कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक और एनआरसी को पूरे देश में लागू करने के प्रस्ताव को लेकर केन्द्र पर निशाना साधते हुए शुक्रवार को कहा कि यह संविधान के मौलिक सिद्धांत के खिलाफ है.
बनर्जी ने एनआरसी की वजह से राज्य में कम से कम 30 लोगों के आत्महत्या करने का दावा करते हुए कहा कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में नागरिकता को धर्म के आधार मान्यता नहीं दी जा सकती.
उन्होंने कहा कि अगर हर शरणार्थी को धर्म और समुदाय के आधार पर भेदभाव किए बिना नागरिकता दी जाती है तो वह इसका समर्थन करेंगी.
यह विधेयक नागरिकता अधिनियम,1955 में संशोधन का प्रस्ताव करता है. बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धार्मिक अत्याचार के चलते भारत आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का इसमें प्रावधान किया गया है, भले ही उनके पास उपयुक्त दस्तावेज नहीं हों.
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने पार्टी के एक कार्यक्रम में कहा कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और नागरिकता (संशोधन) विधेयक (कैब) का मुद्दा अर्थव्यवस्था में सुस्ती से ध्यान हटाने के लिए उठाया गया.
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मुख्यमंत्री ने कहा, 'एनआरसी और कैब एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. हम दोनों का पुरजोर विरोध करेंगे.'
कैब लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है लेकिन पूर्व लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही वह निरस्त हो गया.
उन्होंने कहा, 'आप (भाजपा) कैब को लोकसभा और राज्यसभा में पारित करा सकते हैं क्योंकि आपके पास बहुमत है. लेकिन हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे और अंत तक इसका विरोध करेंगे. धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं हो सकता. भारत धर्मनिरपेक्ष देश है.'
उत्तर प्रदेश के उन्नाव मामले का जिक्र करते हुए बनर्जी ने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार ने पीड़िता को सुरक्षा प्रदान नहीं की.
उन्नाव बलात्कार पीड़िता को अदालत जाते समय आग के हवाले कर दिया गया था
मुख्यमंत्री ने कहा, 'हैदराबाद और उन्नाव दोनों मामले शर्मनाक हैं. पीड़िताओं के लिए मेरा दिल रोता है. ऐसे अपराधों से निपटने के लिए कड़ा कानून होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि मैं महिलाओं के खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं करती पुलिस को मेरा स्थायी निर्देश है कि आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए और उन्हें 3-10 दिनों के भीतर आरोपपत्र सौंपा जाए.यह कानून है.