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अजमेर दरगाह बम कांड : स्वामी असीमानंद सहित 7 लोगों को दोबारा नोटिस जारी - Rajasthan High Court

राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर दरगाह बम कांड में विशेष अदालत से बरी हुए स्वामी असीमानंद सहित सात लोगों को फिर नोटिस जारी कर दिया है. कोर्ट ने यह आदेश सैयद सरवर चिश्ती की ओर से दायर लीव-टू-अपील पर सुनवाई करते हुए दिया.

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अजमेर दरगाह बम कांडः
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Published : Mar 4, 2020, 11:09 PM IST

जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर दरगाह बम कांड में एनआईए मामलों की विशेष अदालत से बरी हुए स्वामी असीमानंद सहित सात लोगों को पुन: नोटिस जारी किए हैं. इस मामले में आजीवन कारावास की सजा के अभियुक्त भावेश पटेल और देवेंद्र गुप्ता को जारी नोटिस की तामील हो गई है.

न्यायाधीश महेंद्र माहेश्वरी और न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में एफआईआर दर्ज कराने वाले सैयद सरवर चिश्ती की ओर से दायर लीव-टू-अपील पर सुनवाई करते हुए दिया.

अपील में कहा गया कि निचली अदालत ने बरी किए आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य माने थे, लेकिन उन्हें तकनीकी आधार पर बरी किया गया, जबकि इन पर राष्ट्रीय अखंडता को तोड़ने के आरोप थे. प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से पेश इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के संबंध में साक्ष्य अधिनियम के तहत सक्षम अधिकारी की ओर से जारी प्रमाण पत्र के अभाव में नहीं माना गया.

पढ़ेंः उपहार सिनेमा अग्निकांड: सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितों की क्यूरेटिव पिटीशन की खारिज

वहीं भावेश पटेल और देवेंद्र गुप्ता को भी फांसी की जगह आजीवन कारावास की सजा दी गई. गौरतलब है कि 11 अक्टूबर 2007 को अजमेर दरगाह में हुए बम विस्फोट में तीन लोगों की मौत हो गई थी. एनआईए कोर्ट ने 22 मार्च 2017 को दो अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए असीमानंद सहित सात आरोपियों को बरी कर दिया था.

हाईकोर्ट गत वर्ष 30 अगस्त को दोनों अभियुक्तों की अपील के निस्तारण तक आजीवन कारावास की सजा को स्थगित कर चुका है. इसके अलावा बाद में गिरफ्तार सुरेश नायर को एनआईए कोर्ट ने गत 19 दिसंबर को बरी किया था.

जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर दरगाह बम कांड में एनआईए मामलों की विशेष अदालत से बरी हुए स्वामी असीमानंद सहित सात लोगों को पुन: नोटिस जारी किए हैं. इस मामले में आजीवन कारावास की सजा के अभियुक्त भावेश पटेल और देवेंद्र गुप्ता को जारी नोटिस की तामील हो गई है.

न्यायाधीश महेंद्र माहेश्वरी और न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में एफआईआर दर्ज कराने वाले सैयद सरवर चिश्ती की ओर से दायर लीव-टू-अपील पर सुनवाई करते हुए दिया.

अपील में कहा गया कि निचली अदालत ने बरी किए आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य माने थे, लेकिन उन्हें तकनीकी आधार पर बरी किया गया, जबकि इन पर राष्ट्रीय अखंडता को तोड़ने के आरोप थे. प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से पेश इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के संबंध में साक्ष्य अधिनियम के तहत सक्षम अधिकारी की ओर से जारी प्रमाण पत्र के अभाव में नहीं माना गया.

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वहीं भावेश पटेल और देवेंद्र गुप्ता को भी फांसी की जगह आजीवन कारावास की सजा दी गई. गौरतलब है कि 11 अक्टूबर 2007 को अजमेर दरगाह में हुए बम विस्फोट में तीन लोगों की मौत हो गई थी. एनआईए कोर्ट ने 22 मार्च 2017 को दो अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए असीमानंद सहित सात आरोपियों को बरी कर दिया था.

हाईकोर्ट गत वर्ष 30 अगस्त को दोनों अभियुक्तों की अपील के निस्तारण तक आजीवन कारावास की सजा को स्थगित कर चुका है. इसके अलावा बाद में गिरफ्तार सुरेश नायर को एनआईए कोर्ट ने गत 19 दिसंबर को बरी किया था.

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