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नीट-जेईई परीक्षाओं पर पुनर्विचार करे सरकार : मनोज झा

नीट और JEE (main) की परीक्षाएं सितंबर में होने वाली हैं. इन परीक्षाओं के आयोजन को लेकर विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है. इस विषय पर ईटीवी भारत ने राज्यसभा सांसद मनोज झा से बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि NEET और JEE परीक्षाओं पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

मनोज झा
मनोज झा
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Published : Aug 24, 2020, 8:32 PM IST

नई दिल्ली : देशभर में नीट और जेईई (मेन) परीक्षाओं के आयोजन को लेकर विरोध का दौर जारी है. सोमवार को भाजपा के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने यहां तक कह दिया कि छात्रों को जबरदस्ती परीक्षा देने पर मजबूर किया जा रहा है. उन्हें 1976 के उस समयकाल की याद दिलाएगा, जब लोगों की जबरदस्ती नसबंदी कराई गई थी.

एनडीए के घटक दल लोजपा के नेता और सांसद चिराग पासवान ने भी कोरोना महामारी की स्थिति में परीक्षाएं कराने का विरोध किया तो वहीं तमाम विपक्षी पार्टियों की तरफ से भी लगातार प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.

इस विषय पर ईटीवी भारत ने राज्यसभा सांसद और शिक्षाविद मनोज झा से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि यह मामला केवल पक्ष और विपक्ष का नहीं है. यह लाखों छात्रों के जीवन का सवाल है, जब संक्रमित लोगों की संख्या महज 150 थी तब सरकार कहीं ज्यादा गंभीर थी और सब कुछ बंद कर उस समय सारी परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया था, लेकिन अब जब संक्रमित लोगों की संख्या 31 लाख पार कर चुकी है, प्रतिदिन हजार से ज्यादा जानें जा रही हैं.

ईटीवी भारत से मनोज झा ने की बात.

उन्होंने कहा कि बीते दिन बेंगलुरु में एक परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसके बाद 91 छात्र कोरोना संक्रमित पाए गए थे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वयं कहा था कि जान है तो जहान है, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि उनकी सरकार ने इस मंत्र को भूला दिया है.

मनोज झा ने सवाल उठाते हुए कहा है कि क्या सरकार ने मान लिया है कि अब स्थिति उनके नियंत्रण में नहीं है तो सबको कोरोना जैसी महामारी के खतरे में झोंक दिया जाए?

मनोज झा ने कहा कि सरकार को इन परीक्षाओं को और आगे ले जाना चाहिए. साथ ही वैकल्पिक व्यवस्थाओं पर भी विचार करना चाहिए. इस समय महामारी के बीच परीक्षाएं कराना सरकार के अड़ियल रवैये को दिखाता है जो स्वीकार नहीं होगा.

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की तरफ से जारी दिशा निर्देशों में परीक्षा केंद्रों पर कोरोना संक्रमण से संबंधित तमाम तरह की सावधानियां बरतने की बात की गई है. हर सेंटर पर कुछ आइसोलेशन रूम भी होंगे और किसी भी छात्र के शरीर का तापमान अगर औसत से ज्यादा पाया जाता है तो उसे अलग रूम में बैठ कर परीक्षा देने की व्यवस्था होगी.

इसके साथ ही मास्क और सैनिटाइजेशन की व्यवस्था के साथ-साथ सीटों के बीच दूरी का भी ध्यान रखने की बात कही गई है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मनोज झा ने कहा कि अगर इतनी सावधानियों के साथ सरकार को लगता है कि कोई खतरा नहीं है तो फिर सभी स्कूल कॉलेज भी खोल देने चाहिए. यह दोहरा मापदंड क्यों रखा जा रहा है.

यह भी पढ़ें- नीट 2020 : वंदे भारत मिशन के तहत विदेशी छात्रों को भारत लाए सरकार

भाजपा राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के बयान पर उन्होंने कहा कि वह उनके शब्द नहीं हैं, इसलिए वह उस प्रतीक के साथ खड़े नहीं हो सकते. सरकार को नसीहत देते हुए मनोज झा ने कहा कि इंसानी जिंदगी को संजीदगी से देखते हुए इस भयानक महामारी से बचने के बारे में सोचने की जरूरत है.

गौरतलब है कि NTA के द्वारा NEET (UG) की परीक्षाएं 1 सिंतबर से 6 सिंतबर के बीच आयोजित करना तय है, जबकि JEE(main) की परीक्षा 13 सिंतबर को आयोजित होगी.

नई दिल्ली : देशभर में नीट और जेईई (मेन) परीक्षाओं के आयोजन को लेकर विरोध का दौर जारी है. सोमवार को भाजपा के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने यहां तक कह दिया कि छात्रों को जबरदस्ती परीक्षा देने पर मजबूर किया जा रहा है. उन्हें 1976 के उस समयकाल की याद दिलाएगा, जब लोगों की जबरदस्ती नसबंदी कराई गई थी.

एनडीए के घटक दल लोजपा के नेता और सांसद चिराग पासवान ने भी कोरोना महामारी की स्थिति में परीक्षाएं कराने का विरोध किया तो वहीं तमाम विपक्षी पार्टियों की तरफ से भी लगातार प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.

इस विषय पर ईटीवी भारत ने राज्यसभा सांसद और शिक्षाविद मनोज झा से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि यह मामला केवल पक्ष और विपक्ष का नहीं है. यह लाखों छात्रों के जीवन का सवाल है, जब संक्रमित लोगों की संख्या महज 150 थी तब सरकार कहीं ज्यादा गंभीर थी और सब कुछ बंद कर उस समय सारी परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया था, लेकिन अब जब संक्रमित लोगों की संख्या 31 लाख पार कर चुकी है, प्रतिदिन हजार से ज्यादा जानें जा रही हैं.

ईटीवी भारत से मनोज झा ने की बात.

उन्होंने कहा कि बीते दिन बेंगलुरु में एक परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसके बाद 91 छात्र कोरोना संक्रमित पाए गए थे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वयं कहा था कि जान है तो जहान है, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि उनकी सरकार ने इस मंत्र को भूला दिया है.

मनोज झा ने सवाल उठाते हुए कहा है कि क्या सरकार ने मान लिया है कि अब स्थिति उनके नियंत्रण में नहीं है तो सबको कोरोना जैसी महामारी के खतरे में झोंक दिया जाए?

मनोज झा ने कहा कि सरकार को इन परीक्षाओं को और आगे ले जाना चाहिए. साथ ही वैकल्पिक व्यवस्थाओं पर भी विचार करना चाहिए. इस समय महामारी के बीच परीक्षाएं कराना सरकार के अड़ियल रवैये को दिखाता है जो स्वीकार नहीं होगा.

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की तरफ से जारी दिशा निर्देशों में परीक्षा केंद्रों पर कोरोना संक्रमण से संबंधित तमाम तरह की सावधानियां बरतने की बात की गई है. हर सेंटर पर कुछ आइसोलेशन रूम भी होंगे और किसी भी छात्र के शरीर का तापमान अगर औसत से ज्यादा पाया जाता है तो उसे अलग रूम में बैठ कर परीक्षा देने की व्यवस्था होगी.

इसके साथ ही मास्क और सैनिटाइजेशन की व्यवस्था के साथ-साथ सीटों के बीच दूरी का भी ध्यान रखने की बात कही गई है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मनोज झा ने कहा कि अगर इतनी सावधानियों के साथ सरकार को लगता है कि कोई खतरा नहीं है तो फिर सभी स्कूल कॉलेज भी खोल देने चाहिए. यह दोहरा मापदंड क्यों रखा जा रहा है.

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भाजपा राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के बयान पर उन्होंने कहा कि वह उनके शब्द नहीं हैं, इसलिए वह उस प्रतीक के साथ खड़े नहीं हो सकते. सरकार को नसीहत देते हुए मनोज झा ने कहा कि इंसानी जिंदगी को संजीदगी से देखते हुए इस भयानक महामारी से बचने के बारे में सोचने की जरूरत है.

गौरतलब है कि NTA के द्वारा NEET (UG) की परीक्षाएं 1 सिंतबर से 6 सिंतबर के बीच आयोजित करना तय है, जबकि JEE(main) की परीक्षा 13 सिंतबर को आयोजित होगी.

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