नई दिल्ली : नई शिक्षा नीति (NEP-2020) को लेकर कांग्रेस पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है. कांग्रेस नेता और पूर्व मानव संसाधन विकास (MHRD) मंत्री पल्लम राजू ने कहा है कि नई शिक्षा नीति से इस देश में एक डिजिटल अंतर पैदा होगा. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति- 2020 मुख्य रूप से ऑनलाइन शिक्षा पर केंद्रित है. इससे दूरस्थ शिक्षा का अनुपात 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत हो जाएगा.
पल्लम राजू ने कहा कि डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव और कंप्यूटर / इंटरनेट तक पहुंच नहीं न होने के कारण, यह डिजिटल डिवाइड बनकर गरीबों और वंचितों को शिक्षा से दूर ले जाएगा.
कांग्रेस नेता राजीव गौड़ा ने कहा, 'स्कूल शिक्षा पर एकीकृत जिला सूचना के आंकड़ों के अनुसार, सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों में से केवल 9.85 प्रतिशत छात्रों के पास एक कार्यात्मक कंप्यूटर है और केवल 4.09 प्रतिशत बच्चों के पास इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा.
यह आंकड़े खुद ही नई शिक्षा नीति में ऑनलाइन शिक्षा पर अत्यधिक निर्भरता पर पसवाल उठाते हैं.
वहीं, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि यह अनसूचित जाति/ जन जाति और अन्य पिछड़े वर्ग के सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों के लिए निहितार्थ होगा. नीति में यह छात्रों या शिक्षकों या अन्य कर्मचारियों के लिए आरक्षण का भी कोई उल्लेख नहीं किया गया है.
सुरजेवाला ने आगे कहा कि यह मानते हुए कि नई शिक्षा नीति शिक्षा को निजी संस्थानों तक सीमित कर देगी. साथ ही यह नीति एससी, एसटी और ओबीसी के लिए शैक्षिक अवसरों का और कोई विकल्प या रास्ता नहीं देती, जिसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक संस्थानों का संकोचन होता है.
पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि नई नीति सार्वजनिक शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा देती है, जो अनिवार्य रूप से सरकार से अनुदान के अभाव में फंड में कटौती, शुल्क वृद्धि और महंगी शिक्षा को बढ़ावा देगी और इससे शिक्षा मध्यम वर्ग और वंचितों के लिए पहुंच से बाहर हो जाएगी.
कोरोना वायरस महामारी के बीच सभी शैक्षणिक संस्थान बंद होने पर कांग्रेस नेताओं ने नई नीति के समय पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब लगभग सभी शैक्षणिक संस्थान बंद है, ऐसे में किसी भी अकादमिया से सलाह नहीं ली गई किसी से कोई विचार-विमर्श नहीं किया सिवाय आरएसएस के.
पल्लम राजू ने कहा कि ऐसी नीति पर जो हमारी वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करती है और यहां तक कि संसदीय निगरानी को भी प्रभावित करती है.
वहीं शिक्षा पर सार्वजनिक खर्च के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए वादों पर संदेह जताते हुए गौड़ा ने कहा कि नई नीति शिक्षा पर जीडीपी का 6 फीसदी खर्च करने की मांग करती है, जबकि सारकार शिक्षा पर केवल 2.14 प्रतिशत ही खर्च करती है, जो 2015 के बाद गिरकर 3.2 फीसदी रह गया.
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उन्होंने आगे कहा, 'यहां तक कि इस बजट की राशि में कोरोना महामारी के कारण 40 प्रतिशत की कटौती होगी, और शिक्षा पर कुल दो प्रतिशत खर्च होगा.
उन्होंने कहा कि सरकार के वादे और वादों को पूरे करने में कोई तालमेल नहीं है.
कांग्रेस ने कहा कि नई नीति का आंगनवाड़ी और पर गुणवत्ता देने पर बोझ डालेगा, जिससे श्रमिकों पर बोझ पडे़गा क्योंकि उनके पास वहां पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं.
गौड़ा ने कहा कि दिसंबर 2019 के आंकड़े बताते हैं कि 3.62 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों में शौचालय नहीं हैं और 1.59 लाख में पीने का पानी भी नहीं है.
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति उद्देश्य विश्वविद्यालयों की संवैधानिक स्वायत्तता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले को दरकिनार करती है.