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मुस्लिम परिवार ने पेश की मिसाल, हिंदू रीति-रिवाज से कराया नौकर का अंतिम संस्कार

जहां देश में संसद से लेकर सड़क तक मॉब लिंचिंग को लेकर आम जनता में आक्रोश है. वहीं उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में एक मुस्लिम परिवार ने आपसी भाईचारे की मिसाल पेश की है. मुस्लिम परिवार ने अपने हिंदू नौकर की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से कराया और मानवता की मिसाल दी.

मुस्लिम परिवार ने हिंदू रीति-रिवाज से कराया नौकर का अंतिम संस्कार.
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Published : Jun 28, 2019, 11:43 AM IST

भदोही: हिन्दुस्तान की गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल को अमल में लाते हुए उत्तर प्रदेश के भदोही गांव के एक मुस्लिम परिवार ने अपने एक कर्मचारी की मौत के बाद हिन्दू रीति-रिवाज से उसका दाह संस्कार किया और तेरहवीं की रस्म निभायी.

देखें वीडियो.

तेरहवीं भोज के लिए बांटे गए कार्ड पर नीचे शोकाकुल परिवार में इरफान अहमद खान और फरीद खान का नाम छपा होने के साथ भवदीय में उनकी फर्म का नाम लिखा गया. ये ब्राह्मण भोज इरफान और फरीद ने अपने सहयोगी मुरारी लाल श्रीवास्तव की आत्मा की शांति के लिए 25 जून की रात शहर के हरिराम पुर में किया जिसमें हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय के एक हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए.

कोतवाली पुलिस के मुताबिक मुरारी लाल श्रीवास्तव (65) को पिछले दिनों खेत में किसी जहरीले जंतु ने काट लिया था जिससे इलाज के दौरान 13 जून को उनकी मौत हो गई थी. मुरारी के परिवार में किसी के ना होने पर उनका शव इरफान और फरीद के परिवार को सौंप दिया गया. दोनों ने कुछ सहयोगियों की मदद से पूरे विधि-विधान से उनका अंतिम संस्कार किया.
इरफान और फरीद ने गुरुवार को बताया कि मुरारी हमारे घर के सदस्य की तरह पिछले 15 साल से हम लोगों के साथ जुड़े रहे और हमेशा घर के सदस्य की तरह हमें उनका समर्थन मिला.

पढ़ें: छत्तीसगढ़: जवानों ने ध्वस्त किया नक्सल कैंप, भारी मात्रा में हथियार बरामद

इरफान के मुताबिक मुरारी उनके घर के बुज़ुर्ग सदस्य की तरह थे इसलिए हम लोगों ने वही किया जो हम घर के किसी सदस्य के लिये करते. साथ ही कहा कि जब हम लोग तेरहवीं का कार्ड बांटने हर जगह गए तो सभी ने आश्चर्य जताया.

उन्होंने बताया कि ब्राह्मण भोज से पहले 22 जून को बाकायदा बाल उतारने की रस्म अदा की गयी और 25 जून को रखे गए ब्राह्मण भोज में एक हजार से ज्यादा हिन्दू -मुस्लिम सभी ने इसमें भाग लिया.

मुस्लिम परिवार द्वारा ये सभी रस्में अदा किया जाना क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है.

भदोही: हिन्दुस्तान की गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल को अमल में लाते हुए उत्तर प्रदेश के भदोही गांव के एक मुस्लिम परिवार ने अपने एक कर्मचारी की मौत के बाद हिन्दू रीति-रिवाज से उसका दाह संस्कार किया और तेरहवीं की रस्म निभायी.

देखें वीडियो.

तेरहवीं भोज के लिए बांटे गए कार्ड पर नीचे शोकाकुल परिवार में इरफान अहमद खान और फरीद खान का नाम छपा होने के साथ भवदीय में उनकी फर्म का नाम लिखा गया. ये ब्राह्मण भोज इरफान और फरीद ने अपने सहयोगी मुरारी लाल श्रीवास्तव की आत्मा की शांति के लिए 25 जून की रात शहर के हरिराम पुर में किया जिसमें हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय के एक हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए.

कोतवाली पुलिस के मुताबिक मुरारी लाल श्रीवास्तव (65) को पिछले दिनों खेत में किसी जहरीले जंतु ने काट लिया था जिससे इलाज के दौरान 13 जून को उनकी मौत हो गई थी. मुरारी के परिवार में किसी के ना होने पर उनका शव इरफान और फरीद के परिवार को सौंप दिया गया. दोनों ने कुछ सहयोगियों की मदद से पूरे विधि-विधान से उनका अंतिम संस्कार किया.
इरफान और फरीद ने गुरुवार को बताया कि मुरारी हमारे घर के सदस्य की तरह पिछले 15 साल से हम लोगों के साथ जुड़े रहे और हमेशा घर के सदस्य की तरह हमें उनका समर्थन मिला.

पढ़ें: छत्तीसगढ़: जवानों ने ध्वस्त किया नक्सल कैंप, भारी मात्रा में हथियार बरामद

इरफान के मुताबिक मुरारी उनके घर के बुज़ुर्ग सदस्य की तरह थे इसलिए हम लोगों ने वही किया जो हम घर के किसी सदस्य के लिये करते. साथ ही कहा कि जब हम लोग तेरहवीं का कार्ड बांटने हर जगह गए तो सभी ने आश्चर्य जताया.

उन्होंने बताया कि ब्राह्मण भोज से पहले 22 जून को बाकायदा बाल उतारने की रस्म अदा की गयी और 25 जून को रखे गए ब्राह्मण भोज में एक हजार से ज्यादा हिन्दू -मुस्लिम सभी ने इसमें भाग लिया.

मुस्लिम परिवार द्वारा ये सभी रस्में अदा किया जाना क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है.

Intro:जहां देश में संसद से लेकर सड़क तक मोबलीचिंग धार्मिक उन्माद का विषय चर्चा में बना हुआ है और प्रधानमंत्री से लेकर आम जनता के बीच इस बात का गुस्सा देखा जा सकता है वहीं भदोही जिले में एक मुस्लिम परिवार ने अपने यहां काम कर रहे हिंदू नौकर की मृत्यु हो जाने के बाद उसका हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार कर हिंदू मुस्लिम और मानवता की मिसाल पेश की है तौहीद आलम ने अपने यहां काम कर रहे लाला का हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार कर मानवता का उदाहरण पेश किया है


Body:तौहीद आलम के हा मुरारी लाल पिछले 10 सालों से काम करते थे इस वजह से तौहीद आलम के परिवार से उनका रिश्ता प्रगाढ़ हो चुका था उनके परिवार के लोग उनको बड़े गार्जियन की तरह मानते थे आलम का कहना है कि जब हुआ 10 साल पहले हमारे पास आए थे तो उनके परिवार ने उनको छोड़ दिया था इस वजह से वह पिछले 10 साल से हमारे यहां ही रह रहे थे और घर के छोटे-मोटे काम किया करते थे जिसकी वजह से वह हमारे परिवार के हिस्सा बन गए थे वह किसी दूसरे जाति के या धर्म के थे यह में कभी महसूस नहीं हुआ हमारा उनसे रिश्ता मानवता का था इसीलिए हमने पूरे हिंदू रीति-रिवाज से उनके दाह संस्कार में काम किए


Conclusion:13 तारीख को करीब 2:00 बजे मुरालीलाल घर के पीछे पौधों को पानी दे रहे थे तभी उन्हें एक जहरीले सांप ने काट लिया और उसके 1 घंटे बाद जब उन्हें हॉस्पिटल लेकर जाया जा रहा था तभी उनकी मृत्यु हो गई इसके बाद तौहीद आलम ने उनके यहां काम कर रहे हैं मुरारीलाल का दाह संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से किया तेरही भी उनकी खूब धूमधाम से मनाई गई तभी का कहना था कि वाह हमारे परिवार के बुजुर्ग की तरह थे या एक अलग बात है कि हम दोनों के धर्म अलग-अलग थे जहां हिंदू मुस्लिम के बीच समाज में गहरी खाई पैदा कर दी है वैसे में तौहीद ने एक मानवता का उदाहरण पेश करते हुए अपने यहां काम कर रहे मुरारी लाल का हिंदू तरीके से क्रिया कर्म करके जिले में चर्चा का विषय बने हुए हैं वह कहते हैं कि हमें जाति धर्म से ऊपर उठकर मानवता के भावना से सोचना चाहिए और उसी के मानवता के भाव से हमने मुरारी लाल जी का अंतिम संस्कार किया


मुरारीलाल के मृत्यु और दाह संस्कार का वीडियो मेल पर है कृपया वहां से ले ले
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