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कोरोना का खौफ : माता-पिता बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते

कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए जब लॉकडाउन हुआ तो स्कूल-कॉलेजों के दरवाजे भी बंद हो गए. जब बदले माहौल में स्कूल खुलेंगे, तो पढ़ने-पढ़ाने का तरीका बदल जाएगा. छात्रों के माता-पिता का कहना है कि बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में अभी सक्षम नहीं हैं. वे अपने बच्चों को स्कूल खुलने के बाद भेजना नहीं चाहते हैं. पढ़ें रिपोर्ट.

school after post corona pandemic
कोरोना के बाज बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे परिजन
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Published : Jun 7, 2020, 12:40 PM IST

हैदराबाद : देश भर में कोविड 19 के खतरे को देखते हुए स्कूलों को बंद रखा गया है. इस महामारी के साथ नए शैक्षणिक शत्र की शुरुआत एक चुनौती से कम नहीं है. दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने एक व्यापक लेख में लिखा है कि 'मानव संसाधन विकास मंत्री ने पाठ्यक्रम को कम करने का आग्रह किया है. दो बच्चों की मां रूचि जैन ने कहा कि जब स्कूल दोबारा खुलेंगे तो, हम अपने बच्चों को स्कूलों भेजने की जल्दी नहीं करेंगे, जब तक टीका विकसित नहीं हो जाता. बच्चों को घर पर ऑनलाइन शिक्षण का लाभ लेना बेहतर है. वे सामाजिक दूरी बनाए रखने के मानदंडों को समझने, मास्क का उपयोग करने और नियमित रूप से हाथ धोने के लिए बहुत छोटे हैं.

वह आगे कहती हैं कि इस महामारी को देखते हुए सिलेबस को 40% तक कम किया जाना चाहिए. ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए, स्कूल पाठ्यक्रम के एक भाग के रूप में ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करने के लिए मॉडल ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म का प्रावधान किया जाना चाहिए. ऑनलाइन शिक्षण वर्तमान की स्थिति को देखते हुए बेहतर है, कम से कम बच्चे सुरक्षित हैं.

दूसरी ओर शिक्षकों का मत है कि किंडरगार्टन और निम्न प्राथमिक वर्गों में छात्रों के मामले में एहतियाती उपायों के बारे में अत्यधिक सतर्कता और जागरूकता लोगों में पैदा करनी होगी. जो कक्षा में रहते हुए स्वच्छता बनाए रखने से अनभिज्ञ हैं.

दिल्ली के हंसराज डीएवी मॉडल स्कूल की शिक्षक ममता मित्तल ने बताया कि पोस्ट कोविड 19 स्कूल लर्निंग में काफी बदलाव किए जाएंगे. वर्तमान समय में शिक्षण-सीखने की प्रक्रिया में बदलाव आया है, लेकिन यह ऑनलाइन सीखने का माहौल बहुत उपयुक्त नहीं है. बहुत सारी चीजें हैं जो बच्चे के समग्र संस्कार में शामिल हैं. शिक्षकों और अभिभावकों के बीच बेहतर संबंध होगा क्योंकि अब माता-पिता यह समझते हैं कि बच्चे को पढ़ाना कितना कठिन है.

उन्होंने आगे कहा छात्रों के लिए माता-पिता के साथ वेबिनार और बातचीत करना चाहिए. चिकित्सा सुविधा बढ़ाई जानी चाहिए और एहतियाती उपायों का पालन किया जाना चाहिए, जिसमें स्कूलों और चिकित्सा कक्षों के कीटाणुनाशक और स्वच्छता शामिल हैं

पढ़ें- कोविड-19 : स्पेन को पीछे छोड़ भारत बना पांचवां सबसे प्रभावित देश

अप्पजय इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ने वाले कक्षा एक के छात्र की मां का भी यही मानना है कि जबतक वैक्सीन नहीं बनता वे अपने बच्चे को स्कूल नहीं भेजेंगी. वह आगे बताती हैं कि सरकार को एक ऑनलाइन शिक्षण मंच के साथ आना चाहिए. जूम या गूगल मीट से बचना चाहिए. पुराने छात्रों के लिए उचित कक्षा, व्याख्यान आयोजित किए जाने चाहिए और निम्न कक्षाओं के छात्रों के लिए, माता-पिता उन्हें सिखा सकते हैं और शिक्षक बेहतर समझ के लिए होमवर्क दे सकते हैं.

भारत एक अत्यधिक आबादी वाला देश है और स्कूल में सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करना लगभग असंभव है. बच्चों को सामाजिक दूरी समझाना, मास्क पहनना और उचित समय पर हाथ धोना कठिन हो जाएगा. सरकार को स्कूल खोलने पर विचार करना चाहिए. वरिष्ठ कक्षा के छात्र लेकिन निम्न प्राथमिक कक्षा के छात्रों के लिए, इसे रोक कर रखा जाना चाहिए.

हैदराबाद : देश भर में कोविड 19 के खतरे को देखते हुए स्कूलों को बंद रखा गया है. इस महामारी के साथ नए शैक्षणिक शत्र की शुरुआत एक चुनौती से कम नहीं है. दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने एक व्यापक लेख में लिखा है कि 'मानव संसाधन विकास मंत्री ने पाठ्यक्रम को कम करने का आग्रह किया है. दो बच्चों की मां रूचि जैन ने कहा कि जब स्कूल दोबारा खुलेंगे तो, हम अपने बच्चों को स्कूलों भेजने की जल्दी नहीं करेंगे, जब तक टीका विकसित नहीं हो जाता. बच्चों को घर पर ऑनलाइन शिक्षण का लाभ लेना बेहतर है. वे सामाजिक दूरी बनाए रखने के मानदंडों को समझने, मास्क का उपयोग करने और नियमित रूप से हाथ धोने के लिए बहुत छोटे हैं.

वह आगे कहती हैं कि इस महामारी को देखते हुए सिलेबस को 40% तक कम किया जाना चाहिए. ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए, स्कूल पाठ्यक्रम के एक भाग के रूप में ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करने के लिए मॉडल ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म का प्रावधान किया जाना चाहिए. ऑनलाइन शिक्षण वर्तमान की स्थिति को देखते हुए बेहतर है, कम से कम बच्चे सुरक्षित हैं.

दूसरी ओर शिक्षकों का मत है कि किंडरगार्टन और निम्न प्राथमिक वर्गों में छात्रों के मामले में एहतियाती उपायों के बारे में अत्यधिक सतर्कता और जागरूकता लोगों में पैदा करनी होगी. जो कक्षा में रहते हुए स्वच्छता बनाए रखने से अनभिज्ञ हैं.

दिल्ली के हंसराज डीएवी मॉडल स्कूल की शिक्षक ममता मित्तल ने बताया कि पोस्ट कोविड 19 स्कूल लर्निंग में काफी बदलाव किए जाएंगे. वर्तमान समय में शिक्षण-सीखने की प्रक्रिया में बदलाव आया है, लेकिन यह ऑनलाइन सीखने का माहौल बहुत उपयुक्त नहीं है. बहुत सारी चीजें हैं जो बच्चे के समग्र संस्कार में शामिल हैं. शिक्षकों और अभिभावकों के बीच बेहतर संबंध होगा क्योंकि अब माता-पिता यह समझते हैं कि बच्चे को पढ़ाना कितना कठिन है.

उन्होंने आगे कहा छात्रों के लिए माता-पिता के साथ वेबिनार और बातचीत करना चाहिए. चिकित्सा सुविधा बढ़ाई जानी चाहिए और एहतियाती उपायों का पालन किया जाना चाहिए, जिसमें स्कूलों और चिकित्सा कक्षों के कीटाणुनाशक और स्वच्छता शामिल हैं

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अप्पजय इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ने वाले कक्षा एक के छात्र की मां का भी यही मानना है कि जबतक वैक्सीन नहीं बनता वे अपने बच्चे को स्कूल नहीं भेजेंगी. वह आगे बताती हैं कि सरकार को एक ऑनलाइन शिक्षण मंच के साथ आना चाहिए. जूम या गूगल मीट से बचना चाहिए. पुराने छात्रों के लिए उचित कक्षा, व्याख्यान आयोजित किए जाने चाहिए और निम्न कक्षाओं के छात्रों के लिए, माता-पिता उन्हें सिखा सकते हैं और शिक्षक बेहतर समझ के लिए होमवर्क दे सकते हैं.

भारत एक अत्यधिक आबादी वाला देश है और स्कूल में सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करना लगभग असंभव है. बच्चों को सामाजिक दूरी समझाना, मास्क पहनना और उचित समय पर हाथ धोना कठिन हो जाएगा. सरकार को स्कूल खोलने पर विचार करना चाहिए. वरिष्ठ कक्षा के छात्र लेकिन निम्न प्राथमिक कक्षा के छात्रों के लिए, इसे रोक कर रखा जाना चाहिए.

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