कोच्ची: केरल के मरदु फ्लैट मालिकों ने अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर दी है. एर्नाकुलम के जिला कलेक्टर एस सुहास के साथ बातचीत के बाद यह हड़ताल वापस लिया है. फ्लैट मालिकों ने तय समय-सीमा के भीतर इमारतें खाली करने पर सहमति जताई है.
फ्लैट मालिकों ने कहा कि वे राज्य सरकार के साथ सहयोग कर रहे है क्योंकि वे समझते हैं कि शीर्ष अदालत के आदेश को लागू करना होगा.
हालांकि फ्लैट मालिकों ने अधिकारियों के सामने कई मांगें रखीं, जिसे उन्होंने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी.
उन्होंने सरकार से स्थानांतरित करने के लिए किराए का भुगतान करने की मांग की. कलेक्टर के साथ चर्चा के दौरान उन्होंने अपार्टमेंट में बिजली और पानी की आपूर्ति को बहाल करने की भी मांग की.
कलेक्टर इस पर भी सहमत हो गए और शाम को आपूर्ति बहाल कर दी गई. अधिकारियों ने फ्लैट में रहने वालों के ठहरने के लिए वैकल्पिक जगह की व्यवस्था करना भी सुनिश्चित किया.
मारदु भवन समृद्धि समिति के अध्यक्ष श्मसुद्दीन करुनागप्पल्ली ने कहा कि हमने सरकार से नए फ्लैटों के लिए किराए और सुरक्षा राशि का भुगतान करने के लिए परिवारों को कम से कम एक लाख रुपये जारी करने का अनुरोध किया है. जिला प्रशासन ने वादा किया है कि इस संबंध में सरकार को सूचित करेंगे.
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कलेक्टर के साथ बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए फ्लैट मालिकों ने कहा कि अधिकारी उनकी कुछ मांगों पर सहमत हुए और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सीमा के भीतर सभी मदद की पेशकश की.
बता दें, मरदु फ्लैट मालिकों ने आज रविवार सुबह भूख हड़ताल शुरू कर दी थी. उनकी मांग यह थी कि अंतरिम मुआवजे की राशि को तत्काल वितरित किया जाए. साथ में इमारतों को खाली करने के लिए अधिक समय दिया जाए, बिजली और पानी की आपूर्ति को बहाल किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार गिराया जा रहा है
उल्लेखनीय है कि इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कोच्चि के तटीय क्षेत्र पर बने मरदु फ्लैट्स के मद्देनजर एक अहम फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया कि कोच्चि के तटीय क्षेत्र पर बने मरदु फ्लैट्स को केरल सरकार द्वारा दी गई समय सीमा के अनुसार 138 दिनों में गिरा दिया जाए. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट की पीठ ने कोच्चि के तटीय जोन इलाकों में अवैध इमारतों के निर्माण में शामिल बिल्डरों और प्रमोटरों की संपत्तियां जब्त करने का आदेश दिया था.
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पीठ ने कहा था कि सरकार अवैध रूप से इमारत बनाने वाले बिल्डरों और प्रमोटरों से अंतरिम मुआवजा राशि वसूल करने पर विचार कर सकती है.
अदालत ने फ्लैट में रहने वाले प्रभावित लोगों को चार सप्ताह के भीतर अंतरिम मुआवजे के तौर पर 25-25 लाख रुपए देने का ऐलान किया था.
गौरतलब है कि 25 लाख रुपए की रकम राज्य सरकार को चुकाने के आदेश दिए थे. इसके साथ ही सेवानिवृत जजों की एक सदस्यीय समिति गठित की गई. गठित की गई ये समिति इमारत गिराने के काम पर निगरानी रखेगी और साथ ही मुआवजे का मूल्यांकन भी करेगी. इस समिति का नेतृत्व जस्टिस अरुण मिश्रा करेंगे.