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नई शिक्षा प्रणाली में भारतीय मूल्य भी शामिल होंगे, भागवत ने जताया भरोसा

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अंग्रेजी भाषा को लेकर धारणा बदलने की जरूरत बताई है. भागवत ने कहा है कि नई शिक्षा प्रणाली में मातृभाषा को बढ़ावा देना जरूरी है. जानें पूरा विवरण

संघ प्रमुख मोहन भागवत
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Published : Aug 18, 2019, 9:55 AM IST

Updated : Sep 27, 2019, 9:11 AM IST

नई दिल्लीः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने नई शिक्षा प्रणाली पर भरोसा जताया है. उन्होंने कहा है कि अध्ययन के अन्य विषयों के साथ आध्यात्मिक ज्ञान देने की भी जरूरत है. भागवत ने कहा कि मातृभाषा को बढ़ावा दिया जाना भी जरूरी है.

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा 17 अगस्त से शुरू हुए दो दिवसीय सम्मेलन में शनिवार शाम मोहन भागवत ने 'शिक्षा में भारतीयता' के प्रारूप और आधुनिक परिवेश में इसकी आवश्यकता पर बल दिया और अपने विचार रखे. भागवत ने कहा कि संसार से जितना लिया है उससे ज्यादा संसार को देने का भाव लोगों में हो, ऐसी शिक्षा जरूरी है.

शिक्षा प्रणाली में भारतीयता की जरूरत पर जोर देते हुए भागवत ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति आजीविका चलाने के लिए पढ़ता है तो यह शिक्षा नहीं है. क्योंकि समाज में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां अशिक्षित लोगों ने शिक्षित लोगों को नौकरियां दी हैं.

कार्यक्रम में अपने विचार रखते मोहन भागवत

सरसंघचालक ने कहा कि अभी उन्होंने नई शिक्षा प्रणाली का अध्ययन नहीं किया है लेकिन उन्हें पूरी आशा है कि भारतीयता के मूल्यों को शिक्षा में शामिल करने का प्रयास सभी करेंगे.

आध्यात्मिक ज्ञान देने की जरूरत
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इस धारणा को हमें बदलने की जरूरत है कि सिर्फ अंग्रेजी ज्ञान से ही अच्छा पैसा कमाया जा सकता है. उन्होंने मातृभाषाओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि अध्ययन के अन्य विषयों के साथ आध्यात्मिक ज्ञान देने की भी जरूरत है.

सम्मेलन में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक', पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण सरीखे और देश के कई नामी शिक्षाविदों ने भी भाग लिया और अपने अपने विचार रखे. कार्यक्रम नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) में आयोजित किया गया था.

कार्यक्रम में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास से जुड़े पदाधिकारियों ने कहा कि नई शिक्षा प्रणाली में ऐसी कई चीजें शामिल की गई हैं जिनके सुझाव वो भी लंबे समय से देते रहे हैं.

स्वयंसेवकों के सुझाव
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास संघ प्रचारक द्वारा स्थापित संस्था है. इसे स्वयं सेवकों के द्वारा ही चलाया जा रहा है. ऐसे में नई शिक्षा प्रणाली पर न्यास का भरोसा जताना स्पष्ट करता है, कि प्रस्तावित नई शिक्षा प्रणाली में संघ के विचारों को भी जरूर शामिल किया गया होगा.

पढ़ें-पार्टी नेतृत्व में नेहरू-गांधी परिवार का होना कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण: खुर्शीद

दो लाख से ज्यादा सुझाव
जानकारी के मुताबिक नई शिक्षा प्रणाली पर देश भर से दो लाख से ज्यादा सुझाव अभी तक सरकार के पास पहुंचे हैं. ऐसे में इसे लागू करने से पहले संघ समर्थित शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने इस बड़े कार्यक्रम के जरिये एक मंच से सरकार तक अपना संदेश पहुंचाने का काम किया है.

नई दिल्लीः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने नई शिक्षा प्रणाली पर भरोसा जताया है. उन्होंने कहा है कि अध्ययन के अन्य विषयों के साथ आध्यात्मिक ज्ञान देने की भी जरूरत है. भागवत ने कहा कि मातृभाषा को बढ़ावा दिया जाना भी जरूरी है.

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा 17 अगस्त से शुरू हुए दो दिवसीय सम्मेलन में शनिवार शाम मोहन भागवत ने 'शिक्षा में भारतीयता' के प्रारूप और आधुनिक परिवेश में इसकी आवश्यकता पर बल दिया और अपने विचार रखे. भागवत ने कहा कि संसार से जितना लिया है उससे ज्यादा संसार को देने का भाव लोगों में हो, ऐसी शिक्षा जरूरी है.

शिक्षा प्रणाली में भारतीयता की जरूरत पर जोर देते हुए भागवत ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति आजीविका चलाने के लिए पढ़ता है तो यह शिक्षा नहीं है. क्योंकि समाज में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां अशिक्षित लोगों ने शिक्षित लोगों को नौकरियां दी हैं.

कार्यक्रम में अपने विचार रखते मोहन भागवत

सरसंघचालक ने कहा कि अभी उन्होंने नई शिक्षा प्रणाली का अध्ययन नहीं किया है लेकिन उन्हें पूरी आशा है कि भारतीयता के मूल्यों को शिक्षा में शामिल करने का प्रयास सभी करेंगे.

आध्यात्मिक ज्ञान देने की जरूरत
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इस धारणा को हमें बदलने की जरूरत है कि सिर्फ अंग्रेजी ज्ञान से ही अच्छा पैसा कमाया जा सकता है. उन्होंने मातृभाषाओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि अध्ययन के अन्य विषयों के साथ आध्यात्मिक ज्ञान देने की भी जरूरत है.

सम्मेलन में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक', पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण सरीखे और देश के कई नामी शिक्षाविदों ने भी भाग लिया और अपने अपने विचार रखे. कार्यक्रम नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) में आयोजित किया गया था.

कार्यक्रम में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास से जुड़े पदाधिकारियों ने कहा कि नई शिक्षा प्रणाली में ऐसी कई चीजें शामिल की गई हैं जिनके सुझाव वो भी लंबे समय से देते रहे हैं.

स्वयंसेवकों के सुझाव
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास संघ प्रचारक द्वारा स्थापित संस्था है. इसे स्वयं सेवकों के द्वारा ही चलाया जा रहा है. ऐसे में नई शिक्षा प्रणाली पर न्यास का भरोसा जताना स्पष्ट करता है, कि प्रस्तावित नई शिक्षा प्रणाली में संघ के विचारों को भी जरूर शामिल किया गया होगा.

पढ़ें-पार्टी नेतृत्व में नेहरू-गांधी परिवार का होना कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण: खुर्शीद

दो लाख से ज्यादा सुझाव
जानकारी के मुताबिक नई शिक्षा प्रणाली पर देश भर से दो लाख से ज्यादा सुझाव अभी तक सरकार के पास पहुंचे हैं. ऐसे में इसे लागू करने से पहले संघ समर्थित शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने इस बड़े कार्यक्रम के जरिये एक मंच से सरकार तक अपना संदेश पहुंचाने का काम किया है.

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RSS-BHAGWAT-EDUCATION
Need to change perception that only English knowledge can ensure livelihood: Bhagwat
         New Delhi, Aug 17 (PTI) There is a need to change the perception that one can earn decent money only with the knowledge of English, RSS chief Mohan Bhagwat said on Saturday, stressing on the need to promote native languages.
         He said spirituality is also needed to be taught along with other streams of study.
         Emphasising on the need of Indianness in the education system, Bhagwat said it is not education if a person is learning for earning livelihood as there are many examples in the society where illiterate persons have hired educated people.
         Speaking at the two-day conclave organised by RSS affiliated Shiksha Sanskriti Utthan Nyas (SSUN) at the Indira Gandhi National Open University here, Bhagwat said there is a need to change the education system in the country.
         If there is talk about spirituality in education then it will raise eyebrows of some people but it is also needed with various other streams such as Humanities, Commerce and Science, he said.
         He said there is a perception that one can earn decent money only if he or she has good knowledge of the English language.
         This perception needs to be corrected and one can earn money if he or she knows their native language, he said, citing examples of various developed countries where majority of the people know their mother tongue only.
         Talking about the new education policy, Bhagwat said he hasn't gone into its details, but if it has all those features which promote mutual cooperation in the society, makes students self aware and independent then it should be welcomed.
         He said there is a sense in the society that education system should be changed, and it can be done by the people, as in India the education system is not entirely controlled by the government and the society also has some control over it.
         If society thinks there should be change in the education system, then it will definitely happen, he added. PTI JTR JTR
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Last Updated : Sep 27, 2019, 9:11 AM IST
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