नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) पर हो रहे भारी विरोध के बीच नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) की भी चर्चा जोर पकड़ रही है. इसका उद्देश्य आम निवासियों की व्यापक पहचान का एक डेटाबेस बनाना है. हालांकि, इस मुद्दे पर भी राजनीति शुरू हो चुकी है. कुछ राज्यों ने इस पर काम रोक दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कैबिनेट इस पर कोई अहम फैसला ले सकती है.
भारत सरकार के मुताबिक इस डेटाबेस में जनसांख्यिकी जानकारी के साथ-साथ बायोमेट्रिक जानकारी को भी संकलित किया जाना है. इसी को लेकर कई राज्य सरकारों ने विरोध किया है. विरोध करने वालों में प.बंगाल और केरल प्रमुख राज्य हैं. इन राज्यों को आशंका है कि कहीं केन्द्र सरकार इसके जरिए एनआरसी ना लागू कर दे.
आइए जानते हैं आखिर क्या है एनपीआर
- एनपीआर का उद्देश्य देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना है. इस डेटा में जनसांख्यिंकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी होगी.
- देश के आम निवासियों का रजिस्टर है एनपीआर. इसे नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत बनाया जाएगा.
- नागरिकता (नागरिकों का रजिस्ट्रीकरण एवं राष्ट्रीय पहचान पत्रों का जारी किया जाना) नियम, 2003 के प्रावधानों के तहत स्थानीय (गांव/उपनगर), उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जा रहा है NPR.
- भारत के प्रत्येक आम निवासी के लिए एनपीआर के तहत पंजीकृत होना जरूरी है.
एनपीआर के उद्देश्यों के लिए आम निवासी की परिभाषा एक ऐसे व्यक्ति के रूप में की गई है, जो किसी स्थानीय क्षेत्र में विगत छह महीने तक या अधिक समय तक रहा हो या जो उस क्षेत्र में अगले छह महीने या अधिक समय तक रहने का इरादा रखता हो.