नई दिल्ली : देश में कृषि क्षेत्र के लिए मोदी सरकार द्वारा लाए गए दो विधेयक रविवार को राज्य सभा से भी ध्वनिमत से पारित हो गए. हालांकि, विपक्ष ने इन विधेयकों का पुरजोर विरोध किया. तृणमूल कांग्रेस के सांसद तो सदन की रूल बुक की कॉपी फाड़ते हुए उपसभापति के टेबल तक पहुंच गए.
आने वाले दिनों में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता विधेयक कानून बन जाएंगे.
ईटीवी भारत ने इस बिल और इसके विरोध पर मोदी सरकार में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी से विशेष बातचीत की. कैलाश चौधरी ने कहा कि वह खुद एक किसान हैं और उन्होंने बचपन से यह देखा भी है कि मंडी में आढ़ती किस तरह से अपनी मनमानी चलाते हैं और किसानों से सस्ते दर पर उत्पाद खरीदते हैं.
चौधरी ने कहा कि उनके बचपन का सपना था कि किसानों को यह आजादी मिले कि वह अपने उत्पाद की कीमत स्वयं तय कर सकें और जहां चाहें बेच सकें. इन विधेयकों के पारित होने से अब किसान आजाद हो गया है.
इन विधेयकों के विरोध में किसानों के प्रदर्शन पर कैलाश चौधरी ने कहा कि बिल का विरोध राजनीति से प्रेरित है, जबकि यह बिल किसान के लिए लाभकारी है. 70 साल बाद आज किसान को आजादी मिली है, जबकि यह काम कांग्रेस के समय में पहले ही हो जाना चाहिए था.
कांग्रेस और विपक्ष द्वारा विधेयकों का विरोध करने पर कृषि राज्यमंत्री ने कहा कि उनकी नजर में इस बिल का विरोध करने वाले किसानों का भला नहीं चाहते हैं.
सरकार की तरफ से तमाम आश्वासन के बावजूद किसानों को लगता है कि प्राइवेट कंपनियां जब कृषि क्षेत्र में आएंगी और किसानों के साथ कॉन्ट्रैक्ट करेंगी तो वह धीरे-धीरे उन पर हावी हो जाएंगी और अपने मुनाफे के लिए उन्हें इस्तेमाल करेंगी.
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इस सवाल पर कैलाश चौधरी ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग अब भी देश में कई जगह चल रही है और किसान एग्रीमेंट साइन करते हैं, लेकिन इन विधेयकों के आने से अब एक कानून बन जाएगा, जिससे उनको सुरक्षा मिलेगी. किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में किसान एसडीएम और डीएम के पास अपनी शिकायत लेकर जा पाएगा, जहां उसे न्याय मिलेगा.
उन्होंने आगे कहा कि पहले ऐसा प्रावधान नहीं था और केवल दो व्यक्तियों के बीच एग्रीमेंट हुआ करता था लेकिन अब यह कानून किसानों के लिए रक्षा कवच का काम करेंगे.