देहरादून : आयुष विभाग की ओर से पतंजलि की दिव्य फार्मेसी को भेजे गए नोटिस के बाद अब पतंजलि योगपीठ अपने बयान से पलटती नजर आ रही है. पतंजलि योगपीठ के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने कहा है कि औषधि के लेबल पर कोई अवैध दावा नहीं किया गया है. उनका कहना है कि इम्यूनिटी बूस्टर का लाइसेंस लिया गया था और कोरोनिल टेबलेट, श्वसारि वटी और अणु तेल औषधि इम्यूनिटी बूस्टर का ही काम करते हैं.
पहले किया था कोरोना की दवा बनाने का दावा
बता दें कि दिव्य फार्मेसी ने पिछले मंगलवार को कोरोना की दवा बनाने का दावा किया था. जिसपर आयुष मंत्रालय ने संज्ञान लेते हुए पतंजलि को नोटिस भेज दवा के प्रचार-प्रसार पर रोक लगा दी थी. साथ ही, इससे संबंधित दस्तावेज तलब किए थे. इधर बीते बुधवार को उत्तराखंड आयुष विभाग ने दिव्य फार्मेसी को नोटिस भेज फार्मेसी को तत्काल कोरोना किट के प्रचार पर रोक लगाने और लेबल संशोधित करने के आदेश दिए थे. नोटिस का जवाब सात दिनों के भीतर देने को कहा गया था. आयुष विभाग का कहना था कि पतंजलि को इम्यूनिटी बूस्टर बनाने का लाइसेंस दिया गया था.
बालकृष्ण ने आयुष विभाग से किया सवाल
वहीं, आयुष विभाग की ओर से भेजे नोटिस पर योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि सरकार ने दिव्य फार्मेसी को जो नोटिस दिया है, उसका आधार क्या है, यदि आधार लेबल है तो पतंजलि के लेबल पर कोई गलत दावा नहीं है. बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि की दवा इन्यूनिटी बूस्टर का काम करती है. क्लीनिकल ट्रायल में इसके सेवन से कोरोना के कई मरीज ठीक हुए हैं और पतंजलि ने इम्यूनिटी बूस्टर का ही लाइसेंस लिया है.
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बालकृष्ण का कहना है कि उनके खिलाफ षड्यंत्र किया गया है. आयुष मंत्रालय अगर कहेगा कि क्लिनिकल ट्रायल दोबारा करो तो पतंजलि वह भी करने को तैयार है. उनका कहना है कि उन्होंने जिसके लिए लाइसेंस लिया वही काम किया है. उनके खिलाफ षड्यंत्र के तहत भ्रम फैलाया गया है. उन्होंने दुनिया के सामने अपनी दवाइयों के क्लिनिकल टेस्ट का परिणाम रखा. बालकृष्ण ने कहा कि क्लिनिकल ट्रायल का निम्स यूनिवर्सिटी ने खंडन नहीं किया है और अपने क्लिनिकल ट्रायल के बारे में बताया है.