भुवनेश्वर : रायगडा की युवा वैज्ञानिक प्रीतिप्रभा साहू पौधों में नाइट्रोजन के उपयोग को पूरी तरह से रोकने के लिए जर्मनी जाकर शोध करेंगी. नाइट्रोजन का उपयोग पौधों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए किया जा रहा है.
प्रीतिप्रभा जर्मन विश्वविद्यालय में शोध सहायक बनने वाली भारत की एकमात्र छात्रा हैं. प्रीति जर्मनी जाकर शोध करेंगी कि कैसे पौधे स्वयं नाइट्रोजन का उत्पादन कर सकते हैं, जिससे पूरी दुनिया प्रदूषण से मुक्त हो जाएगी.
प्रीतिप्रभा भारत से एकमात्र छात्रा हैं, जो शोध कार्य के लिए जर्मनी की छह सौ साल पुरानी लुडविग मैक्समिलन यूनिवर्सिटी (LMU) द्वारा आयोजित साक्षात्कार में चयनित हुईं हैं. प्रीतिप्रभा कहती हैं उन्हें एलएमयू विश्वविद्यालय में अनुसंधान सहायक के रूप में नियुक्ति भी मिली है.
उन्हें अपना शोध कार्य 14 सितंबर से शुरू करना है. वह अपना शोध जर्मनी के जाने-माने वैज्ञानिक प्रोफेसर मार्टिन पैनिस के मार्गदर्शन में करेंगी.
वह कहती हैं 2012 में एक कॉन्फ्रेंस के दौरान वह पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से मिली थीं, पूर्व राष्ट्रपति कलाम के विचार ने उनके सोचने का नजरिया बदल दिया. प्रीतिप्रभा कहती है चूंकि पौधे स्वयं नाइट्रोजन फॉस्फेट का उत्पादन करने में असमर्थ हैं इसलिए उन्हें उर्वरक के माध्यम से नाइट्रोजन उपलब्ध कराया जाता है.
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इससे न केवल मिट्टी की उर्वरता कम होती जा रही है, बल्कि अत्यधिक उर्वरकों के उपयोग उत्पादित फसलों और सब्जियों के सेवन से भी लोग कई बीमारियों का शिकार हो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि वह अपने शोध के माध्यम से वह इस बात पर ध्यान केंद्रित करेंगी कि कैसे पौधे नाइट्रोजन फॉस्फेट का उत्पादन करने में सक्षम होंगे और उत्पादकता बढ़ाने में मदद करेंगे.
उनकी इस उपलब्धि से प्रीतिप्रभा के माता-पिता बहुत खुश हैं. उनकी टीचर का कहना है कि शोध पूरा करने के बाद प्रीतिप्रभा भारत आकर विज्ञान के विकास के क्षेत्र में काम करेंगी.