन खरीदने का मार्ग सुगम बनाने वाले नए भूमि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए बुधवार को अलग-अलग प्रदर्शन किया.
महासचिव एवं पूर्व विधायक सुरिंदर चौधरी के नेतृत्व में पीडीपी कार्यकर्ताओं ने तिरंगा और पार्टी का झंडा थाम कर गांधी नगर स्थित पीडीपी मुख्यालय से नए भूमि कानून के खिलाफ अपना विरोध जताते हुए रैली निकाली.
हालांकि, प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने मुख्य सड़क पर मार्च करने से रोक दिया और बाद में वह शांति से तितर-बितर हो गए.
पिछले सप्ताह रिहा होने के बाद पहली बार मीडिया से बात करते हुए पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती द्वारा तिरंगे झंडे के बारे मे दिये गये एक विवादास्पद बयान को लेकर उठे विवादों के बाद पार्टी द्वारा पहली बार यह कोई बड़ी राजनीतिक गतिविधि है.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने पिछले शुक्रवार को कहा था कि जब तक जम्मू-कश्मीर को लेकर पिछले साल पांच अगस्त को संविधान में किए गए बदलावों को वापस नहीं ले लिया जाता, तब तक उन्हें चुनाव लड़ने अथवा तिरंगा थामने में कोई दिलचस्पी नहीं है.
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को पिछले वर्ष अगस्त में समाप्त किए जाने के बाद से महबूबा हिरासत में थीं. रिहा होने के बाद पहली बार मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह तभी तिरंगा उठाएंगी, जब पूर्व राज्य का झंडा और संविधान बहाल किया जाएगा.
विवाद के बाद 26 अक्टूबर को पीडीपी के तीन वरिष्ठ नेताओं टी एस बाजवा, हसन अली वफा और वेद महाजन ने पीडीपी से इस्तीफा दे दिया था.
चौधरी ने कहा कि हमारा विरोध भाजपा की जनविरोधी नीतियों, खासकर नए भूमि कानून के खिलाफ है. यह जमीन हमारी आने वाली पीढ़ियों की है और भाजपा जम्मू की जनता को धोखा दे रही है और उन्हें गुमराह कर रही है.
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भाजपा पर जनविरोधी नीतियों को आगे बढ़ाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हम अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे. उन्होंने दावा किया कि मुफ्ती ने कभी नहीं कहा कि वह राष्ट्रीय ध्वज नहीं पकड़ेंगी.
इस बीच जेकेएनपीपी के अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री हर्षदेव सिंह ने भी यहां प्रदर्शनी मैदान के समीप प्रदर्शन का नेतृत्व किया और जम्मू-कश्मीर के लिए नये भूमि कानूनों को खारिज किया.
उन्होंने कहा कि यह अंतिम डोगरा शासक महाराज हरि सिंह के दृष्टिकोण का अपमान है, जिन्होंने स्थानीय लोगों की नौकरी एवं भूमि को बचाने के लिए 1927 में इसे राज्य विषय के रूप में पेश किया था. भगवा पार्टी ने लोगों की इच्छा के विरूद्ध नये कानून को मनमाने ढंग से अधिसूचित किया है.
सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि नये कानून से भू माफिया को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने केंद्र से मांग की कि लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप इस नये कानून को निरस्त किया जाए. प्रदर्शन खत्म करने से पहले पार्टी कार्यकताओं ने भाजपा विरोधी नारे लगाते हुए भगवा पार्टी के पुतले का दहन किया.