नई दिल्ली : विश्व बैंक ने चार महीने पहले भविष्यवाणी की थी कि प्रति व्यक्ति आय में तेजी से गिरावट आएगी. करोड़ों लोग घोर गरीबी के शिकार हो जाएंगे. विश्व बैंक ने हाल ही में इसका आकलन किया है कि वर्ष 2021 के अंत तक ऐसी ही खराब स्थिति बनी रहेगी. इसने घोर गरीबी की स्थिति में रहने वाले विशेषकर दक्षिण एशिया और सहारा रेगिस्तान से लगे अफ्रीकी लोगों के लिए रणनीतियों और विकास योजनाओं में बदलाव का आह्वान किया है.
वास्तव में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने भारत के लिए और गंभीर स्थिति की भविष्यवाणी की है. मोटे तौर पर अनुमान जताया है कि रोजगार के नुकसान को देखते हुए 40 करोड़ श्रमिक देश में अत्यधिक गरीबी की स्थिति में रहने के लिए मजबूर होंगे. एशियाई विकास बैंक और फिच जैसी रेटिंग एजेंसियों के साथ-साथ विश्व बैंक ने भी यह अनुमान लगाया है कि घरेलू वित्तीय क्षेत्र में 9-9.6 प्रतिशत की गिरावट आएगी.
आजीविका मायावी अनिश्चितता की शिकार
कोरोना महामारी ने अब अर्थव्यवस्था को एक स्थायी चोट पहुंचाई है जो पहले से ही एक वास्तविक मंदी से कराह रही थी. करोड़ों कामगार और उन पर आश्रित जिनके पास कोई स्थाई आय नहीं है वे सभी एक भविष्य की आजीविका की मायावी अनिश्चितता के शिकार हैं. जब तक योजनाएं और कार्यक्रम लागू नहीं हो जाते और कोविड के बाद सामान्य स्थिति नहीं बहाल हो जाती, लगातार जारी संकट के दौरान दरिद्रता के शिकार हो गए करोड़ों लोगों की भूख कैसे बुझाई जाए?
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कोविड 19 के दौरान विभिन्न क्षेत्रों को नुकसान
कोविड संकट के दौरान विभिन्न क्षेत्रों को नुकसान उठाना पड़ा. बचाव का एक ही चारा था कि देश भर की पांच लाख राशन दुकानों को पूरे साल अनाज की आपूर्ति के लिए गोदाम खाद्दान्न को भरा रखा जाए. साथ में रबी की पैदावार की पर्याप्त उपलब्धता थी. सरकारों को इस असाधारण संकट को प्रभावी ढंग से तत्परता से दूर करने के लिए पैनी नजर रखने की जरूरत है.
80 करोड़ गरीब लोगों को मुफ्त अनाज मुहैया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खाद्दान्न का प्रचुर मात्रा में स्टॉक होने का भरोसा देते हुए घोषणा की है कि वह देश के 80 करोड़ गरीब लोगों को नवंबर के अंत तक मुफ्त अनाज और दालें मुहैया कराएंगे. सरकारों को संवेदनशील और मानवतावादी होना चाहिए. जिन लोगों की कोरोना महामारी के कारण नौकरियां चली गई हैं, इसके साथ ही जब तक सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो जाती और खुद सक्षम नहीं हो जाते, उनके परिवारों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
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पारदर्शी और न्यायोचित वितरण प्रणाली
युद्धस्तर पर हर राज्य में जिलावार यह पता लगाने के लिए सर्वेक्षण किया जाना चाहिए कि कितने लोगों की कोरोना की वजह से नौकरी गई है और वे घोर गरीबी से जूझ रहे हैं. यह सुनिश्चित करने के लिए कि जरूरतमंदों को ही राशन मिले, सही अर्थों में एक पारदर्शी और न्यायोचित वितरण प्रणाली अपनायी जानी चाहिए. केंद्र सरकार को खाद्यान्न की कुल लागत वहन करनी चाहिए. राज्य सरकारों को पूरी वितरण प्रक्रिया को ईमानदारी से संभालना चाहिए. इसका सख्ती से ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी बिचौलिया इसमें हस्तक्षेप न करे.
30 लाख लोगों की मौत
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बंगाल प्रांत भयंकर अकाल की चपेट में आ गया था. ब्रिटिश सरकार की नीतिगत विफलताओं के परिणामस्वरूप 30 लाख लोगों की मौत हुई थी जबकि उस समय भी अनाज से गोदाम भरे हुए थे. केवल पूरी तरह से दोष मुक्त और मजबूत कार्य योजना से करोड़ों पीड़ितों की जान बच पाएगी. इससे यह सुनिश्चित होगा कि वैसी गंभीर स्थिति फिर नहीं आए.