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अनाथ बच्चों को मुफ्त शिक्षा देकर उन्हें आत्मनिर्भर बना रहे मुहम्मद उमर

सरकार ने हर एक नागरिक को आत्मनिर्भर बनने का मंत्र तो दे दिया, लेकिन इसमें सरकार की कितनी हिस्सेदारी है, इस पर कुछ भी कहना मुश्किल है, लेकिन आज लोग आत्मनिर्भर होने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उन्हें किसी पर निर्भर न रहना पड़े.

आत्मनिर्भर बना रहे मुहम्मद उमर
आत्मनिर्भर बना रहे मुहम्मद उमर
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Published : Feb 8, 2021, 2:27 PM IST

पटना : आज की इस तेज रफतार जिंदगी में जहां एक ओर हम विकसित देशों की श्रेणी में खड़े हैं और खुद को आधुनिक तकनीक से लैस करके इतिहास रच रहे हैं, वहीं दूसरी ओर देश में आज भी कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां लोग आज भी बुनियादी जरूरतों के कारण शिक्षा से वंचित हैं.

सरकार ने हर एक नागरिक को आत्मनिर्भर बनने का मंत्र तो दे दिया, लेकिन इसमें सरकार की कितनी हिस्सेदारी है, इस पर कुछ भी कहना मुश्किल है, लेकिन आज लोग आत्मनिर्भर होने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उन्हें किसी पर निर्भर न रहना पड़े, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो दूसरों को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश मे जुटे हैं. इनमें से एक मुहम्मद उमर हसन हैं, जिन्होंने अनाथों को शिक्षित करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है.

बिहार के अररिया स्थित जामिया खैरुन निसा अनाथालय नामक एक संगठन ने एक सस्ंथा स्थापित की जिस का उद्देश्य अनाथ बच्चों को शिक्षा देखर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की जिम्मेदारी ली.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

यहां शिक्षा के साथ साथ बच्चों को सिलाई और कढ़ाई भी सिखाई जाती है. मोहम्मद उमर की कड़ी मेहनत और समर्पण पिछले पांच वर्षों से चल रहा है.

मोहम्मद उमर उन गांवों- गांवो की यात्रा करते हैं और ऐसे लड़कियों की तलाश करते हैं, जिनके सर पर उनके माता-पिता की छाया नहीं है. वह ऐसाी लड़कियों को अपने साथ लाते हैं और उन्हें शिक्षित करते हैं. उमर के साथ इस कार्य में उनकी पत्नी भी लगी हैं. दोनों इस काम को अच्छी तरह से कर रहे हैं.

अब तक यहां से दर्जनों छात्र शिक्षा पाकर अलग अलग क्षेत्रों में बहतर जीवन यापन कर रहे हैं.

पढ़ें - उत्तराखंड : प्रदेश की ये हैं बड़ी आपदाएं, जिसने जनमानस को हिलाकर रख दिया

संगठन की उपलब्धियों को देखने के बाद, लखनऊ की रजिया फाउंडेशन ने लड़कियों के सिलाई प्रशिक्षण की व्यवस्था की और मुहम्मद उमर को दस सिलाई मशीनें सौंपी.

सिलाई सीख रहीं शगूफा का कहना है कि आज के समय में लड़कियों का अपने पैरों पर खड़ा होना जरूरी है. हम किसी पर बोझ बनना नहीं चाहते. यदि हमारे हाथों में हुनर होगा, तो हम दो पैसे कमा सकते हैं.

मुहम्मद उमर की कोशिशें न केवल सरहानीय हैं बल्कि दूसरों के लिए भी सबक हैं.

पटना : आज की इस तेज रफतार जिंदगी में जहां एक ओर हम विकसित देशों की श्रेणी में खड़े हैं और खुद को आधुनिक तकनीक से लैस करके इतिहास रच रहे हैं, वहीं दूसरी ओर देश में आज भी कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां लोग आज भी बुनियादी जरूरतों के कारण शिक्षा से वंचित हैं.

सरकार ने हर एक नागरिक को आत्मनिर्भर बनने का मंत्र तो दे दिया, लेकिन इसमें सरकार की कितनी हिस्सेदारी है, इस पर कुछ भी कहना मुश्किल है, लेकिन आज लोग आत्मनिर्भर होने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उन्हें किसी पर निर्भर न रहना पड़े, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो दूसरों को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश मे जुटे हैं. इनमें से एक मुहम्मद उमर हसन हैं, जिन्होंने अनाथों को शिक्षित करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है.

बिहार के अररिया स्थित जामिया खैरुन निसा अनाथालय नामक एक संगठन ने एक सस्ंथा स्थापित की जिस का उद्देश्य अनाथ बच्चों को शिक्षा देखर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की जिम्मेदारी ली.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

यहां शिक्षा के साथ साथ बच्चों को सिलाई और कढ़ाई भी सिखाई जाती है. मोहम्मद उमर की कड़ी मेहनत और समर्पण पिछले पांच वर्षों से चल रहा है.

मोहम्मद उमर उन गांवों- गांवो की यात्रा करते हैं और ऐसे लड़कियों की तलाश करते हैं, जिनके सर पर उनके माता-पिता की छाया नहीं है. वह ऐसाी लड़कियों को अपने साथ लाते हैं और उन्हें शिक्षित करते हैं. उमर के साथ इस कार्य में उनकी पत्नी भी लगी हैं. दोनों इस काम को अच्छी तरह से कर रहे हैं.

अब तक यहां से दर्जनों छात्र शिक्षा पाकर अलग अलग क्षेत्रों में बहतर जीवन यापन कर रहे हैं.

पढ़ें - उत्तराखंड : प्रदेश की ये हैं बड़ी आपदाएं, जिसने जनमानस को हिलाकर रख दिया

संगठन की उपलब्धियों को देखने के बाद, लखनऊ की रजिया फाउंडेशन ने लड़कियों के सिलाई प्रशिक्षण की व्यवस्था की और मुहम्मद उमर को दस सिलाई मशीनें सौंपी.

सिलाई सीख रहीं शगूफा का कहना है कि आज के समय में लड़कियों का अपने पैरों पर खड़ा होना जरूरी है. हम किसी पर बोझ बनना नहीं चाहते. यदि हमारे हाथों में हुनर होगा, तो हम दो पैसे कमा सकते हैं.

मुहम्मद उमर की कोशिशें न केवल सरहानीय हैं बल्कि दूसरों के लिए भी सबक हैं.

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