चामराजनगर : मदद करने वालों के लिए जाति और धर्म कोई मायने नहीं रखता. 20 साल से चामराजनगर में हिंदू बुजुर्ग की मदद एक मुस्लिम महिला कर रही हैं. गलीपुरा के वार्ड 2 में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शाहिदा बानू अपने घर के पास सौ वर्षीय लक्ष्मी देवम्मा की मदद कर रहीं हैं. शाहिदा उनके भोजन और अस्पताल के खर्च का भुगतान करती हैं और एक मां की तरह लक्ष्मी देवम्मा की देखभाल करती हैं.
30 साल पहले अपने पति और बेटे को खो दिया
लक्ष्मी देवम्मा ने 30 साल पहले अपने पति और बेटे को खो दिया था. शेष छह बेटियों में से अब केवल एक ही जीवित है. लक्ष्मी देवम्मा को शाहिदा बहुत प्यार करती हैं. शाहिदा बानू और उनके पति ने लक्ष्मी देवम्मा के लिए एक छोटा सा घर बनाया. अपने खर्च पर घर को बिजली उपलब्ध करवाई. लक्ष्मी देवम्मा पिछले वर्षों में बिस्तर पर थीं. उठ-बैठ भी नहीं पातीं थीं, उस समय शाहिदा ने लक्ष्मी देवम्मा की देखभाल की.
मैं भी मुश्किल से जीवनयापन कर रही हूं
शाहिदा बानू कहती हैं, मैं लक्ष्मी देवम्मा की मदद इसलिए करती हूं, क्योंकि मैं भी मुश्किल से जीवनयापन कर रही हूं. मैं दूसरों की कठिनाइयों को समझती हूं. इस दादी ने अपने बेटे, 5 बेटियों को खो दिया, केवल एक बेटी जीवित है. वह 110 साल की हैं. मैं उन्हें भोजन, बिजली, कपड़े और वह सब कुछ प्रदान कर रही हूं, जो उन्हें चाहिए. मैं 20 साल से दादी की देखभाल कर रही हूं. लक्ष्मी देवम्मा कहतीं हैं, शाहिदा मुझे भोजन देतीं हैं. वह मुझे दवा की गोलियां देतीं हैं और मेरी अच्छी तरह से देखभाल करती हैं. दोनों के बीच के प्यार को देखा और समझा जा सकता है, शब्दों में बयान करना किसी के लिए संभव नहीं.