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बच्ची का यौन उत्पीड़न करने पर दोषी को 10 साल की जेल

यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) एक्ट कोर्ट के जज एसआर पहाड़े ने दोषी गीतेश उर्फ ​​पिन्टी बाबन बंसोड पर भी 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. साथ ही 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई.

assaulting girl
10 साल जेल की सजा
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Published : Dec 28, 2020, 12:52 PM IST

ठाणे : महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक विशेष अदालत ने 27 वर्षीय व्यक्ति को अपने पड़ोसी की चार साल की बेटी का यौन उत्पीड़न करने के जुर्म में 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनायी.

यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत मामलों की सुनवाई करने वाली अदालत के न्यायाधीश एस आर पहाड़े ने गीतेश उर्फ पिंट्या बब्बन बनसोडे को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2)(आई) और पॉक्सो कानून की धारा चार और छह के तहत दोषी करार दिया और उस पर 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया.

अदालत ने सीआरपीसी की धारा 357 ए के तहत महाराष्ट्र सरकार को पीड़िता को समुचित मुआवजा भी प्रदान करने का निर्देश दिया.

अभियोजन ने अदालत को बताया कि बनसोडे ने लड़की को खाने का सामान देने के बहाने उसका यौन उत्पीड़न किया था. किसी को बताने पर उसने जान से मारने की धमकी दी थी.

पढ़ें : NH-17 पर दर्दनाक हादसा, बस-ट्रक की टक्कर में सात की मौत, 20 घायल

अदालत ने अपने आदेश में कहा, यौन हिंसा एक अमानवीय कृत्य है. बच्ची की गरिमा को तार तार किया गया. उसके साथ अमानवीय बर्ताव किया गया, जबकि वह एक छोटी बच्ची थी. इससे पीड़िता को गहरा सदमा लगा.

ठाणे : महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक विशेष अदालत ने 27 वर्षीय व्यक्ति को अपने पड़ोसी की चार साल की बेटी का यौन उत्पीड़न करने के जुर्म में 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनायी.

यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत मामलों की सुनवाई करने वाली अदालत के न्यायाधीश एस आर पहाड़े ने गीतेश उर्फ पिंट्या बब्बन बनसोडे को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2)(आई) और पॉक्सो कानून की धारा चार और छह के तहत दोषी करार दिया और उस पर 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया.

अदालत ने सीआरपीसी की धारा 357 ए के तहत महाराष्ट्र सरकार को पीड़िता को समुचित मुआवजा भी प्रदान करने का निर्देश दिया.

अभियोजन ने अदालत को बताया कि बनसोडे ने लड़की को खाने का सामान देने के बहाने उसका यौन उत्पीड़न किया था. किसी को बताने पर उसने जान से मारने की धमकी दी थी.

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अदालत ने अपने आदेश में कहा, यौन हिंसा एक अमानवीय कृत्य है. बच्ची की गरिमा को तार तार किया गया. उसके साथ अमानवीय बर्ताव किया गया, जबकि वह एक छोटी बच्ची थी. इससे पीड़िता को गहरा सदमा लगा.

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