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केरल : इस गांंव के हर परिवार का हिस्सा बन गया है एक हिरण - महिंद्रा वाइल्डलाइफ फाउंडेशन

केरल के कासरगोड जिले के एक गांव में जानवर और मानव के प्रेम का उदाहरण देखने को मिला है. यहां 10 महीने के हिरण को लोगों का साथ इतना पसंद आ गया कि वह गांव के हर परिवार का हिस्सा बन गया. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Oct 9, 2020, 11:05 PM IST

कासरगोड : केरल के कासरगोड जिले के चेनक्कडू में हिरण और मानव के बीच एक अनूठा बंधन देखने को मिला है. यहां गांव के लोग एक हिरण को प्यार से कुट्टन बुलाते हैं. ग्रामीणों के द्वारा नाम पुकारे जाने के बाद कुट्टन भागते हुए लोगों के पास चला आता है.

जानवर और मानव के प्रेम का उदाहरण

कुट्टन का ग्रामीणों के प्रति इतना प्रेम है कि वह गांव में घूमता रहता है और लोगों के घर में उसका आना-जाना लगा रहता है. लगभग 10 महीने के इस हिरण ने जन्म लेने के 10 दिन बाद ही अपनी मां को खो दिया था. ग्रामीणों ने तब से इसे कुट्टन नाम दिया. इसके बाद से लोगों ने उसकी देखभाल करना शुरू कर दिया.

ग्रामीण बताते हैं कि जंगली श्वानों ने हिरणी को मार दिया था, तब से कुछ बागान श्रमिक कुट्टन की देखभाल कर रहे हैं. इस तरह जिस हिरण को जंगलों में पलना था वह लोगों के बीच पल रहा है. कुट्टन को भी लोगों का साथ पसंद आने लगा और उसने लोगों को अपना लिया.

वन विभाग के कर्मियों ने विभागीय अनुमति लेकर कुट्टन को कासरगोड में महिंद्रा वाइल्डलाइफ फाउंडेशन के अध्यक्ष एमवी मवेश कुमार को देखभाल के लिए सौंप दिया. तभी से हिरण और ग्रामीण दोस्त बन गए.

उस वक्त हिरण को बचाना लोगों का एकमात्र उद्देश्य था. बाद में मवेश के परिवार ने एक मानव बच्चे की तरह उसकी देखभाल करनी शुरू कर दी. 10 महीने का होने के बाद अब कुट्टन के सींग भी आने लगे हैं, जिसके बाद वह पूरे गांव में घूमता रहता है.

पढ़ें :- अनूठा हाथी प्रेमी : अख्तर इमाम ने दो हाथियों के नाम लिख दी सारी संपत्ति

यह गांव उसका निवास स्थान बन गया है. कुट्टन हर घर में इधर-उधर घूमता है. ग्रामीण उसे टमाटर, गाजर, आलू, प्याज, लंबी बीन्स, बंगाल चना और हिबिस्कस फूल खिलाते हैं.

यह छोटा सा हिरण ग्रामीणों को उनकी आवाज और महक से ही पहचान जाता है और जैसे ही कोई अजनबी आता है वह लोगों के पीछे छिप जाता है. अपनी मां को खो देने के बाद कुट्टन को ग्रामीणों के रूप में नया परिवार मिल गया है.

कासरगोड : केरल के कासरगोड जिले के चेनक्कडू में हिरण और मानव के बीच एक अनूठा बंधन देखने को मिला है. यहां गांव के लोग एक हिरण को प्यार से कुट्टन बुलाते हैं. ग्रामीणों के द्वारा नाम पुकारे जाने के बाद कुट्टन भागते हुए लोगों के पास चला आता है.

जानवर और मानव के प्रेम का उदाहरण

कुट्टन का ग्रामीणों के प्रति इतना प्रेम है कि वह गांव में घूमता रहता है और लोगों के घर में उसका आना-जाना लगा रहता है. लगभग 10 महीने के इस हिरण ने जन्म लेने के 10 दिन बाद ही अपनी मां को खो दिया था. ग्रामीणों ने तब से इसे कुट्टन नाम दिया. इसके बाद से लोगों ने उसकी देखभाल करना शुरू कर दिया.

ग्रामीण बताते हैं कि जंगली श्वानों ने हिरणी को मार दिया था, तब से कुछ बागान श्रमिक कुट्टन की देखभाल कर रहे हैं. इस तरह जिस हिरण को जंगलों में पलना था वह लोगों के बीच पल रहा है. कुट्टन को भी लोगों का साथ पसंद आने लगा और उसने लोगों को अपना लिया.

वन विभाग के कर्मियों ने विभागीय अनुमति लेकर कुट्टन को कासरगोड में महिंद्रा वाइल्डलाइफ फाउंडेशन के अध्यक्ष एमवी मवेश कुमार को देखभाल के लिए सौंप दिया. तभी से हिरण और ग्रामीण दोस्त बन गए.

उस वक्त हिरण को बचाना लोगों का एकमात्र उद्देश्य था. बाद में मवेश के परिवार ने एक मानव बच्चे की तरह उसकी देखभाल करनी शुरू कर दी. 10 महीने का होने के बाद अब कुट्टन के सींग भी आने लगे हैं, जिसके बाद वह पूरे गांव में घूमता रहता है.

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यह गांव उसका निवास स्थान बन गया है. कुट्टन हर घर में इधर-उधर घूमता है. ग्रामीण उसे टमाटर, गाजर, आलू, प्याज, लंबी बीन्स, बंगाल चना और हिबिस्कस फूल खिलाते हैं.

यह छोटा सा हिरण ग्रामीणों को उनकी आवाज और महक से ही पहचान जाता है और जैसे ही कोई अजनबी आता है वह लोगों के पीछे छिप जाता है. अपनी मां को खो देने के बाद कुट्टन को ग्रामीणों के रूप में नया परिवार मिल गया है.

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