हैदराबाद : नेपाल राष्ट्र में सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी समिति (स्टैंडिंग कमेटी) की बैठक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के लिए मुसीबत बढ़ाने वाली साबित हो रही है. इस बैठक में ओली का प्रतिद्वंद्वी गुट उनसे इस्तीफे का मांग कर रहा है. बुधवार को शुरू हुई स्थाई समिति की यह बैठक शुक्रवार को भी जारी रही. बैठक के पहले दिन पार्टी अध्यक्ष ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड दोनों शामिल थे.
इस दौरान दोनों ने एक-दूसरे पर पार्टी और सरकार की विफलता के आरोप लगाए. काठमांडू पोस्ट के अनुसार बुधवार को हुई बैठक में प्रचंड ने कहा कि हमने सुना है कि सत्ता में बने रहने के लिए नेपाल में भी पाकिस्तानी, अफगानी या बांग्लादेशी मॉडल अपनाने की कोशिश हो रही है, लेकिन वह इस तरह के प्रयास सफल नहीं होंगे. हमें कोई भी भ्रष्टाचार के नाम पर जेल नहीं भेज सकता. सेना की मदद से देश पर शासन करना आसान नहीं है.
उन्होंने कहा कि पार्टी को विपक्ष के साथ गठबंधन करके विभाजित करना और सरकार चलाना संभव नहीं है और न ही पार्टी को तोड़ विपक्ष के साथ मिलकर सरकार को चलाया जा सकता है. काठमांडू पोस्ट के अनुसार प्रचंड में स्थायी समिति की बैठक में कहा कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के नेताओं ने सेना से मदद लेने की रणनीति का इस्तेमाल किया है. हम ऐसा नहीं होने देंगे. इस दौरान स्थायी समिति के भीतर प्रधानमंत्री ओली कमजोर दिखाई दिए, जबकि पुष्प कमल दहल को 'प्रचंड' समर्थन मिला. बैठक में मौजूद कमेटी के अधिकतर सदस्यों ने ओली के इस्तीफे की मांग की. नेपाली मीडिया में यह खबर सुर्खियों में छाई है.
स्टैंडिंग कमेटी के एक सदस्य ने काठमांडु पोस्ट को बताया कि जिस तरह से दहल ने बुधवार की बैठक में बात की उससे साफ संकेत मिलता है कि ओली की स्थिति डांवाडोल है. हमारा मानना है कि प्रचंड ने ओली को दमदार संदेश दिया है.
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भिसापति गठबंधन के पुनर्गठन के साथ ओली के खिलाफ सत्तारूढ़ दल के भीतर से आवाजें उठ रही हैं. इसके अलावा स्थायी समिति ने एक प्रस्ताव का समर्थन किया है, जिसमें ओली या तो प्रधानमंत्री या पार्टी अध्यक्ष के पद पर रह सकते हैं, उन्हें एक पद छोड़ना होगा.