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कमला पुजारी : महिला किसानों के लिए प्रेरणास्रोत

ओडिशा के कोरापुट जिले की रहने वाली कमला पुजारी महिला किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं. कमला कई वर्षों से विलुप्त प्रजाति के धान की किस्म की सुरक्षा के लिए काम कर रहीं हैं. इस दौरान तीन सौ से अधिक प्रकार की फसलों के बीज इकट्ठा किए हैं. इसके लिए उन्हें पिछले साल पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा किया. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Mar 2, 2020, 8:44 PM IST

Updated : Mar 3, 2020, 5:05 AM IST

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कमला पुजारी

भुवनेश्वर : ओडिशा के कोरापुट जिले की रहने वाली कमला पुजारी को कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व काम के लिए केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा था. इससे पहले, उन्हें 2004 में ओडिशा राज्य सरकार द्वारा 'सर्वश्रेष्ठ महिला किसान' सहित कई पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है.

जैविक खेती के लिए विख्यात कमला पुजारी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'मैंने विभिन्न क्षेत्रों से कई प्रकार की फसलों के बीज एकत्र किए हैं. इन बीजों को मैंने सहेज कर रखा है.'

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

पारंपरिक खेती में दिलचस्पी रखने वाली कमला ने बताया, 'मैं जिन बीजों को इकट्ठा करती हूं. उन्हें पहले साफ करती हूं. इसके बाद बीजों को सूखने के लिए धूप में रखती हूं.'

स्वामीनाथ फांउडेशन के शोधकर्ता प्रशांत कुमार परिदा ने कहा, 'जब मैंने इस फाउंडेशन में काम शुरू किया था तो कमला पुजारी एक ऐसी महिला थीं, जिन्होंने पूरे दिल से हमारी मदद की. कमला ने हमें प्रयोग करने के लिए अपनी जमीन प्रदान की थी. उन्होंने हमें विभिन्न फसलों को प्रदान करने में भी मदद की.'

कोरोपुट के पूर्व कलेक्टर गदाधरा परिदा ने कहा कि एक आदिवासी महिला होने के बावजूद कमला पुजारी ने भविष्य की पीढ़ियों को पूर्वजों की खेती प्रक्रिया को बचाने के लिए उत्कृष्ट प्रयास किया है. उनके इस प्रयास से आने वाली पीढ़ियों को यह जानने में मदद मिलेगी कि हमारा कृषि इतिहास कितना समृद्ध था. उनका प्रयास दुनियाभर में प्रशंसनीय है.

ये भी पढ़ें-पद्म श्री विजेता किसान पारीक ने की जैविक खेती की अपील

बता दें कि आदिवासी होने के बावजूद कमला पुजारी पिछले 30 वर्षों से कृषि क्षेत्र में काम कर रही हैं. विलुप्त प्रजाति के धान की किस्म की सुरक्षा के लिए वर्षों से काम कर रहीं कमला ने इस दौरान तीन सौ से अधिक प्रकार की फसलों के बीज इकट्ठा किए हैं.

भुवनेश्वर : ओडिशा के कोरापुट जिले की रहने वाली कमला पुजारी को कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व काम के लिए केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा था. इससे पहले, उन्हें 2004 में ओडिशा राज्य सरकार द्वारा 'सर्वश्रेष्ठ महिला किसान' सहित कई पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है.

जैविक खेती के लिए विख्यात कमला पुजारी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'मैंने विभिन्न क्षेत्रों से कई प्रकार की फसलों के बीज एकत्र किए हैं. इन बीजों को मैंने सहेज कर रखा है.'

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

पारंपरिक खेती में दिलचस्पी रखने वाली कमला ने बताया, 'मैं जिन बीजों को इकट्ठा करती हूं. उन्हें पहले साफ करती हूं. इसके बाद बीजों को सूखने के लिए धूप में रखती हूं.'

स्वामीनाथ फांउडेशन के शोधकर्ता प्रशांत कुमार परिदा ने कहा, 'जब मैंने इस फाउंडेशन में काम शुरू किया था तो कमला पुजारी एक ऐसी महिला थीं, जिन्होंने पूरे दिल से हमारी मदद की. कमला ने हमें प्रयोग करने के लिए अपनी जमीन प्रदान की थी. उन्होंने हमें विभिन्न फसलों को प्रदान करने में भी मदद की.'

कोरोपुट के पूर्व कलेक्टर गदाधरा परिदा ने कहा कि एक आदिवासी महिला होने के बावजूद कमला पुजारी ने भविष्य की पीढ़ियों को पूर्वजों की खेती प्रक्रिया को बचाने के लिए उत्कृष्ट प्रयास किया है. उनके इस प्रयास से आने वाली पीढ़ियों को यह जानने में मदद मिलेगी कि हमारा कृषि इतिहास कितना समृद्ध था. उनका प्रयास दुनियाभर में प्रशंसनीय है.

ये भी पढ़ें-पद्म श्री विजेता किसान पारीक ने की जैविक खेती की अपील

बता दें कि आदिवासी होने के बावजूद कमला पुजारी पिछले 30 वर्षों से कृषि क्षेत्र में काम कर रही हैं. विलुप्त प्रजाति के धान की किस्म की सुरक्षा के लिए वर्षों से काम कर रहीं कमला ने इस दौरान तीन सौ से अधिक प्रकार की फसलों के बीज इकट्ठा किए हैं.

Last Updated : Mar 3, 2020, 5:05 AM IST
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