नई दिल्ली : प्याज के आसमान छूते भाव से परेशान जनता के लिए बहरहाल राहत के आसार नहीं दिख रहे हैं. विशेषज्ञों की मानें तो सरकार ने बेशक सवा लाख टन प्याज के आयात को हरी झंडी दे दी है, लेकिन 15 जनवरी से पहले इस खेप की भारत आने संभावना नहीं दिख रही है.
ईटीवी भारत ने इस विषय पर किसान नेता चौधरी पुष्पेंद्र सिंह से बातचीत की. पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार ने कीमतों पर काबू पाने के लिए 1.2 लाख टन प्याज विदेशों से आयात करने का निर्णय लिया है.
इनमें से मिस्र तुर्की आदि देशों से कुल 21 हजार टन प्याज आयात के सौदे किए जा चुके हैं, लेकिन देश में लगभग 60,000 हज़ार टन प्रति दिन की मांग या खपत के मुकाबले यह काफी कम है. इतना ही नहीं प्याज की खेप को देश तक पहुंचने में भी समय लगेगा.
किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह का कहना है की प्याज की कम आवक व विलंबित आयात के कारण इसके दाम फिर से बढ़ने लगे हैं.
पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी किए गए, आंकड़ों के अनुसार इस साल अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 4.62% पर पहुंच गई है.यह पिछले 16 महीनों से सबसे ज्यादा है.
पढ़ें- 100 रुपये के पार हुई प्याज की कीमत, बढ़ते दामों से ग्राहक-व्यापारी दोनों परेशान
इसका मूल कारण खाद्य पदार्थों विशेषकर सब्जियों की महंगाई दर लगातार बढ़ना बताया गया है जबकि इसी साल की बात है, जब किसान कम कीमत मिलने के कारण सड़कों पर सब्जियां फेंकने पर मजबूर हुए थे.
सरकार ने हाल में प्याज की कीमतों पर काबू पाने के लिए भंडारण सीमा थोक व्यापारियों के लिए 500 क्विंटल और खुदरा व्यापारियों के लिए 100 क्विंटल तय कर दी थी. इसके साथ ही प्याज के निर्यात को भी पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया था.
बतौर पुष्पेंद्र सिंह, 'हमारे देश में सब्जियों का पर्याप्त उत्पादन होता है और यहां तक कि हम निर्यात करने वाले सबसे बड़े देशों में भी शुमार हैं. साल 2018-19 में 530 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ. इसी तरह प्याज का उत्पादन इस वर्ष 235 लाख टन और टमाटर का उत्पादन 194 लाख टन रहा.'
पढ़ें- प्याज के बाद अब लहुसन पहुंचा 200 के पार, सीजनल सब्जियां भी हुई महंगी
उन्होंने कहा, 'पिछले साल 22 लाख टन प्याज निर्यात कर हम विश्व के सबसे बड़े प्याज निर्यातक थे. आलू, प्याज व टमाटर की कीमतों को स्थिर रखने के लिए सरकार ने पिछले साल 500 करोड़ की योजना ऑपरेशन ग्रीन स्टॉप शुरू की थी, जिसका उद्देश्य एक तरफ उपभोक्ताओं को इन सब्जियों को उचित मूल्य पर उपलब्ध कराना था. दूसरी तरफ किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाना भी था.'
पुष्पेंद्र ने कहा, 'जाहिर तौर पर सरकार को इसके लिए और भी कदम उठाने होंगे. सबसे पहले तो हमें इन फसलों के उचित मात्रा में खरीद भंडारण और वितरण के लिए कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था करनी होगी. हमारे देश में लगभग 8000 कोल्ड स्टोरेज हैं, लेकिन इनमें से 90% में आलू का ही भंडारण किया जाता है यही कारण है कि आलू की कीमतों पर कभी अप्रत्याशित उछाल नहीं आता.'
उन्होंने कहा, 'टमाटर का लंबे समय तक भंडारण संभव नहीं है, फिर भी अच्छी मात्रा में इसे रखा जा सकता है. इसी तरीके से प्याज के भंडारण को भी बड़े पैमाने पर बढ़ाने की जरूरत है, जिससे कि किसानों और उपभोक्ताओं, दोनों के हितों की रक्षा की जा सके.'