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असम NRC : विदेशी ट्रिब्यूनलों पर NGO ने उठाए गंभीर सवाल

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Published : Sep 18, 2019, 6:00 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 2:20 AM IST

31 अगस्त को प्रकाशित हुई राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) सूची में 19 लाख से ज्यादा लोग बाहर रह गए थे. इन नागरिकों के मामलों की सुनवाई असम राज्य सरकार द्वारा स्थापित विदेशी ट्रिब्यूनल करेंगे. इन ट्रिब्यूनलों पर 'United Against Hate' नाम की एक संस्था ने रिपोर्ट जारी की है, जिसमें विदेशी ट्रिब्यूनलों की कार्य प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं. पढ़ें पूरी खबर...

असम NRC

गुवहाटीः लगभग छह साल की कोशिशों के बाद असम NRC की अंतिम सूची 31 अगस्त, 2019 को प्रकाशित की गई. इस सूची से लगभग 19 लाख लोग बाहर रह गए. असम राज्य सरकार ने कहा है कि वह 400 विदेशी ट्रिब्यूनलों की स्थापना करेगी, जिससे सूची से बाहर रह गए लोगों के मामलों की सुनवाई की जा सके. इसी को लेकर एक गैर सरकारी संस्था 'United Against Hate' पिछले हफ्ते असम गई.

संस्था के सदस्यों ने बताया है कि ट्रिब्यूनलों की कार्यप्रणाली में तमाम तरह की अनियमितताएं हैं. संस्था के एक सदस्य नदीम खान ने कहा, 'जो लोग इन ट्रिब्यूनलों की अध्यक्षता कर रहे हैं वह स्वतंत्र रूप से काम करने के बजाय असम की सत्तारूढ़ पार्टी के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं.'

नदीम खान ने कहा कि जिनकी सूची में ज्यादा विदेशी नागरिक होते हैं, दो साल बाद उनके काम करने की समयसीमा बढ़ा दी जाती है. जिनकी सूची में विदेशी नहीं होते उन्हें दरकिनार कर दिया जाता है.

नियमों के अनुसार ट्रिब्यूनल के सदस्यों को दो साल के अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया जाता है. उनकी नियुक्ति का नवीनीकरण कार्यपालिका द्वारा किया जाता है.

बकौल नदीम खान, पिछले साल 19 ट्रिब्यूनल के प्रमुखों को हटा दिया गया था, क्योंकि वह जनादेश का पालन करते हुए मामलों पर गहराई के साथ कार्रवाई कर रहे थे.

असम NRC से जुड़ी नदीम खान के NGO की रिपोर्ट पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि 100-200 ट्रिब्यूनल असम NRC की अंतिम सूची में 19 लाख से अधिक लोगों को पुनः शामिल करने का काम कर सकते हैं. संजय हेगड़े ने कहा कि अगर एक-एक व्यक्ति के मामले पर सुनवाई की जाती है तो मुझे नहीं लगता कि यह प्रक्रिया बहुत जल्द पूरी होगी.

पढ़ें-हरियाणा में NRC लागू होगा : मनोहर लाल खट्टर

दक्षिण एशिया मानवाधिकार दस्तावेज केंद्र (SAHRDC) के कार्यकारी निदेशक रवि नायर ने कहा, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति के पास न्यायिक विशेषज्ञ हैं. बहुत जल्द एनआरसी से संबंधित भारत के रिकॉर्ड सुनवाई पर होगी. केंद्र सरकार सिर्फ असम में ही नहीं, इस प्रक्रिया को पूरे देश में लागू करने की तैयारी कर रही है.

गैर सरकारी संस्था 'United Against Hate' द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार NRC सूची से बाहर होने और संदिग्ध मतदाता की सूची में शामिल किए जाने पर विवाहित महिलाएं सबसे अधिक प्रताड़ित होती हैं. कांग्रेस विधायक इलियास अली की बेटी इमरान बेगम भी असम NRC की अंतिम सूची से बाहर रह गई हैं. हालांकि, उनके पूरे परिवार के सभी लोगों का नाम NRC की अंतिम सूची में शामिल हैं.

गुवहाटीः लगभग छह साल की कोशिशों के बाद असम NRC की अंतिम सूची 31 अगस्त, 2019 को प्रकाशित की गई. इस सूची से लगभग 19 लाख लोग बाहर रह गए. असम राज्य सरकार ने कहा है कि वह 400 विदेशी ट्रिब्यूनलों की स्थापना करेगी, जिससे सूची से बाहर रह गए लोगों के मामलों की सुनवाई की जा सके. इसी को लेकर एक गैर सरकारी संस्था 'United Against Hate' पिछले हफ्ते असम गई.

संस्था के सदस्यों ने बताया है कि ट्रिब्यूनलों की कार्यप्रणाली में तमाम तरह की अनियमितताएं हैं. संस्था के एक सदस्य नदीम खान ने कहा, 'जो लोग इन ट्रिब्यूनलों की अध्यक्षता कर रहे हैं वह स्वतंत्र रूप से काम करने के बजाय असम की सत्तारूढ़ पार्टी के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं.'

नदीम खान ने कहा कि जिनकी सूची में ज्यादा विदेशी नागरिक होते हैं, दो साल बाद उनके काम करने की समयसीमा बढ़ा दी जाती है. जिनकी सूची में विदेशी नहीं होते उन्हें दरकिनार कर दिया जाता है.

नियमों के अनुसार ट्रिब्यूनल के सदस्यों को दो साल के अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया जाता है. उनकी नियुक्ति का नवीनीकरण कार्यपालिका द्वारा किया जाता है.

बकौल नदीम खान, पिछले साल 19 ट्रिब्यूनल के प्रमुखों को हटा दिया गया था, क्योंकि वह जनादेश का पालन करते हुए मामलों पर गहराई के साथ कार्रवाई कर रहे थे.

असम NRC से जुड़ी नदीम खान के NGO की रिपोर्ट पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि 100-200 ट्रिब्यूनल असम NRC की अंतिम सूची में 19 लाख से अधिक लोगों को पुनः शामिल करने का काम कर सकते हैं. संजय हेगड़े ने कहा कि अगर एक-एक व्यक्ति के मामले पर सुनवाई की जाती है तो मुझे नहीं लगता कि यह प्रक्रिया बहुत जल्द पूरी होगी.

पढ़ें-हरियाणा में NRC लागू होगा : मनोहर लाल खट्टर

दक्षिण एशिया मानवाधिकार दस्तावेज केंद्र (SAHRDC) के कार्यकारी निदेशक रवि नायर ने कहा, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति के पास न्यायिक विशेषज्ञ हैं. बहुत जल्द एनआरसी से संबंधित भारत के रिकॉर्ड सुनवाई पर होगी. केंद्र सरकार सिर्फ असम में ही नहीं, इस प्रक्रिया को पूरे देश में लागू करने की तैयारी कर रही है.

गैर सरकारी संस्था 'United Against Hate' द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार NRC सूची से बाहर होने और संदिग्ध मतदाता की सूची में शामिल किए जाने पर विवाहित महिलाएं सबसे अधिक प्रताड़ित होती हैं. कांग्रेस विधायक इलियास अली की बेटी इमरान बेगम भी असम NRC की अंतिम सूची से बाहर रह गई हैं. हालांकि, उनके पूरे परिवार के सभी लोगों का नाम NRC की अंतिम सूची में शामिल हैं.

Intro:New Delhi: After six years of intense exercise, the final Assam NRC list was released on August 31, 2019, leaving out 19,06, 067 persons from the list. The state government had said that it will establish 400 Foreigners' Tribunals (FTs) in the state to deal with the cases of people, who have been excluded from the final.

But, according to a fact finding team of an NGO "United Against Hate", which visited the state last week, there are lots of anomalies and biases involved in the way these FTs are addressing these cases.

According to Nadeem Khan, member of United Against Hate, "Advocates or judges kumar heading these FTs are not acting independently but acting as political agents of the ruling party in Assam. Those whose list has more foreigners get an extension of the job after two years and those who don't are sidelined."

According to rules, the head of the FTs or members are appointed on a contractual basis of two years. Their job renewal is in the hands of the executive.


Body:"This becomes apparent with the removal of 19 FT heads last year. They were removed because they were performing according to the mandate and judging cases after due diligence," he added.

Senior Hegde, senior judge at Supreme Court said, "I don't think that anybody expects 100 or 200 FTs to complete the task of re-inclusion of more than 19 lakh people in the NRC."


Conclusion:Ravi Nair, executive director, South Asia Human Rights Document Centre said, "United Nations Human Rights Committee has judicial experts and very soon we will see a very strong indictment of India's record relating to the NRC."

"It is not just Assam, there is a devious purpose in this whole exercise and they (Centre) are now planning to do this across the country," he added.

According to the report compiled by the NGO, both in exclusion from NRC and in categorising as Doubtful Voter married women are the worst sufferers. Imran Began, daughter of sitting Congress MLA Ilias Ali has been excluded from NRC list but rest of her family have been included in the list.

Imran Ali married to Mozammil Hoque of Kharupetia in the district and the couple lives in front of father's house, tells fact finding team that women in state get married in young age and female child in family is generally excluded in property share makes them difficult to prove family legacy, since surname changes after the marriage.
Last Updated : Oct 1, 2019, 2:20 AM IST
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