लखनऊ / जयपुर : कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच बस राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है. राजस्थान सरकार द्वारा बसों का बिल थमाने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इसका भुगतान कर दिया है. हालांकि, राजस्थान के परिवहन मंत्री ने दावा किया है कि 36 लाख में से सिर्फ 19 लाख का भुगतान किया गया है. इस मामले को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी कांग्रेस को खूब लताडा़ है.
दरअसल, राजस्थान के कोटा से उत्तर प्रदेश के आगरा और झांसी में छात्रों को परिवहन सेवा उपलब्ध कराने के एवज में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने राजस्थान परिवहन निगम को ₹36, 36,684 का भुगतान किया है. ईटीवी भारत के पास भुगतान संबंधित चेक की कॉपी मौजूद है. राजस्थान सरकार का यूपी सरकार को भेजा गया भुगतान के लिए पत्र गुरुवार शाम को सामने आया था. यूपी परिवहन निगम का कहना है कि बुधवार रात को ही आईसीआईसीआई बैंक के जरिए राजस्थान परिवहन को भुगतान कर दिया गया है. राजस्थान की 78 बसें छात्रों को लेकर यूपी के आगरा और झांसी पहुंचीं थीं.
इस बीच राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खचरियावास ने मीडिया को बताया है कि यूपी सरकार ने अब तक सिर्फ 19 लाख का ही भुगतान किया है. बाकी के पैसे अभी नहीं दिए गए हैं.
लॉक डाउन के दौरान कोटा में फंसे छात्रों को उत्तर प्रदेश वापस लाने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने सैकड़ों बसें चलाई थीं.
परिवहन निगम को उम्मीद थी कि यहां पर यूपी के 10,000 छात्र हो सकते हैं लेकिन इन बच्चों की संख्या कहीं ज्यादा थी. इसके बाद तात्कालिक तौर पर परिवहन निगम ने राजस्थान पथ परिवहन निगम की सहायता ली.
राजस्थान की 78 बसें छात्रों को लेकर यूपी के आगरा और झांसी पहुंचीं. इसके एवज में राजस्थान पथ परिवहन निगम ने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम को पत्र लिखकर 36,36,684 रुपए का भुगतान का अनुरोध किया.
कोटा से यूपी के छात्रों को लॉक डाउन में लाने के दौरान हमें अतिरिक्त बसों की आवश्यकता पड़ी थी. इसके लिए तात्कालिक तौर पर राजस्थान से बसें ली गई थीं. बच्चों को इन बसों से यूपी छोड़ा गया था.
इसके एवज में राजस्थान पथ परिवहन निगम ने भुगतान के लिए लेटर भेजा था जिसका भुगतान कर दिया है.
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कांग्रेस द्वारा बसों के भुगतान की मांग करने पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी कांग्रेस को खूब लताड़ा. मायावती ने टवीट करते हुए कहा कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार द्वारा कोटा से करीब 12000 युवा-युवतियों को वापस उनके घर भेजने पर हुए खर्च के रूप में यूपी सरकार से 36.36 लाख रुपए और देने की, जो मांग की है वह उसकी कंगाली व अमानवीयता को प्रदर्शित करता है.
दो पड़ोसी राज्यों के बीच ऐसी घिनौनी राजनीति अति-दुखःद है, लेकिन कांग्रेसी राजस्थान सरकार एक तरफ कोटा से यूपी के छात्रों को अपनी कुछ बसों से वापस भेजने के लिए मनमाना किराया वसूल रही है, तो दूसरी तरफ अब प्रवासी मजदूरों को यूपी में उनके घर भेजने के लिए बसों की बात करके जो राजनीतिक खेल खेल कर रही है यह कितना उचित व कितना मानवीय है?