नई दिल्ली: नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने केन्द्र सरकार को साफ चेतावनी दी है कि अगर अनुच्छेद 35ए को खत्म किया गया, तो जम्मू-कश्मीर में अरुणाचल प्रदेश से भी खराब स्थिति हो जाएगी. अब्दुल्ला ने कहा कि केन्द्र सरकार की प्राथमिकता राज्य में चुनाव कराने की होनी चाहिए.
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पांच साल के बाद चुनाव करवा पाना कश्मीर के हालात से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निबटने का परीक्षण होगा.
अब्दुल्ला ने टि्वटर पर कहा, ‘क्या मोदी सरकार अलगावावादी ताकतों और आतंकियों के सामने घुटने टेकेगी, जो जम्मू-कश्मीर में हमेशा से ही चुनावों में बाधा और देरी पहुंचाते हैं या फिर चुनाव निर्धारित समय पर ही होंगे? यह समय प्रधानमंत्री मोदी के लिए बीते पांच वर्षों में कश्मीर को संभालने की परख का है.’
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उन मीडिया रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे जिनमें कहा गया था कि भारत के निर्वाचन आयुक्त इस बात का फैसला करेंगे कि क्या राज्य में लोकसभा चुनावों के साथ राज्य के चुनावों भी कराया जाए. अब्दुल्ला ने कहा कि एक बार को छोड़कर राज्य में 1995-96 से चुनाव निर्धारित अवधि में होते रहे हैं.
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क्या है अनुच्छेद 35 ए
अनुच्छेद 35 ए राज्य के नागरिकों को विशेषाधिकार प्रदान करता है. इसके अनुसार जो कोई भी 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक था या उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो, वही यहां का नागरिक माना जाएगा. इस दौरान जिसने संपत्ति भी खरीदी हो, उसे भी मान्यता मिलती रहेगी.
इसके अलावा किसी बाहरी को जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने का हक नहीं है. यदि कोई लड़की राज्य के बाहर के किसी लड़के से शादी करती है, तो उसके अधिकार खत्म हो जाते हैं. उनके बच्चों के भी संपत्ति के अधिकार नहीं मिलेंगे.
इसे राष्ट्रपति (डॉ राजेन्द्र प्रसाद) ने अपने एक आदेश के तहत पारित किया था. उसके बाद इसे धारा 370 का हिस्सा बना दिया गया. इस आदेश के राष्ट्रपति द्वारा पारित किए जाने के बाद भारत के संविधान में इसे जोड़ दिया गया. अनुच्छेद 35A धारा 370 का हिस्सा है.