भुवनेश्वर: ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने केंद्र सरकार से अपील की है कि राज्य के संगीत को शास्त्रीय संगीत का दर्जा दिया जाए. मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य की परंपरा कम से कम 2,000 साल पुरानी है और शास्त्र पर आधारित है. राज्य के संगीत के अपने राग भी हैं.
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में कहा गया है कि ओडिशी संगीत में एक विशिष्ट गायन शैली है, जो संहिताबद्ध व्याकरण पर आधारित है. शास्त्रीय ग्रंथों की विशिष्ट प्रणाली और उसका अपना ताल है. ओडिशा संगीत हिंदुस्तानी और कर्नाटक संगीत से एक दम अलग है. पत्र में लिखा गया कि इसमें कोई शक नहीं कि ओडिशी संगीत में सभी अपेक्षित है और विशिष्ट विशेषताओं को शास्त्रीय संगीत के तौर पर पहचाना जाना चाहिए. मुख्यमंत्री पटनायक का पत्र तब आया जब राज्य के धरोहर मंत्रिमंडल ने ओडिशी संगीत के लिए शास्त्रीय दर्जा देने की मांग करने वाले केंद्र के एक प्रस्ताव को मंजूरी दी.
पत्र में मुख्यमंत्री ने लिखा कि ओडिशा सरकार ने पहले ही संस्थागत स्तर पर गुरू केलुचरण मोहापात्रा ओडिशा रिसर्च केंद्र की स्थापना कर ओडिशी संगीत को शास्त्रीय संगीत का दर्जा दिलाने के लिए अग्रणी प्रयास किए हैं. इसके अलावा ओडिशा संगीत नाटक अकादमी का उद्देश्य राज्य में संगीत, नृत्य और नाटक का प्रोत्साहन करना है. इसके अलावा राज्य सरकार ने साल 1999 में उत्कल विश्वविद्यालय की भी स्थापना की थी. मुख्यमंत्री का कहना है कि भारतीय सांस्कृतिक परिदृश्यों में ओडिशी संगीत का महत्वपूर्ण प्रभाव रहा है. ओडिशा के कई नाटककारों, मूर्तिकारों, चित्रकारों और कॉरियोग्राफरों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय लोकप्रियता मिली है. मुख्यमंत्री ने बताया कि ओडिशा के नृत्य को शास्त्रीय नृत्य की पहचान मिली है, हालांकि ओडिशा के संगीत को शास्त्रीय संगीत का दर्जा मिलना अभी बाकी है.
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पटनायक ने कहा मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप हमारी विरासत की सराहना करें, ओडिशी संगीत के सुरुचिपूर्ण और शास्त्रीय तत्वों की सराहना करें और ओडिशा के संगीत प्रेमियों को ओडिशा और देश में संगीत प्रेमियों के लंबे सपने को पूरा करने के लिए शास्त्रीय स्थिति प्रदान करें.