नई दिल्ली : संसद में नागरिकता (संशोधन) विधेयक का पारित होना निश्चित तौर पर महात्मा गांधी के विचारों पर मोहम्मद अली जिन्ना के विचारों की जीत होगी. यह बात रविवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कही.
उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर नागरिकता देने से भारत 'पाकिस्तान का हिन्दुत्व संस्करण' भर बनकर रह जाएगा.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार 'एक समुदाय' को निशाना बना रही है और दूसरे धर्मों की तुलना में उस समुदाय के लोगों की उन्हीं स्थितियों में उत्पीड़न पर उन्हें शरण नहीं दे रही है.
थरूर ने एक साक्षात्कार में कहा कि अगर विधेयक को संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया भी जाता है तो उन्हें विश्वास है कि उच्चतम न्यायालय की कोई भी पीठ भारत के संविधान की मूल भावना का 'घोर उल्लंघन' नहीं होने देगी.
थरूर ने कहा, 'यह सरकार का शर्मनाक काम है, जिसने पिछले वर्ष राष्ट्रीय शरणार्थी नीति बनाने पर चर्चा करने से इनकार कर दिया, जिसे मैंने निजी सदस्य विधेयक के तौर पर प्रस्तावित किया था और तत्कालीन गृह मंत्री, गृह राज्यमंत्री और गृह सचिव के साथ निजी तौर पर साझा किया था.'
उन्होंने आरोप लगाया कि अचानक उन्होंने शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए आगे बढ़कर काम किया है, जबकि वास्तव में वे मूलभूत कदम भी नहीं उठाना चाहते, जो अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत शरणार्थी दर्जा तय करने में सुधार या शरणार्थियों से अच्छा व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है.
थरूर ने कहा, 'इससे स्पष्ट होता है कि यह महज कुटिल राजनीतिक चाल है ताकि भारत में एक समुदाय को निशाना बनाया जा सके. इससे हम पाकिस्तान का हिन्दुत्व संस्करण भर रह जाएंगे.'
विधेयक पर कांग्रेस के रूख के बारे में पूछने पर थरूर ने कहा, 'हालांकि, मैं पार्टी का आधिकारिक प्रवक्ता नहीं हूं, लेकिन मुझे विश्वास है कि कांग्रेस में हम सब मानते हैं कि नागरिकता संशोधन विधेयक न केवल संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत प्राप्त समानता और धार्मिक आधार पर भेदभाव नहीं करने की मूल भावना के खिलाफ है बल्कि भारत की अवधारणा पर भी हमला है.'
उन्होंने कहा कि भारत का स्वतंत्रता संग्राम इस आधार पर बंट गया कि क्या धर्म के आधार पर राष्ट्रीयता तय की जाए और जिन लोगों का उस सिद्धांत में विश्वास था उन्होंने पाकिस्तान की अवधारणा की वकालत की.
थरूर ने कहा, 'महात्मा गांधी, (जवाहर लाल) नेहरू, मौलाना (अबुल कलाम) आजाद, डॉक्टर अंबेडकर का इसके उलट विश्वास था कि धर्म का राष्ट्रीयता से कोई लेना-देना नहीं है.उन्होंने भारत की अवधारणा बनाई और उन्होंने सभी धर्मों, क्षेत्रों, जातियों और भाषाओं के लोगों के लिए स्वतंत्र देश का निर्माण किया.'
उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान में भारत का यह मूल विचार झलकता है, जिससे भाजपा छलावा करना चाहती है.
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इस तर्क के बारे में पूछने पर कि नागरिकता का आधार धर्म नहीं हो सकता, थरूर ने कहा कि भाजपा ने भारत में राष्ट्र के संबंध में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के विचारों के जड़ जमाने का रास्ता साफ किया है, जहां धर्म राष्ट्रीयता में समाहित है और ऐसा करके वे महात्मा गांधी, नेहरू, वल्लभभाई पटेल, आजाद, आंबेडकर और उनके समय के स्वतंत्रता सेनानियों की भारत की उस अवधारणा को खंडित कर रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने लड़ाई लड़ी थी.
उन्होंने कहा कि विधेयक हिन्दुओं की ऐतिहासिक विरासत के खिलाफ है, जिस पर वे गर्व करते हैं. थरूर ने कहा, 'स्वामी विवेकानंद ने शिकागो धर्म सम्मेलन में 1893 में कहा था कि वह उस देश के बारे में बात कर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं, जहां हर देश और धर्म के लोग अत्याचार सहने के बाद शरण पाते हैं.'