नई दिल्ली : भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) ने कोविड-19 महामारी के कारण जो परीक्षार्थी प्रवेश परीक्षाओं में शामिल होने से चूक गए थे, उनके लिए फिर से परीक्षा की मांग की है. संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईईमेन) के लिए परीक्षा केंद्रों में कम उपस्थिति को देखते हुए यह मांग एक सितंबर, 2020 से शुरू हुई है.
राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) ने एक से छह सितंबर, 2020 तक जेईई मुख्य परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया था. जिसके बाद छात्रों ने परीक्षा के दिन केंद्रों पर उन्हें ले जाने के लिए सरकार पर बुनियादी व्यवस्था प्रदान करने में विफलता का आरोप लगाया.
छात्र संघ के सदस्यों ने कहा कि एक सितंबर, 2020 से शुरू होने वाली जेईई परीक्षाओं के लिए, केवल 65 प्रतिशत छात्र ही परीक्षा में शामिल हुए, जबकि देश के कई केंद्रों में न्यूनतम उपस्थिति 45 प्रतिशत से कम थी.
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छात्रों के लिए फिर से परीक्षा
जो छात्र जेईई मुख्य परीक्षाओं को देने से चुक गए हैं उनके शैक्षणिक सत्र को खराब होने से बचाने के लिए सरकार से फिर परीक्षा कराने की मांग की है. इसके साथ ही छात्रों ने इस परीक्षाओं के संचालन के लिए सरकार पर जल्दबाजी में निर्णय लेने और आवश्यक बुनियादी व्यवस्थाओं की कमी के कारण अनुपस्थित होने का आरोप लगाया है.
छात्र संघ के सदस्यों ने जेईई मुख्य परीक्षा आयोजित करने सरकार के इस फैसले की आलोचना की है. उनका कहना है कि महामारी और छात्रों के प्रदर्शन के बावजूद उन्होंने जेईई मुख्य परीक्षाओं का आयोजन किया.
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कम उपस्थिति ने दर्शाया सुविधाओं का अभाव
छात्र संघ के सदस्यों ने कहा है कि सरकार द्वारा परीक्षाओं के लिए परिवहन सुविधाएं दी गई थी तो परीक्षा केंद्र में कम उपस्थिती कैसे हुई. सरकार के बुनियादी सुविधाओं के अभाव के कारण छात्र परीक्षा में उपस्थित नहीं हो सके.