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डोभाल के आतंक के खिलाफ एकल एजेंसी वाले सुझाव पर जानें क्या कहते हैं रक्षा मामलों के जानकार

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा है कि भारत में आतंक रोधी एजेंसी की कमी होना एक बड़ी समस्या है. इस पर सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर बीके खन्ना ने डोभाल का समर्थन किया. उन्होंने कहा है कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की तरह, आतंक के खिलाफ एकल एजेंसी होनी चाहिए. पढ़ें पूरी खबर...

अजीत डोभाल ( फाइल फोटो)
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Published : Oct 15, 2019, 8:29 AM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने आतंकवाद से लड़ने के लिए तीन सूत्रीय योजना तैयार करने की बात कही है. इसके साथ ही उन्होंने आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए सिंगल कांउटर आतंकवादी एजेंसी पर भी जोर दिया.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के दो दिवसीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए डोभाल ने कहा कि हमें यह समझने की जरूरत है कि आतंकवादी कौन है, कौन से देश उनका समर्थन कर रहे हैं और वह वित्त पोषित कैसे हो रहे हैं.

बता दें, डोभाल आतंकवाद विरोधी दस्ते (ATS) और विशेष कार्य बल (STF) के प्रमुखों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि बिना प्रचार के आतंकवाद लंबे समय तक टिक नहीं पाएगा और उसका खात्मा हो जाएगा.

पाक कर रहा है आतंकवादियों का समर्थन
इस मुद्दे पर पूर्व ब्रिगेडियर बीके खन्ना ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि आतंकवाद को पाकिस्तान का इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) समर्थन करता है.

ईटीवी भारत से बात करते पूर्व ब्रिगेडियर

ब्रिगेडियर खन्ना ने कहा 'बांग्लादेश सरकार आतंकवाद के खिलाफ भारत की मदद कर रही है लेकिन आईएसआई आतंकवाद का समर्थन कर रहा है.'

उन्होंने डोभाल के एकल काउंटर आतंकवाद एजेंसी के विचार का भी समर्थन किया. ब्रिगेडियर ने कहा कि चीफ ऑफ डिफेंस की तरह सिंग्ल एनकाउंटर आतंकवाद एजेंसी भी होनी चाहिए.

ब्रिगेडियर बीके खन्ना ने कहा कि आतंकवादियों को पाकिस्तान मदद कर रहा है, जबकि भारत और बंग्लादेश साथ मिलकर इसके खिलाफ खड़े हैं.

ये भी पढ़ें : डोभाल का निशाना, बोले- FATF के कारण दबाव में पाक

इससे पहले एनएसए भारत के विभिन्न राज्यों से आने वाले आतंकवाद विरोधी दस्ता (एटीएस) और विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के प्रमुखों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि अगर किसी अपराधी के पास राज्य का समर्थन है, तो आतंकवाद से लड़ने के लिए यह एक बड़ी चुनौती है.

अजीत डोभाल ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ जंग में धारणा प्रबंधन एक अहम हिस्सा है और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पारदर्शी मीडिया नीति अपनाए जाने की वकालत की.

उन्होंने कहा, 'आतंकवाद के खिलाफ जंग में मीडिया बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा है. जैसा मार्गरेट थेचर (पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री) ने कहा, अगर आतंकवादी कार्रवाई करते हैं और मीडिया चुप रहता है तो आतंकवाद खत्म हो जाएगा.'

उन्होंने कहा, 'आतंकवादी लोगों को डराते हैं. अगर मीडिया नहीं लिखेगा तो किसी को पता नहीं चलेगा. अगर स्कूल जाते वक्त किसी के बेटे का अपहरण और हत्या हो जाती है और मीडिया इसे नहीं छापता तो लोगों को पता नहीं चलेगा.'

डोभाल ने कहा, इसलिए एक पारदर्शी मीडिया नीति होनी चाहिए और मीडिया को भरोसे में लिया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'यह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बेहद महत्वपूर्ण अंग है. मीडिया को भरोसे में लीजिए. हम क्योंकि उन्हें कई चीजें नहीं बताते हैं, इसलिए वे कयास लगाते हैं और लिखते हैं. इसलिए उन्हें जानकारी दीजिए, जिससे लोग खुद को आतंकवाद के खिलाफ तैयार कर सकें.'

एनएसए ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ जंग में अवधारणा प्रबंधन एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और 'किसी को मीडिया को संभालने और उन्हें जानकारी देने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए.'

ये भी पढ़ें : BH-JH समेत इन राज्यों में सक्रिय हुईं आतंकी संस्था JMB

उन्होंने कहा, 'यह (आतंक) क्यों हुआ, कैसे हुआ और क्या किया जा सकता है तथा सरकार क्या कर रही है. संभवत: वे (मीडिया) बेहद सहयोगी होंगे. जब भी आप उन्हें विश्वास में लेते हैं वे बेहद सहयोगी होते हैं. एक मीडिया नीति बनाइये.'

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि न्यायपालिका सामान्य आपराधिक मामलों की तरह ही आतंकवादी मामलों को भी देखती है और संकेत दिया कि यह सुरक्षा एजेंसियों के लिये एक चुनौती है.

भारत में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का जिक्र करते हुए डोभाल ने कहा कि पड़ोसी देश ने आतंकवाद को अपनी सरकारी नीति का एक हिस्सा बना लिया है, जो 'बहुत बड़ी चुनौती' है.

दूसरा, उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक तक पहुंच ने साक्ष्यों के संग्रहण को बेहद मुश्किल और जटिल बना दिया है, तीसरा 'न्यायपालिका का रुख जो आतंकवाद को सामान्य मामलों की तरह ही देखती है.'

एनएसए ने कहा, 'वे (न्यायालय) वही मानदंड और मानक अपनाते हैं. किसी मामले को बनाने के लिए आपको प्रत्यक्षदर्शी चाहिए. आतंकवाद के मामलों में आप कहां से प्रत्यक्षदर्शी लाएंगे? पहला, ऐसे मामलों में बेहद कम प्रत्यक्षदर्शी होते हैं. किसी आम नागरिक के लिये कुख्यात जैश-ए-मोहम्मद या लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी के खिलाफ गवाही देना बहुत-बहुत मुश्किल है.'

उन्होंने कहा कि आतंकवाद को आतंकवादियों से लड़कर, उनका वित्तपोषण बंद करके, हथियार छीनकर और उनकी लड़ने की क्षमता को घटाकर खत्म किया जा सकता है. डोभाल ने कहा, 'आतंकवादियों की मूल मंशा नागरिक समाज को आतंकित करने की होती है.'

नई दिल्ली : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने आतंकवाद से लड़ने के लिए तीन सूत्रीय योजना तैयार करने की बात कही है. इसके साथ ही उन्होंने आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए सिंगल कांउटर आतंकवादी एजेंसी पर भी जोर दिया.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के दो दिवसीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए डोभाल ने कहा कि हमें यह समझने की जरूरत है कि आतंकवादी कौन है, कौन से देश उनका समर्थन कर रहे हैं और वह वित्त पोषित कैसे हो रहे हैं.

बता दें, डोभाल आतंकवाद विरोधी दस्ते (ATS) और विशेष कार्य बल (STF) के प्रमुखों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि बिना प्रचार के आतंकवाद लंबे समय तक टिक नहीं पाएगा और उसका खात्मा हो जाएगा.

पाक कर रहा है आतंकवादियों का समर्थन
इस मुद्दे पर पूर्व ब्रिगेडियर बीके खन्ना ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि आतंकवाद को पाकिस्तान का इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) समर्थन करता है.

ईटीवी भारत से बात करते पूर्व ब्रिगेडियर

ब्रिगेडियर खन्ना ने कहा 'बांग्लादेश सरकार आतंकवाद के खिलाफ भारत की मदद कर रही है लेकिन आईएसआई आतंकवाद का समर्थन कर रहा है.'

उन्होंने डोभाल के एकल काउंटर आतंकवाद एजेंसी के विचार का भी समर्थन किया. ब्रिगेडियर ने कहा कि चीफ ऑफ डिफेंस की तरह सिंग्ल एनकाउंटर आतंकवाद एजेंसी भी होनी चाहिए.

ब्रिगेडियर बीके खन्ना ने कहा कि आतंकवादियों को पाकिस्तान मदद कर रहा है, जबकि भारत और बंग्लादेश साथ मिलकर इसके खिलाफ खड़े हैं.

ये भी पढ़ें : डोभाल का निशाना, बोले- FATF के कारण दबाव में पाक

इससे पहले एनएसए भारत के विभिन्न राज्यों से आने वाले आतंकवाद विरोधी दस्ता (एटीएस) और विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के प्रमुखों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि अगर किसी अपराधी के पास राज्य का समर्थन है, तो आतंकवाद से लड़ने के लिए यह एक बड़ी चुनौती है.

अजीत डोभाल ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ जंग में धारणा प्रबंधन एक अहम हिस्सा है और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पारदर्शी मीडिया नीति अपनाए जाने की वकालत की.

उन्होंने कहा, 'आतंकवाद के खिलाफ जंग में मीडिया बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा है. जैसा मार्गरेट थेचर (पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री) ने कहा, अगर आतंकवादी कार्रवाई करते हैं और मीडिया चुप रहता है तो आतंकवाद खत्म हो जाएगा.'

उन्होंने कहा, 'आतंकवादी लोगों को डराते हैं. अगर मीडिया नहीं लिखेगा तो किसी को पता नहीं चलेगा. अगर स्कूल जाते वक्त किसी के बेटे का अपहरण और हत्या हो जाती है और मीडिया इसे नहीं छापता तो लोगों को पता नहीं चलेगा.'

डोभाल ने कहा, इसलिए एक पारदर्शी मीडिया नीति होनी चाहिए और मीडिया को भरोसे में लिया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'यह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बेहद महत्वपूर्ण अंग है. मीडिया को भरोसे में लीजिए. हम क्योंकि उन्हें कई चीजें नहीं बताते हैं, इसलिए वे कयास लगाते हैं और लिखते हैं. इसलिए उन्हें जानकारी दीजिए, जिससे लोग खुद को आतंकवाद के खिलाफ तैयार कर सकें.'

एनएसए ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ जंग में अवधारणा प्रबंधन एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और 'किसी को मीडिया को संभालने और उन्हें जानकारी देने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए.'

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उन्होंने कहा, 'यह (आतंक) क्यों हुआ, कैसे हुआ और क्या किया जा सकता है तथा सरकार क्या कर रही है. संभवत: वे (मीडिया) बेहद सहयोगी होंगे. जब भी आप उन्हें विश्वास में लेते हैं वे बेहद सहयोगी होते हैं. एक मीडिया नीति बनाइये.'

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि न्यायपालिका सामान्य आपराधिक मामलों की तरह ही आतंकवादी मामलों को भी देखती है और संकेत दिया कि यह सुरक्षा एजेंसियों के लिये एक चुनौती है.

भारत में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का जिक्र करते हुए डोभाल ने कहा कि पड़ोसी देश ने आतंकवाद को अपनी सरकारी नीति का एक हिस्सा बना लिया है, जो 'बहुत बड़ी चुनौती' है.

दूसरा, उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक तक पहुंच ने साक्ष्यों के संग्रहण को बेहद मुश्किल और जटिल बना दिया है, तीसरा 'न्यायपालिका का रुख जो आतंकवाद को सामान्य मामलों की तरह ही देखती है.'

एनएसए ने कहा, 'वे (न्यायालय) वही मानदंड और मानक अपनाते हैं. किसी मामले को बनाने के लिए आपको प्रत्यक्षदर्शी चाहिए. आतंकवाद के मामलों में आप कहां से प्रत्यक्षदर्शी लाएंगे? पहला, ऐसे मामलों में बेहद कम प्रत्यक्षदर्शी होते हैं. किसी आम नागरिक के लिये कुख्यात जैश-ए-मोहम्मद या लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी के खिलाफ गवाही देना बहुत-बहुत मुश्किल है.'

उन्होंने कहा कि आतंकवाद को आतंकवादियों से लड़कर, उनका वित्तपोषण बंद करके, हथियार छीनकर और उनकी लड़ने की क्षमता को घटाकर खत्म किया जा सकता है. डोभाल ने कहा, 'आतंकवादियों की मूल मंशा नागरिक समाज को आतंकित करने की होती है.'

Intro:New Delhi: National Security Advisor (NSA) Ajit Doval on Monday mooted three points formula to fight against terrorism even as he emphasised for a single counter terrorism agency to fight against the menace.


Body:Addressing a two day long conference of the National Investigation Agency (NIA) in New Delhi, Doval said that one should recognise as to who are the terrorist, then which are the countries supporting them and how are the terrorist funded.

He was addressing the chiefs of anti terrorist squads (ATS) and special task force (STF) coming from different states across India.

He said that if a criminal has a support of a state, "It becomes a great challenge to fight terrorism."

Pointing that lack of a single anti terrorism agency is a major problem, Doval emphasised for a strong coordination between state ATS teams.

NIA director general Yogesh Chandra Modi, however, said that Bangladesh based Jaamat ul Mujahideen Bangladesh (JMB) have started looking for bases in Maharastra, Kerala, Bihar and Karnataka.

His statement assumes significance as the JMB have already make its presence in Assam, West Bengal and Jharkhand.

"These terrorists are taking the advantage of migrants coming from Bangladesh...names of 125 suspects have been shared with related agencies," said NIA DG.

The day one of the conference also pointed out that Zakir Naik and other few Islamic preachers have been instigating terrorism.


Conclusion:Talking to ETV Bharat, retired Brigadier BK Khanna said that Pakistan backed ISI is supporting terrorism.

"Governmnet of Bangladesh is helping India against terrorism but it's ISI who has been supporting terrorism," said Brigadier Khanna.

He also supported the idea for having a single counter terrorism agency.

"Like chief of defence staff (CDS) proposal, there should be a single counter terrorism agency," said Brigadier Khanna.

end.
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