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UN में जनमत संग्रह वाले बयान से पलटीं ममता, CAA वापस लेने का आग्रह किया - दीदी का यू टर्न

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नए नगारिकता कानून पर संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह कराए जाने की मांग की थी. हालांकि, कड़ी आलोचना के बाद उन्होंने अपना बयान बदल लिया है. जानें उन्होंने क्या कहा...

mamta on un referendum
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Published : Dec 20, 2019, 10:56 PM IST

कोलकाता : नए नगारिकता कानून पर संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह कराए जाने संबंधी अपने बयान पर चौतरफा निन्दा के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को यू टर्न ले लिया. उन्होंने कहा कि उनका मतलब निष्पक्ष विशेषज्ञों की निगरानी में एक अभिमत, ओपिनियन पोल कराने से था.

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वह लोगों की आवाज सुनें और संशोधित नागरिकता कानून को खत्म करें तथा समूचे देश में एनआरसी लागू करने की योजना को राष्ट्र हित में वापस लें.

बनर्जी ने शहर के अल्पसंख्यक बहुल इलाके पार्क सर्कस में एक प्रदर्शन सभा में कहा, 'यदि अटल जी (अटल बिहारी वाजपेयी) जीवित होते तो वह भाजपा से राजधर्म का पालन करने को कहते. लेकिन अब जो सत्ता (केंद्र) में हैं, वे इसका पालन नहीं करते.'

वर्ष 2002 में गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए दंगों में तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी ने राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी को राजधर्म का पालन करने को कहा था.

उन्होंने आश्चर्य जताया कि लोकसभा और राज्यसभा में नागरिकता (संशोधन) कानून पारित होने के दौरान संसद में मौजूद रहने के बावजूद मोदी ने मत विभाजन में हिस्सा क्यों नहीं लिया.

बनर्जी ने कहा, 'प्रधानमंत्री के विचार नए कानून से मेल नहीं खाते, इसलिए वह मत विभाजन में शामिल होने से दूर रहे.'

संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह से संबंधित टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बनर्जी ने कहा कि उन्हें भाजपा से देशभक्ति और राष्ट्रवाद के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है.

उन्होंने कहा, 'मैंने संयुक्त राष्ट्र जनमत संग्रह की बात नहीं की. मेरा मतलब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसे हमारे देश के निष्पक्ष विशेषज्ञों की निगरानी में अभिमत कराने से था. इसकी निगरानी संयुक्त राष्ट्र जैसे स्वतंत्र संगठनों द्वारा भी की जा सकती है. मेरा अपने देश और इसके लोगों में पूरा विश्वास है.'

मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैं 1970 के दशक से राजनीति में हूं और 80 के दशक से लोगों की प्रतिनिधि रही हूं. मुझे भाजपा से देशभक्ति के प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है.'

केंद्रीय मंत्रियों- स्मृति ईरानी और प्रकाश जावड़ेकर और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बनर्जी के बयान पर नाराजगी जताई थी.

पढ़ें-ममता की मांग- CAA और NRC पर यूएन की निगरानी में हो जनमत संग्रह

बनर्जी ने कहा, 'जब भी कोई आवाज उठाता है, उस व्यक्ति को राष्ट्रविरोधी कह दिया जाता है. देश 1947 में आजाद हुआ. उनकी (भाजपा) पार्टी 1980 के दशक में बनी. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा नहीं लिया. यह फैसला करने वाले आप कौन होते हैं कि कौन नागरिक है और कौन नहीं.'

देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की निन्दा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि क्या यह स्वस्थ लोकतंत्र की निशानी है जहां पुलिस प्रदर्शनकारियों पर गोली चला रही है.

उन्होंने कहा, 'हमें लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करना चाहिए. जनजीवन को बाधित नहीं किया जाना चाहिए.'

बनर्जी ने कहा, 'राज्य में 23 दिसंबर से बड़े कार्यक्रम होंगे. हम एक जनवरी को समूचे राज्य में नागरिकता दिवस मनाएंगे.'

कोलकाता : नए नगारिकता कानून पर संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह कराए जाने संबंधी अपने बयान पर चौतरफा निन्दा के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को यू टर्न ले लिया. उन्होंने कहा कि उनका मतलब निष्पक्ष विशेषज्ञों की निगरानी में एक अभिमत, ओपिनियन पोल कराने से था.

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वह लोगों की आवाज सुनें और संशोधित नागरिकता कानून को खत्म करें तथा समूचे देश में एनआरसी लागू करने की योजना को राष्ट्र हित में वापस लें.

बनर्जी ने शहर के अल्पसंख्यक बहुल इलाके पार्क सर्कस में एक प्रदर्शन सभा में कहा, 'यदि अटल जी (अटल बिहारी वाजपेयी) जीवित होते तो वह भाजपा से राजधर्म का पालन करने को कहते. लेकिन अब जो सत्ता (केंद्र) में हैं, वे इसका पालन नहीं करते.'

वर्ष 2002 में गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए दंगों में तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी ने राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी को राजधर्म का पालन करने को कहा था.

उन्होंने आश्चर्य जताया कि लोकसभा और राज्यसभा में नागरिकता (संशोधन) कानून पारित होने के दौरान संसद में मौजूद रहने के बावजूद मोदी ने मत विभाजन में हिस्सा क्यों नहीं लिया.

बनर्जी ने कहा, 'प्रधानमंत्री के विचार नए कानून से मेल नहीं खाते, इसलिए वह मत विभाजन में शामिल होने से दूर रहे.'

संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह से संबंधित टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बनर्जी ने कहा कि उन्हें भाजपा से देशभक्ति और राष्ट्रवाद के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है.

उन्होंने कहा, 'मैंने संयुक्त राष्ट्र जनमत संग्रह की बात नहीं की. मेरा मतलब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसे हमारे देश के निष्पक्ष विशेषज्ञों की निगरानी में अभिमत कराने से था. इसकी निगरानी संयुक्त राष्ट्र जैसे स्वतंत्र संगठनों द्वारा भी की जा सकती है. मेरा अपने देश और इसके लोगों में पूरा विश्वास है.'

मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैं 1970 के दशक से राजनीति में हूं और 80 के दशक से लोगों की प्रतिनिधि रही हूं. मुझे भाजपा से देशभक्ति के प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है.'

केंद्रीय मंत्रियों- स्मृति ईरानी और प्रकाश जावड़ेकर और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बनर्जी के बयान पर नाराजगी जताई थी.

पढ़ें-ममता की मांग- CAA और NRC पर यूएन की निगरानी में हो जनमत संग्रह

बनर्जी ने कहा, 'जब भी कोई आवाज उठाता है, उस व्यक्ति को राष्ट्रविरोधी कह दिया जाता है. देश 1947 में आजाद हुआ. उनकी (भाजपा) पार्टी 1980 के दशक में बनी. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा नहीं लिया. यह फैसला करने वाले आप कौन होते हैं कि कौन नागरिक है और कौन नहीं.'

देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की निन्दा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि क्या यह स्वस्थ लोकतंत्र की निशानी है जहां पुलिस प्रदर्शनकारियों पर गोली चला रही है.

उन्होंने कहा, 'हमें लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करना चाहिए. जनजीवन को बाधित नहीं किया जाना चाहिए.'

बनर्जी ने कहा, 'राज्य में 23 दिसंबर से बड़े कार्यक्रम होंगे. हम एक जनवरी को समूचे राज्य में नागरिकता दिवस मनाएंगे.'

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PRI GEN NAT
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WB-CITIZENSHIP-LD MAMATA
Mamata makes U-turn on UN referendum statement, urges PM to
withdraw new citizenship law
         (Eds: With fresh inputs, collating related stories)
         Kolkata, Dec 20 (PTI) After being widely criticised
for seeking a UN-monitored referendum on the new citizenship
law, West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee on Friday made
a U-turn and said she only wanted an opinion poll observed by
impartial experts.
         The Trinamool Congress supremo also appealed to Prime
Minister Narendra Modi to listen to the voice of the people
and revoke the amended Citizenship Act and drop the plans for
implementing the NRC across the nation in the interests of the
country.
         "Had Atalji (Atal Bihar Vajpayee) been alive, he would
have asked the BJP to follow Raj Dharma. But those who are in
power now (at the Centre) don't follow it," Banerjee said at a
protest meeting in the minority dominated Park Circus area of
the city.
         After the post-Godhra riots in 2002, the then prime
minister Vajpayee had advised Modi who was the chief minister
of Gujarat at that time, to follow Raj Dharma.
         Wondering why Modi, despite being present when the
Citizenship (Amendment) Bill was put to vote at Lok Sabha and
Rajya Sabha, did not take part in the voting, the chief
minister said, "The PM is not in sync with the new Act and
that is why he refrained from voting".
         Reacting to the criticism over her UN referendum
comments, Banerjee said she don't need a certificate of
patriotism and nationalism from the BJP.
         "I did not say UN referendum. I meant an opinion poll
overseen by impartial experts of our country, which can be
observed by impartial organistions like the National Human
Rights commission. It can also be observed by independent
organisations like the UN. I have full faith in my country and
its people," she said.
         "I have been in politics since the 1970s and have been
a people's representative since the '80s. I don't need a
certificate of patriotism from the BJP," Banerjee said.
         Besides Union ministers Smriti Irani and Prakash
Javadekar, West Bengal Governor Jagdeep Dhankhar expressed his
disapproval over the TMC supremo's statement.
         "Whenever anyone raises a voice, the person is called
anti-national. The country became independent in 1947. Their
party was formed in the 1980s. They did not participate in the
freedom struggle. Who are you to decide who is a citizen and
who is not?" Banerjee said.
         Condemning the police firing on protesters in various
parts of the country, the chief minister wondered if it is a
sign of healthy democracy where police is shooting protesters.
         "We must protest democratically. Public life must not
be hampered," she said.
         The CM claimed that the BJP deliberately passed the
citizenship bill to deflect attention from the poor economic
condition of the country and price rise of essentials.
         "If you don't take back the black law, if you don't
reconsider the decision about (implementing nation-wide) NRC,
you will have to go. Don't ignore people's voice," she said.
         "The BJP is imposing one political agenda after
another under the impression that Indians are peace-loving
people... under the impression that only it will remain in
power," Banerjee said.
         She held a meeting with TMC MPs and MLAs to devise the
party's strategy to counter the new citizenship law and
announced a series of protest programmes.
         "There will be a series of mass programmes across the
state from December 23. On January 1, we would organize
Citizenship Day across the state," she said.
         TMC sources said Banerjee asked party leaders to fan
out to every nook and corner of the state and create public
opinion on the new citizenship law.
         "Our party supremo has also asked us to remain
cautious of efforts by the BJP to flare up communal passion
and ensure that peace and tranquillity are maintained," a
senior TMC leader said. PTI PNT
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