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पड़ोसी देशों में सताए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देना भारत का कर्तव्य : राम माधव

लोकसभा में सोमवार को पेश किए जाने वाले नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) पर भाजपा महासचिव राम माधव कहना है कि पड़ोसी देशों में सताए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देना भारत का कर्तव्य है, क्योंकि वे धर्म के आधार पर देश का बंटवारा करने के फैसले के 'पीड़ित' हैं. जानें विस्तार से...

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Published : Dec 8, 2019, 6:19 PM IST

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भाजपा महासचिव राम माधव (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी के महासचिव राम माधव ने नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) का बचाव करते हुए कहा कि पड़ोसी देशों में सताए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देना भारत का कर्तव्य है, क्योंकि वे धर्म के आधार पर देश का बंटवारा करने के फैसले के 'पीड़ित' हैं.

उल्लेखनीय है कि लोकसभा में सोमवार को पेश किए जाने वाले नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) में कहा गया है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक आधार पर सताए जाने के कारण आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों के साथ अवैध प्रवासियों की तरह व्यवहार नहीं किया जा सकता और उन्हें विधेयक के तहत भारतीय नागरिकता दी जाएगी.

राजनीतिक दलों की ओर से की जा रही आलोचना का जवाब देते हुए माधव ने कहा कि इसी तरह का कानून आव्रजक (असम से निर्वासन) अधिनियम 1950 में पंडित जवाहर लाल नेहरू की तत्कालीन सरकार ने बनाया था.

माधव ने एक साक्षात्कार में कहा, 'मैं नागरिकता संशोधन विधेयक के आलोचकों को याद दिला दूं, नेहरू सरकार ने अवैध प्रवासियों को खासतौर पर पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से आए लोगों को निर्वासित करने के लिए 1950 में इसी तरह का कानून बनाया था और उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि पूर्वी पाकिस्तान से आने वाले अल्पसंख्यक इसके दायरे में नहीं आएंगे.'

माधव ने रेखांकित किया कि भारत ने उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों के लिए हमेशा अपने दरवाजे खुले रखे. उन्होंने कहा, 'पड़ोसी देशों के सताए गए अल्संख्यक, जिन्हें विधेयक में नागरिकता देने का प्रस्ताव है, देश को धार्मिक आधार पर बांटने के ऐतिहासिक फैसले के शिकार हैं और यह भारत का कर्तव्य है कि वह इन अल्पसंख्यकों को नागरिकता का अधिकार दे.'

इसे भी पढ़ें- नागरिकता संशोधन बिल : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी मंजूरी

पूर्वोत्तर के राज्यों में पार्टी के रणनीतिकार माधव ने कहा कि सरकार और गृहमंत्री अमित शाह ने क्षेत्र के लोगों की आशंकाओं को दूर करने के लिए विभिन्न हितधारकों से गहन चर्चा की है.

उन्होंने कहा कि विधेयक के मद्देनजर जनसांख्यिकी, भाषा और संस्कृति में बदलाव सहित राज्यों की सभी आशंकाओं का सरकार निराकरण करेगी.

सांसदों को वितरित नागरिकता (संशोधन) विधेयक-2019 की प्रति के मुताबिक यह कानून परमिट क्षेत्र (आईएलपी) और जनजातीय क्षेत्रों में लागू नहीं होगा, जहां पर संविधान की छठी अनुसूची के तहत शासन होता है.

इसलिए यह कानून असम, मेघालय और त्रिपुरा के आदिवासी इलाकों और अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम के आईएलपी इलाकों में लागू नहीं होगा.

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी के महासचिव राम माधव ने नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) का बचाव करते हुए कहा कि पड़ोसी देशों में सताए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देना भारत का कर्तव्य है, क्योंकि वे धर्म के आधार पर देश का बंटवारा करने के फैसले के 'पीड़ित' हैं.

उल्लेखनीय है कि लोकसभा में सोमवार को पेश किए जाने वाले नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) में कहा गया है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक आधार पर सताए जाने के कारण आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों के साथ अवैध प्रवासियों की तरह व्यवहार नहीं किया जा सकता और उन्हें विधेयक के तहत भारतीय नागरिकता दी जाएगी.

राजनीतिक दलों की ओर से की जा रही आलोचना का जवाब देते हुए माधव ने कहा कि इसी तरह का कानून आव्रजक (असम से निर्वासन) अधिनियम 1950 में पंडित जवाहर लाल नेहरू की तत्कालीन सरकार ने बनाया था.

माधव ने एक साक्षात्कार में कहा, 'मैं नागरिकता संशोधन विधेयक के आलोचकों को याद दिला दूं, नेहरू सरकार ने अवैध प्रवासियों को खासतौर पर पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से आए लोगों को निर्वासित करने के लिए 1950 में इसी तरह का कानून बनाया था और उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि पूर्वी पाकिस्तान से आने वाले अल्पसंख्यक इसके दायरे में नहीं आएंगे.'

माधव ने रेखांकित किया कि भारत ने उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों के लिए हमेशा अपने दरवाजे खुले रखे. उन्होंने कहा, 'पड़ोसी देशों के सताए गए अल्संख्यक, जिन्हें विधेयक में नागरिकता देने का प्रस्ताव है, देश को धार्मिक आधार पर बांटने के ऐतिहासिक फैसले के शिकार हैं और यह भारत का कर्तव्य है कि वह इन अल्पसंख्यकों को नागरिकता का अधिकार दे.'

इसे भी पढ़ें- नागरिकता संशोधन बिल : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी मंजूरी

पूर्वोत्तर के राज्यों में पार्टी के रणनीतिकार माधव ने कहा कि सरकार और गृहमंत्री अमित शाह ने क्षेत्र के लोगों की आशंकाओं को दूर करने के लिए विभिन्न हितधारकों से गहन चर्चा की है.

उन्होंने कहा कि विधेयक के मद्देनजर जनसांख्यिकी, भाषा और संस्कृति में बदलाव सहित राज्यों की सभी आशंकाओं का सरकार निराकरण करेगी.

सांसदों को वितरित नागरिकता (संशोधन) विधेयक-2019 की प्रति के मुताबिक यह कानून परमिट क्षेत्र (आईएलपी) और जनजातीय क्षेत्रों में लागू नहीं होगा, जहां पर संविधान की छठी अनुसूची के तहत शासन होता है.

इसलिए यह कानून असम, मेघालय और त्रिपुरा के आदिवासी इलाकों और अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम के आईएलपी इलाकों में लागू नहीं होगा.

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CAB-RAM MADHAV
Persecuted minorities of neighbouring nations victims of Partition, India duty-bound to give them citizenship: Madhav
By Jatin Takkar
          New Delhi, Dec 8 (PTI) India is duty-bound to give citizenship to persecuted minorities from neighbouring countries as they are "victims" of the decision to divide the country on religious lines, BJP general secretary Ram Madhav has said while defending the Citizenship Amendment Bill.
          Non-Muslim refugees, who have come from Pakistan, Bangladesh and Afghanistan after facing religious persecution, will not be treated as illegal immigrants and will be given Indian citizenship under the Bill which is set to be introduced by Union Home Minister Amit Shah.
          Responding to criticism of the Bill from political parties, Madhav said a similar legislation 'Immigrants (Expulsion from Assam)' Act was enacted in 1950 by the then Congress government led by Jawaharlal Nehru.
         "Let me remind the critics of the Citizenship Amendment Bill, Nehru government had passed a similar bill in 1950 for expulsion of illegal immigrants mainly from erstwhile Pakistan (Bangladesh) and had categorically said that minorities of East Pakistan wouldn't be covered under the bill," Madhav told PTI in an interview.
          Asserting that India has always kept its doors open for oppressed minorities, Madhav said," The persecuted minorities of the neighbouring countries, which are proposed to be given citizenship in the bill, are victims of the historical decision to divide this country on religious lines. And India is duty-bound to give citizenship rights to these minorities."
          Madhav, who is party's pointsman for Northeastern states, said the government and Home Minister Shah held extensive consultations with various stakeholders from the region to address their apprehensions.
          He said the government will address all apprehensions of the states about the changes in their demography, language and culture due to this bill.
          According to the Citizenship (Amendment) Bill, 2019, which was distributed among the MPs, the new law will not be applicable in the Inner Line Permit (ILP) regime areas and those tribal regions which are governed under the Sixth Schedule of the Constitution.
          Therefore, it will not be applicable to the tribal areas of Assam, Meghalaya, and Tripura as well as Arunachal Pradesh, Nagaland and Mizoram where ILP regime is applicable. PTI JTR
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