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'एक देश एक चुनाव' : भारतीय मतदाता संगठन ने किया स्वागत - amendment in consitution

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'वन नेशन वन एलेक्शन' पर चर्चा करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई है. वे 16वीं लोकसभा के दौरान भी कई मौकों पर इसका जिक्र कर चुके हैं. ऐसे में नई सरकार बनने के बाद उनकी 'वन नेशन वन एलेक्शन' पर सर्वदलीय बैठक को अहम माना जा रहा है. जानें इसके अलग-अलग पहलू...

ईटीवी भारत से बात करते रिखब चंद जैन
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Published : Jun 18, 2019, 6:17 PM IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही 'एक देश एक चुनाव' के मुद्दे पर काम करना शुरू कर दिया है. जिसके लिए उन्होंने बुधवार को सभी दलों के अध्यक्षों की एक बैठक भी बुलाई है. हालांकि, तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इस बैठक से किनारा कर लिया है.

'वन नेशन वन एलेक्शन' के पहलुओं पर ईटीवी भारत ने भारतीय मतदाता संगठन के अध्यक्ष रिखब चंद जैन से बात की. उन्होंने कहा कि हम पीएम मोदी की पहल का स्वागत करते हैं. जैन का मानना है कि अगर ये निर्णय होता है तो इसका फायदा जनता, सरकार और राजनीतिक दलों को होगा.

ईटीवी भारत से बात करते रिखब चंद जैन

गौरतलब है कि 'भारतीय मतदाता संगठन' चुनाव सुधार और मतदाता जागरूकता के लिए लंबे समय से काम कर रही समाजिक संस्था है. संगठन के अध्यक्ष रिखब चंद जैन ने कहा कि इस मामले पर विपक्ष को बात करनी चाहिए ताकि उनके भ्रम मिट सकें.

जैन ने कहा कि इस प्रक्रिया के लिए संविधान में दो छोटे- छोटे संशोधन करने होंगे. उन्होंने कहा कि जब 2024 में लोकसभा चुनाव हो तो उस समय सभी विधानसभा चाहें उनका कार्यकाल पूरा हुआ हो या न हुआ हो सबको भंग करना पढ़ेगा.

पढ़ें- संसद की रणनीति बनाने सोनिया के आवास पर कांग्रेसी नेताओं की बैठक

इसके अलावा अगर भविष्य में कभी मध्यावधि चुनाव की आवश्यकता पढ़ जाए तो उस राज्य में मध्यावधि चुनाव पांच साल के लिए न करा कर उपचुनाव की तरह बचे हुए कार्यकाल के लिए करवाए जाएं. उन्होंने कहा कि अगर ये निर्णय होता है तो इसका फायदा जनता, सरकार और राजनीतिक दलों को होगा.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही 'एक देश एक चुनाव' के मुद्दे पर काम करना शुरू कर दिया है. जिसके लिए उन्होंने बुधवार को सभी दलों के अध्यक्षों की एक बैठक भी बुलाई है. हालांकि, तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इस बैठक से किनारा कर लिया है.

'वन नेशन वन एलेक्शन' के पहलुओं पर ईटीवी भारत ने भारतीय मतदाता संगठन के अध्यक्ष रिखब चंद जैन से बात की. उन्होंने कहा कि हम पीएम मोदी की पहल का स्वागत करते हैं. जैन का मानना है कि अगर ये निर्णय होता है तो इसका फायदा जनता, सरकार और राजनीतिक दलों को होगा.

ईटीवी भारत से बात करते रिखब चंद जैन

गौरतलब है कि 'भारतीय मतदाता संगठन' चुनाव सुधार और मतदाता जागरूकता के लिए लंबे समय से काम कर रही समाजिक संस्था है. संगठन के अध्यक्ष रिखब चंद जैन ने कहा कि इस मामले पर विपक्ष को बात करनी चाहिए ताकि उनके भ्रम मिट सकें.

जैन ने कहा कि इस प्रक्रिया के लिए संविधान में दो छोटे- छोटे संशोधन करने होंगे. उन्होंने कहा कि जब 2024 में लोकसभा चुनाव हो तो उस समय सभी विधानसभा चाहें उनका कार्यकाल पूरा हुआ हो या न हुआ हो सबको भंग करना पढ़ेगा.

पढ़ें- संसद की रणनीति बनाने सोनिया के आवास पर कांग्रेसी नेताओं की बैठक

इसके अलावा अगर भविष्य में कभी मध्यावधि चुनाव की आवश्यकता पढ़ जाए तो उस राज्य में मध्यावधि चुनाव पांच साल के लिए न करा कर उपचुनाव की तरह बचे हुए कार्यकाल के लिए करवाए जाएं. उन्होंने कहा कि अगर ये निर्णय होता है तो इसका फायदा जनता, सरकार और राजनीतिक दलों को होगा.

Intro:प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दूसरे चरण के शुरुआत में ही चुनाव सुधार के लिये देश भर में एक साथ चुनाव कराने की बात पर भी काम करना शुरू कर दिया है और इस बाबत बुधवार को सभी दलों के अध्यक्षों की एक बैठक भी बुलाई गई है ।
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि विपक्ष इस फैसले पर सरकार के साथ खड़ा नहीं हो पाएगा ।
एक देश-एक चुनाव की बात बेशक पिछले कुछ सालों से चर्चाओं में आई हो लेकिन देश भर में मतदाता जागरूकता और चुनाव सुधार के लिए काम कर रही संस्था 'भारतीय मतदाता संगठन' भी इस मुद्दे को लगातार कई सालों से उठाती रही है ।
ईटीवी भारत ने बातचीत की भारतीय मतदाता संगठन के अध्यक्ष रिखब चंद जैन से जिन्होंने 'एक देश-एक चुनाव' के लिए सभी पक्षों की आम सहमति बनाए जाने पर जोर दिया ।


Body:साथ ही मतदाता संगठन का ये भी कहना है कि इसे लागू करने के लिए संविधान में भी जरूरी संशोधन करने होंगे ।
लेकिन साथ ही रिखब चंद जैन ने ये भी बताया कि अगर ये निर्णय होता है तो इसका फायदा जनता, सरकार और राजनीतिक दलों को भी होगा ।
जहां एक तरफ देश भर में साल भर कहीं न कहीं किसी न किसी चुनाव का माहौल ही बना रहता है वहीं एक साथ चुनाव कराने से चुनाव बाद विकास कार्यों को गति मिलेगी और चुनावी खर्चे में भी कमी आएगी ।
देखिये भारतीय मतदाता संगठन के अध्यक्ष रिखब चंद जैन से ईटीवी भारत की ये विशेष बातचीत ।


Conclusion:
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