नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के तुगलकाबाद में में गुरु रविदास के मंदिर को ढहाये जाने के विरोध कर रहे दलित समाज को सोमवार को मुस्लिम समुदाय का साथ मिल गया.
मंदिर ढहाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे दलित समाज के साथ मुस्लिम समाज भी खड़ा नजर आया. दलितों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए अधिवक्ता महमूद प्राचा ने मीडिया से कहा कि मुस्लिम समाज इस दुख की घड़ी में दलितों के साथ और वो मंदिर के गिराए जाने का सख्त विरोध करते हैं.
प्राचा ने कहा कि गुरु रविदास जी का मंदिर जिस प्रकार से ढहाया गया वह गैरकानूनी था, उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मंदिर को गिराने में डीडीए के अधिकारियों का हाथ है.
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प्राचा ने आगे बताया कि भीम आर्मी के साथ भी मुस्लिम समुदाय खड़ा है, आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद के साथ भी हम पूरी ताक़त से से खड़े है, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है.
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि दिल्ली के तुगलकाबाद में शनिवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने संत रविदास मंदिर ढहा दिया, जिस पर दिल्ली से लेकर पंजाब तक राजनीति गर्मा गई है. इस पर डीडीए की सफाई आई, जिसमें कहा गया है कि गुरु रविदास जयंती समारोह समिति ने जंगल की जमीन पर निर्माण किया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद जगह खाली नहीं किया गया. इसलिए नौ अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए को आदेश दिया कि वह पुलिस की मदद से इस जगह को खाली कराए और ढांचे को हटाए.
कठिन हुई कानूनी लड़ाई
शीर्ष अदालत ने यह चेतावनी दी है कि कोई भी मंदिर के विध्वंस का राजनीतिकरण या प्रदर्शन करता है तो उसके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की जा सकती है.शीर्ष अदालत के कड़े रुख के बाद गुरु रविदास मंदिर के अनुयायियों के लिए यह कानूनी लड़ाई कठिन हो गई है. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि इस मुद्दे को कोई राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि उनकी सरकार यहां संत रविदास के मंदिर को गिराए जाने से चिंतित है, और वह इसमें शामिल नहीं है.
केजरीवाल सरकार में सामाजिक कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को इस ढांचे को फिर से बनाने के लिए कहने का आग्रह किया है.
गुरु रविदास मंदिर से जुड़ा मुद्दा पहली बार ट्रायल कोर्ट में तब पहुंचा था जब डीडीए ने पांच नवंबर 1992 को आनधिकृत निर्माण के संबंध में विध्वंस कार्रवाई शुरू करने की बात कही थी. ट्रायल कोर्ट द्वारा 31 जुलाई, 2018 को मामले का फैसला करने के बाद गुरु रविदास जयंती समारोह समिति ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और राहत की मांग की.
20 नवंबर 2018 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी डीडीए द्वारा विध्वंस कार्रवाई के खिलाफ समिति की याचिका खारिज कर दी. अंतत: नौ अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने समिति को कोई राहत देने से इनकार कर दिया, और कहा कि गुरु रविदास जयंती समारोह समिति ने अदालत के वन क्षेत्र को खाली करने के आदेश को नहीं मानकर गंभीर उल्लंघन किया गया है.
समिति ने तर्क दिया कि उक्त भूमि पर 1959 से ही कब्जा है, जो राजस्व रिकॉर्ड में भी है. समिति ने कहा कि उन्होंने उक्त स्थान पर धर्मशाला के तौर पर चार कमरे बना रखे हैं. इसके अलावा यहां गुरु रविदास मंदिर, आश्रम और रूपानंद के साथ अन्य संतों की समाधि भी बनाई गई है.
समाज ने गुरु रविदास के नाम पर एक स्कूल भी बनाया है. इस संबंध में डीडीए ने कहा कि समिति की भूमि मालिक के तौर पर राजस्व रिकॉर्ड में कोई एंट्री नहीं है. दिल्ली हाईकोर्ट ने भी अपने आदेश में कहा था कि समाज ने कोई भी दस्तावेज नहीं दिखाया है.
(एजेंसी इनपुट के साथ)