नई दिल्ली : आगामी 21 फरवरी को यह साफ हो जाएगा कि पाकिस्तान वैश्विक आतंकवाद विरोधी निगरानी कार्यबल (Financial Action Task Force) द्वारा ब्लैक लिस्ट किए जाने से बच पाएगा या नहीं.
पाकिस्तान पिछले साल अपने दोनों पूर्ण सत्रों के दौरान अपने सिर पर एफएटीएफ की झूलती हुई तलवार से तो बच गया, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान ने 27 सूत्रीय कार्ययोजना पर कोई प्रगति की है या नहीं.
पिछले साल अक्टूबर में अपने अंतिम पूर्ण सत्र के बाद, FATF के अध्यक्ष जियांगमिन ने पाकिस्तान को साफ हिदायत दी थी. उन्होंने कहा था कि अगर पाकिस्तान दिए गए 27 सूत्रीय कार्यक्रम को पूरा नहीं कर पाता तो उसे काली सूची में डाल दिया जाएगा.
पाकिस्तान को ब्लैक लिस्टेड होने की आशंका पर ईटीवी भारत से खास बातचीत में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के डायरेक्टर रिसर्च प्रो. हर्ष पंत ने दावा किया कि यह पाकिस्तान की कार्ययोजना के क्रियान्वयन पर निर्भर नहीं है.
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प्रो. पंत ने कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को वापस निकालने का अमेरिका से सौदा कर सकता है.
ओआरएफ अनुसंधान निदेशक ने यहां तक दावा किया कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्टेड किए जाने का अनुमान लगाने के लिए जुआ खेलने जैसा होगा. उन्होंने दावा किया कि इस तरह का निर्णय उस तरह की बातचीत पर निर्भर करता है, जो इमरान खान और ट्रम्प प्रशासन के बीच सामने आती है.
पाकिस्तान की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति ने, जो एफएटीएफ से संबंधित मामलों को संभालती है, एफएटीएफ के अनुपालन में बने रहने के लिए छह महीने की अवधि में अपने कानूनों में एक दर्जन से अधिक संशोधन करने का फैसला किया था.