बर्धमान: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को हिंदू समाज को एकजुट करने के महत्व पर जोर देते हुए इसे देश का जिम्मेदार समुदाय बताया. पश्चिम बंगाल के बर्धमान के एसएआई ग्राउंड में आरएसएस के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि लोग अक्सर पूछते हैं कि हम केवल हिंदू समाज पर ही ध्यान क्यों देते हैं. मेरा जवाब है कि 'देश का जिम्मेदार समाज हिंदू समाज है.' पश्चिम बंगाल पुलिस ने पहले रैली आयोजित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. कलकत्ता उच्च न्यायालय से मंजूरी मिलने के बाद रैली आयोजित की गई.
संघ क्या चाहता हैः भागवत ने कहा कि जो लोग संघ के बारे में नहीं जानते, वे अक्सर सवाल करते हैं कि संघ क्या चाहता है. अगर मुझे जवाब देना होता, तो मैं कहता कि संघ हिंदू समाज को संगठित करना चाहता है. उन्होंने कहा कि भारतवर्ष केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं है. इसका आकार समय के साथ बढ़ या घट सकता है. भारत का अपना अंतर्निहित चरित्र है. जिन लोगों को लगा कि वे इस प्रकृति के साथ सामंजस्य में नहीं रह सकते, उन्होंने अपने अलग देश बना लिए.
#WATCH | Purba Bardhaman, West Bengal: RSS Chief Mohan Bhagwat says, " ...what does the sangh want to do? if this question has to be answered in one sentence, then the sangh wants to unite the entire hindu society. why unite the hindu society? because the society responsible for… pic.twitter.com/7i4fY3m0J7
— ANI (@ANI) February 16, 2025
विविधता में एकताः आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हम कहते हैं 'विविधता में एकता', लेकिन हिंदू समाज मानता है कि विविधता ही एकता है. भागवत ने कहा कि भारत में, कोई भी सम्राटों और महाराजाओं को याद नहीं करता, बल्कि अपने पिता का वचन पूरा करने के उद्देश्य से 14 साल के लिए वनवास जाने वाले भगवान राम और उस व्यक्ति को याद रखता है जिसने अपने भाई की पादुकाएं सिंहासन पर रख दीं और वनवास से लौटने पर उसे राज सौंप दिया.
समस्याओं की प्रकृति क्या हैः उन्होंने कहा कि ये विशेषताएं भारत को परिभाषित करती हैं. जो लोग इन मूल्यों का पालन करते हैं, वे हिंदू हैं और वे पूरे देश की विविधता को एकजुट रखते हैं. हिंदुओं के बीच एकता की आवश्यकता दोहराते हुए भागवत ने कहा कि अच्छे समय में भी चुनौतियां हमेशा सामने आती रहेंगी. उन्होंने कहा कि समस्याओं की प्रकृति क्या है इसके बजाए यह महत्व रखता है कि हम उनका सामना करने के लिए कितने तैयार हैं.
भागवत ने कहा, "महात्मा गांधी ने भी कहा था कि अंग्रेजों ने हमें यह दिखाने की कोशिश की कि उन्होंने भारत का निर्माण किया है और उन्होंने कहा था कि यह गलत है. भारत सदियों से अस्तित्व में है. विविधतापूर्ण है, फिर भी एकजुट है. इस देश में रहने वाले सभी लोग विविधता में एकता के इस विचार में विश्वास करते हैं. आज, अगर हम इस बारे में बात करते हैं, तो हम पर हिंदुत्व की बात करने का आरोप लगाया जाता है."
संघ के बारे में गलतफहमियांः संगठन के बारे में गलत धारणाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अगर आप बाहर से देखें, तो आपको संघ के बारे में गलतफहमियां हो सकती हैं. हमारी हजारों शाखाएं हैं और हम उनका विस्तार करना चाहते हैं. हिंदू समाज को एकजुट करने के आरएसएस के इरादों पर उन्होंने कहा, "हम कुछ हासिल करना नहीं चाहते. हम सिर्फ देश के विकास के लिए काम करना चाहते हैं. इतिहास और वर्तमान हमें बताता है कि भारत सभी के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखता आया है, यहां तक कि उन लोगों के साथ भी जो हमारा नुकसान चाहते हैं. दूसरे लोग हितों के बारे में सोचते हैं लेकिन हम संबंधों के बारे में सोचते हैं."
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