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यूपी : मुजफ्फरनगर धर्मांतरण केस में आरोपी के खिलाफ नहीं मिले के सबूत

उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि मुजफ्फरनगर मामले में आरोपी नदीम के खिलाफ धर्मांतरण के साक्ष्य नहीं मिले हैं. सरकार ने जनहित याचिका को सुनवाई से अलग कर खारिज करने की मांग की है.

मुजफ्फरनगर केस
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Published : Jan 8, 2021, 10:10 AM IST

प्रयागराज : अवैध धर्मांतरण मामले की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार ने संक्षिप्त हलफनामा दाखिल कर कहा, नदीम के खिलाफ मुजफ्फरनगर में दर्ज प्राथमिकी की विवेचना में धर्मांतरण कराने के साक्ष्य नहीं मिले हैं. इसलिये पुलिस ने याची के खिलाफ भारतीय दंड संहित की धारा 504, 506 और 120 बी और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 3/5 के अंतर्गत आरोपपत्र कोर्ट में दाखिल किया है.

राज्य सरकार की प्रतिक्रिया
राज्य सरकार ने कहा है कि याची का मामला धर्मांतरण से जुड़ा नहीं है इसलिए इसे जनहित याचिका की सुनवाई से अलग किया जाए. सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि नदीम के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है इसलिए याचिका पोषणीय नहीं है, इसे खारिज की जाए. हालांकि, कोर्ट ने राज्य सरकार के इस हलफनामे पर विचार नहीं किया और सरकार को याचिका पर जवाब दाखिल करने का समय दिया है. साथ ही याचिका को सुनवाई के लिए 15 जनवरी को पेश करने का निर्देश दिया है. यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर और न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की खंडपीठ ने हरिद्वार, उत्तराखंड के निवासी नदीम की याचिका पर दिया है.

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पुलिस ने दाखिल की चार्जशीट
याची के खिलाफ मुजफ्फरनगर में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि याची शिकायतकर्ता की पत्नी के साथ अवैध संबंध बना रखे हैं और धर्मांतरण का दबाव बना रहा है. किन्तु पुलिस विवेचना में धर्मांतरण के आरोप के साक्ष्य नहीं मिले हैं. पुलिस ने भड़काने के आरोप में चार्जशीट दाखिल की है.

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पढ़ें : उप्र : लव जिहाद कानून की वैधता को कोर्ट में चुनौती, 15 जनवरी को सुनवाई

क्या कहना है शिकायतकर्ता का
शिकायतकर्ता अक्षय ने एफआईआर में कहा, मैं मूल रूप से ग्राम पुरा थाना मन्सूरपुर, जिला मुजफ्फरनगर का रहने वाला हूं. इस समय भगवानपुर, जिला हरिद्वार में यूरोलाइफ हेल्थकेयर कंपनी में लेबर उपलब्ध कराने का ठेकेदारी का कार्य करता हूं. पिछले पांच वर्ष से पत्नी पारुल व दो बच्चों सहित सम्राट कॉलोनी भगवानपुर में रहता था. यहां ग्राम फरौंदी, थाना भगवानपुर का रहने वाला नदीम लेबर का कार्य करता था, जिसका आना जाना मेरे घर पर रहता था. वहां उसकी मेरी पत्नी पारुल से जान पहचान हो गई. नदीम ने मेरी पत्नी को धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से प्रेम जाल में फंसा लिया है. प्रलोभन एवं दबाव बनाकर धर्म परिवर्तन कराने के लिए शादी करना चाहता है. प्रलोभन के तौर पर एक मोबाइल फोन अपने नाम से खरीदकर पारुल को दिया है, जिससे चोरी छुपे बात करता है.

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एफआईआर में आगे कहा गया है, नदीम का एक साथी भगवानपुर निवासी सलामान इस षड्यंत्र में शामिल है व उसका सहयोग कर रहा है. मेरे द्वारा बार-बार मना करने पर भी नहीं मान रहा है और मेरे साथ अभ्रद्र शब्दों का प्रयोग कर रहा है व मारने की धमकी दे रहा है. मेरी रिपोर्ट लिखकर कानूनी कार्रवाई करने की कृपा करें.

प्रयागराज : अवैध धर्मांतरण मामले की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार ने संक्षिप्त हलफनामा दाखिल कर कहा, नदीम के खिलाफ मुजफ्फरनगर में दर्ज प्राथमिकी की विवेचना में धर्मांतरण कराने के साक्ष्य नहीं मिले हैं. इसलिये पुलिस ने याची के खिलाफ भारतीय दंड संहित की धारा 504, 506 और 120 बी और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 3/5 के अंतर्गत आरोपपत्र कोर्ट में दाखिल किया है.

राज्य सरकार की प्रतिक्रिया
राज्य सरकार ने कहा है कि याची का मामला धर्मांतरण से जुड़ा नहीं है इसलिए इसे जनहित याचिका की सुनवाई से अलग किया जाए. सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि नदीम के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है इसलिए याचिका पोषणीय नहीं है, इसे खारिज की जाए. हालांकि, कोर्ट ने राज्य सरकार के इस हलफनामे पर विचार नहीं किया और सरकार को याचिका पर जवाब दाखिल करने का समय दिया है. साथ ही याचिका को सुनवाई के लिए 15 जनवरी को पेश करने का निर्देश दिया है. यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर और न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की खंडपीठ ने हरिद्वार, उत्तराखंड के निवासी नदीम की याचिका पर दिया है.

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याची के खिलाफ मुजफ्फरनगर में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि याची शिकायतकर्ता की पत्नी के साथ अवैध संबंध बना रखे हैं और धर्मांतरण का दबाव बना रहा है. किन्तु पुलिस विवेचना में धर्मांतरण के आरोप के साक्ष्य नहीं मिले हैं. पुलिस ने भड़काने के आरोप में चार्जशीट दाखिल की है.

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क्या कहना है शिकायतकर्ता का
शिकायतकर्ता अक्षय ने एफआईआर में कहा, मैं मूल रूप से ग्राम पुरा थाना मन्सूरपुर, जिला मुजफ्फरनगर का रहने वाला हूं. इस समय भगवानपुर, जिला हरिद्वार में यूरोलाइफ हेल्थकेयर कंपनी में लेबर उपलब्ध कराने का ठेकेदारी का कार्य करता हूं. पिछले पांच वर्ष से पत्नी पारुल व दो बच्चों सहित सम्राट कॉलोनी भगवानपुर में रहता था. यहां ग्राम फरौंदी, थाना भगवानपुर का रहने वाला नदीम लेबर का कार्य करता था, जिसका आना जाना मेरे घर पर रहता था. वहां उसकी मेरी पत्नी पारुल से जान पहचान हो गई. नदीम ने मेरी पत्नी को धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से प्रेम जाल में फंसा लिया है. प्रलोभन एवं दबाव बनाकर धर्म परिवर्तन कराने के लिए शादी करना चाहता है. प्रलोभन के तौर पर एक मोबाइल फोन अपने नाम से खरीदकर पारुल को दिया है, जिससे चोरी छुपे बात करता है.

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एफआईआर में आगे कहा गया है, नदीम का एक साथी भगवानपुर निवासी सलामान इस षड्यंत्र में शामिल है व उसका सहयोग कर रहा है. मेरे द्वारा बार-बार मना करने पर भी नहीं मान रहा है और मेरे साथ अभ्रद्र शब्दों का प्रयोग कर रहा है व मारने की धमकी दे रहा है. मेरी रिपोर्ट लिखकर कानूनी कार्रवाई करने की कृपा करें.

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