हैदराबाद : एफ-1 वीजा पर अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले विदेशी छात्रों को झटका देते हुए अमेरिकी आव्रजन प्राधिकरण ने घोषणा की है कि उन विदेशी छात्रों को देश छोड़ना होगा या निर्वासित होने के खतरे का सामना करना होगा, जिनके विश्वविद्यालय कोरोना महामारी के चलते आगामी सेमेस्टर की पूर्ण रूप से ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करेंगे. इस कदम से हजारों भारतीय छात्र प्रभावित होंगे.
क्या होता है एफ-1 वीजा
अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले विदेशी छात्र एफ-1 वीजा पर यहां आते हैं. वहीं, अमेरिका में वोकेशनल या अन्य मान्यता प्राप्त गैर-शैक्षणिक संस्थानों में तकनीकी कार्यक्रमों में दाखिला लेने वाले छात्र (भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम से इतर) एम-1 वीजा पर यहां आते हैं.
एफ-1 वीजा पर आने वाले छात्रों को पूर्णकालिक छात्र की स्थिति के लिए न्यूनतम पाठ्यक्रम में शामिल होना जरूरी होता है. छात्र अपने शैक्षणिक कार्यक्रम की तय समय सीमा से लेकर 60 दिनों तक अमेरिका में रह सकते हैं, लेकिन इसके लिए ओपीटी प्रोग्राम के तहत कुछ समय के लिए रहने और काम करने के लिए आवेदन करना होता है.
क्यों चर्चा में है एफ-1 वीजा
अमेरिका ने उन छात्रों का वीजा नवीनीकरण करने से इनकार कर दिया है, जो अमेरिकी कॉलेजों या विश्वविद्यालयों से ऑनलाइन कक्षाओं में भाग ले रहे हैं. बीते 7 जुलाई को अमेरिका ने कहा था कि उन विदेशी छात्रों के वीजा का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा, जो कोविड-19 महामारी के कारण पूरी तरह से ऑनलाइन अध्ययन कर रहे हैं.
नया आदेश उन एफ-1 वीजा धारक छात्रों से संबंधित है जो अकादमिक पाठ्यक्रम में शामिल हैं. साथ ही यह आदेश उन एम-1 वीजा धारक छात्रों से भी संबधित है जो वोकेशन कोर्स वर्क कर रहे हैं.
एफ-1 वीजा पर अमेरिका का नया आदेश क्या है?
अमेरिकी विदेश मंत्रालय उन छात्रों के लिए वीजा जारी नहीं करेगा, जिनके स्कूल आगामी सेमेस्टर में पूरी तरह ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित कर रहे हैं. अमेरिकी सीमा शुल्क एवं सीमा सुरक्षा विभाग इन छात्रों को अमेरिका में दाखिल होने की अनुमति भी नहीं देगा.
नए नियमानुसार, एफ-1 छात्र और एम-1 वीजा धारक छात्र जो पूरी तरह से ऑनलाइन कोर्स कर रहे हैं, उन्हें तुरंत अमेरिका छोड़ना होगा. यदि वे अमेरिका नहीं छोड़ते हैं, तो उन पर कार्रवाई की जाएगी.
भारतीय छात्रों के लिए क्यों है महत्वपूर्ण
यह नया आदेश भारतीय छात्रों के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. 2019 में अमेरिका में 202,014 भारतीय छात्र थे, वहीं चीन के 369,548 छात्र अमेरिका में पढ़ाई कर रहे थे. दक्षिण कोरिया के 52,250 छात्र थे.
2018 और 2019 के बीच अमेरिका में चीन के छात्रों की संख्या में 1.7 प्रतिशत की गिरावाट आई थी.
अमेरिकी राज्य विभाग का कहना है कि प्रत्येक वर्ष 60,000 से अधिक कोरियाई छात्र अमेरिका में अध्ययन करते हैं. अमेरिकी विश्वविद्यालयों में सभी विदेशी नामांकन करने वालों में 6.5 प्रतिशत कोरियाई छात्र होते हैं. हालांकि इस संख्या में पिछले कई वर्षों से कमी आई है.
2019 ओपन डोर्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में भारतीय छात्रों की संख्या 3 प्रतिशत बढ़कर 202,014 हो गई.
2018 और 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में दुनियाभर के विदेशी छात्र मौजूद हैं जिनमें से ज्यादातर चीन व दक्षिण कोरिया से हैं, लेकिन पिछले दो वर्षों में चीन और कोरिया ने अमेरिका में अपने छात्रों की संख्या में कमी की है, जबकि भारत के छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है, जो दिखाता है कि यह भारत के लिए चिंताजनक स्थिति है.
भारतीय छात्रों की मौजूदा स्थिति
अगर भारतीय छात्र ऑनलाइन कोर्स कर रहे हैं, तो उन्हें एफ-1 वीजा नहीं मिलेगा. यदि कोई छात्र एफ-1 वीजा के साथ अमेरिका में अध्ययन करना चाहता है, तो उन्हें हाइब्रिड कोर्स या ऑन-कैंपस कोर्स चुनने की आवश्यकता होगी.
हाइब्रिड कोर्स क्या है?
हाइब्रिड कोर्स का मतलब है कि जहां पूरा सत्र ऑनलाइन नहीं होगा, कुछ कक्षाएं ऑफलाइन भी होंगी.
क्या है इस मसले का हल?
अमेरिकी प्रशासन के नए आदेश लागू होने बाद भारतीय छात्र उन विश्वविद्यालयों में एडमिशन ले सकते हैं, जहां हाइब्रिड कोर्स चलाए जाते हैं.
अमेरिकी विश्वविद्यालयों का प्लान
आदेश के अनुसार हार्वर्ड बिजनेस स्कूल हाइब्रिड ऑफलाइन कक्षाओं के लिए योजना बना रहा है, जबकि कुछ प्रसिद्ध विश्वविद्यालय इसके लिए कानूनी कार्यवाही की योजना बना रहे हैं.