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प्रेरक : महाराष्ट्र की उषा ने कर दिखाया 'हम किसी से कम नहीं' - राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड

कोरोना की महामारी और लॉकडाउन जैसे चुनौतीपूर्ण समय में कई सकारात्मक और प्रेरक उदाहरण भी सामने आए हैं. ताजा घटनाक्रम महाराष्ट्र के बीड जिले का है. यहां काम करने वाली लाइन वुमन का प्रशंसनीय कार्य सामने आया है. यह प्रेरक कहानी है उषा भाऊसाहेब जगदाले की.

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प्रेरणापुंज हैं महाराष्ट्र की उषा जगदाले
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Published : Aug 11, 2020, 6:30 PM IST

बीड (महाराष्ट्र) : यदि आपके आसपास 'लोग क्या कहेंगे' जैसी सोच रखने वाले लोगों की बजाय दृढ़ता और विश्वास से भरे कर्मयोगी हों, तो आप किसी भी क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ सकते हैं. यह कथन बीड की उषा भाऊसाहेब जगदाले पर सटीक बैठता है. उषा ने अपने कर्म से इस कथन को चरितार्थ कर दिखाया है.

महाराष्ट्र की उषा जगदाले हैं प्रेरणा

उषा जगदाले महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (एमएसईडीसीए) में एक लाइनवुमन के रूप में काम करती हैं. कोरोना महामारी के बीच भी उषा लगातार काम काम कर रही हैं. एक महिला होने के बावजूद उन्होंने खुद अपने कर्म से रूढ़िवादी ख्यालों को आईना दिखाया है.

उषा बिजली के खंभे पर चढ़कर काम करना पसंद करती हैं. इनका जन्म बीड जिले के आष्टी में एक किसान परिवार में हुआ है. घर की आर्थिक स्थिति दयनीय होने के बावजूद स्कूल में पढ़ाई के दौरान उषा जगदाले ने अपनी प्रतिभा दिखाई थी. उषा खो-खो में राष्ट्रीय स्तर पर 11 स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं.

उषा जगदाले की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें महाराष्ट्र की खो-खो टीम की कप्तानी भी दी गई. हालांकि उषा घरेलू परिस्थितियों के कारण आगे की पढ़ाई नहीं कर सकीं. बाद में उनकी शादी हो गई.

यहां एक और प्रेरक तथ्य यह है कि शादी के बाद भी उषा ने हार नहीं मानी. शुरुआत में उन्होंने अपने पति के डेयरी व्यवसाय में मदद की. साल 2013 में एमएसईडीसीए को उषा की खेल से जुड़ी प्रतिभा का पता चला. इसके बाद उषा को खिलाड़ी कोटा से एमएसईडीसीए में एक तकनीशियन के रूप में चुना गया.

एमएसईडीसीएल के उप-विभागीय कार्यालय में उन्होंने कार्यालय में बैठकर का काम करने की बजाय, उन्होंने फील्ड वर्क चुना. उषा खंबे पर काम करना पसंद करती हैं. उनके काम से यह साबित होता है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कमतर नहीं हैं. उषा खुद बिजली के खंभे पर चढ़ती हैं और बिजली की तारों में मरम्मत का काम करती हैं.

गौरतलब है कि वह पिछले चार से पांच माह के दौरान कोरोना महामारी के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन के बावजूद बिजली आपूर्ति सुचारु रहे इस ध्येय के साथ काम कर रही है. उन्होंने उपभोक्ता शिकायत निवारण केंद्र के लिए भी अथक प्रयास किए हैं.

इसके साथ ही उषा ने घरेलू जिम्मेदारियों का निर्वाह भी ठीक से किया है. उषा अपने संयुक्त परिवार का भी पूरा ख्याल रखती हैं. उषा के परिवार में उनके पति के अलावा जुड़वां बच्चे और सास-ससुर हैं. बहरहाल उषा भाऊसाहेब जगदाले और उनका परिवार अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा है. उषा जगदाले की वीडियो सामने आने के बाद लोगों ने उनकी खूब सराहना की है.

बीड (महाराष्ट्र) : यदि आपके आसपास 'लोग क्या कहेंगे' जैसी सोच रखने वाले लोगों की बजाय दृढ़ता और विश्वास से भरे कर्मयोगी हों, तो आप किसी भी क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ सकते हैं. यह कथन बीड की उषा भाऊसाहेब जगदाले पर सटीक बैठता है. उषा ने अपने कर्म से इस कथन को चरितार्थ कर दिखाया है.

महाराष्ट्र की उषा जगदाले हैं प्रेरणा

उषा जगदाले महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (एमएसईडीसीए) में एक लाइनवुमन के रूप में काम करती हैं. कोरोना महामारी के बीच भी उषा लगातार काम काम कर रही हैं. एक महिला होने के बावजूद उन्होंने खुद अपने कर्म से रूढ़िवादी ख्यालों को आईना दिखाया है.

उषा बिजली के खंभे पर चढ़कर काम करना पसंद करती हैं. इनका जन्म बीड जिले के आष्टी में एक किसान परिवार में हुआ है. घर की आर्थिक स्थिति दयनीय होने के बावजूद स्कूल में पढ़ाई के दौरान उषा जगदाले ने अपनी प्रतिभा दिखाई थी. उषा खो-खो में राष्ट्रीय स्तर पर 11 स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं.

उषा जगदाले की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें महाराष्ट्र की खो-खो टीम की कप्तानी भी दी गई. हालांकि उषा घरेलू परिस्थितियों के कारण आगे की पढ़ाई नहीं कर सकीं. बाद में उनकी शादी हो गई.

यहां एक और प्रेरक तथ्य यह है कि शादी के बाद भी उषा ने हार नहीं मानी. शुरुआत में उन्होंने अपने पति के डेयरी व्यवसाय में मदद की. साल 2013 में एमएसईडीसीए को उषा की खेल से जुड़ी प्रतिभा का पता चला. इसके बाद उषा को खिलाड़ी कोटा से एमएसईडीसीए में एक तकनीशियन के रूप में चुना गया.

एमएसईडीसीएल के उप-विभागीय कार्यालय में उन्होंने कार्यालय में बैठकर का काम करने की बजाय, उन्होंने फील्ड वर्क चुना. उषा खंबे पर काम करना पसंद करती हैं. उनके काम से यह साबित होता है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कमतर नहीं हैं. उषा खुद बिजली के खंभे पर चढ़ती हैं और बिजली की तारों में मरम्मत का काम करती हैं.

गौरतलब है कि वह पिछले चार से पांच माह के दौरान कोरोना महामारी के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन के बावजूद बिजली आपूर्ति सुचारु रहे इस ध्येय के साथ काम कर रही है. उन्होंने उपभोक्ता शिकायत निवारण केंद्र के लिए भी अथक प्रयास किए हैं.

इसके साथ ही उषा ने घरेलू जिम्मेदारियों का निर्वाह भी ठीक से किया है. उषा अपने संयुक्त परिवार का भी पूरा ख्याल रखती हैं. उषा के परिवार में उनके पति के अलावा जुड़वां बच्चे और सास-ससुर हैं. बहरहाल उषा भाऊसाहेब जगदाले और उनका परिवार अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा है. उषा जगदाले की वीडियो सामने आने के बाद लोगों ने उनकी खूब सराहना की है.

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