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उत्तर पूर्व राज्यों में कोरोना के मामले इतने कम क्यों?

भारत का हर हिस्सा कोरोना के कहर से हलकान है. हालांकि, एक क्षेत्र ऐसा भी है जहां पर कोरोना के काफी कम मामले सामने आए हैं. कोरोना संक्रमण के उत्तर-पूर्व भारत में सिर्फ 37 मामले सक्रिय हैं. असम में 31, मणिपुर और त्रिपुरा में दो-दो और अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा में एक-एक मामला सामने आया है. वहीं मेघालय और नागालैंड अब तक इस वायरस से अछूता है. जानें विस्तार से...

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प्रतीकात्मक चित्र
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Published : Apr 14, 2020, 11:17 PM IST

हैदराबाद : भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के बुलेटिन के अनुसार, 'उत्तर-पूर्व क्षेत्र की जनसंख्या भारतीय जनसंख्या का 3.7% है. हालांकि इस क्षेत्र में आठ से 12 प्रतिशत मलेरिया के मरीज, 10 से 20% मामले संक्रमण के और वहीं 13% से 41% मौतें मलेरिया के कारण होती हैं.

बहरहाल कोरोना संक्रमण के उत्तर-पूर्व में 37 मामले सक्रिय हैं. असम में 31, मणिपुर और त्रिपुरा में दो-दो और अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा में एक-एक मामला सामने आया है. वहीं मेघालय और नागालैंड अब तक वायरस से अछूता है.

31 कोरोना रोगियों के संपर्क में आने वाले लगभग 2,000 लोगों का कोविड-19 परीक्षण किया गया. हालांकि जांच में सभी सार्स कोव 2 नकारात्मक पाए गए.

असम

असम में कोरोना वायरस के 28 सकारात्मक मामले मिले हैं. सभी मामले दिल्ली के तबलीगी जमात से जुड़े हैं. राज्य के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक लक्ष्मणन एस के अनुसार 1,200-1,300 लोग जो 28 तबलीगियों के संपर्क में आए थे, उनका परीक्षण किया गया था, लेकिन वेह सभी नकारात्मक आए.

इसी प्रकार एक संक्रमित अमेरिकी पर्यटक के ब्रह्मपुत्र नदी पर सात दिन क्रूज पर बिताए फिर गुवाहाटी के एक लक्जरी होटल में और कजरिंगा अभयारण्य के बगल में जोरहाट के एक रिसॉर्ट में बिताया. इस कारण लगभग 500 लोगों का कोरोना वायरस का परीक्षण किया गया. हालांकि सभी नकारात्मक थे.

मणिपुर

मणिपुर में ब्रिटेन के ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के एक 23 वर्षीय संक्रमित छात्र के संपर्क में आने वाले 48 लोगों को नकारात्मक पाया गया. तबलीगी मरकज से वापस लौटे 29 लोगों का परीक्षण किया गया लेकिन वे भी संक्रमित नहीं थे.

मिजोरम

मिजोरम में एक 50 वर्षीय व्यक्ति के नीदरलैंड से लौटने के बाद संपर्क में आए 18 लोगों का परीक्षण किया गया, लेकिन वे सभी नकारात्मक पाए गए.

उत्तर पूर्व में कम मामलों का कारण

लक्ष्मण एस समेत पूर्वोतर के अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना ​​है कि मलेरिया का प्रभाव और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की अत्यधिक खपत के कारण पूर्वोत्तर के लोग कोविड-19 से अधिक संक्रमित है.

मणिपुर स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक के राजो के अनुसार राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अधिकांश डॉक्टर किसी भी बुखार के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा देते हैं. मुझे आश्चर्य हो रहा है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन ने हमारी रोग प्रतिरक्षातंत्र में सुधार किया है.

मिजोरम के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण निदेशक एच लालचुंगुंगा ने भी सहमति व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि यह दवा हमारी शारीरिक रोग प्रतिरक्षातंत्र को मजबूत किया है. मलेरिया प्रभावित क्षेत्र अन्य क्षेत्रों की तुलना में पूरी तरह से अलग है.

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक ने कहा कि अब तक हर राज्य में सार्स कोव 2 की प्रजनन संख्या का विश्लेषण नहीं किया गया है, यह राज्यों में काफी भिन्न हो सकता है. भौगोलिक, मौसम और जैविक तंत्र जैसे कई कारण वायरस को प्रभावित करते हैं. इसलिए यह संभव है कि वायरस हर जगह एक ही तरह व्यवहार से नहीं करे.

पीएचडी शोधार्थी आकाशदीप विश्वास इटली के पीसा विश्वविद्यालय के स्कुओला नॉर्मेल सुपरियोर में कोरोना वायरस पर शोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें कोई प्रत्यक्ष वैज्ञानिक डाटा नहीं मिला है जिसके अनुसार हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन सार्स कोव 2 उपचार में सहायक है.

उन्होंने कहा कि हालांकि दुनियाभर में शारीरिक प्रतिरक्षा क्षमत अलग होती है. यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत के कुछ हिस्सों (पूर्वोत्तर भारत) और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में कोविड-19 के मामले कम हैं.

  • उत्तर पूर्व भारत में राज्यवार कोरोना वायरस से संक्रमण का मामला :
राज्यसक्रिय मामलेसही हुए मौत
अरुणाचल प्रदेश100
असम3101
मणिपुर210
मिजोरम100
त्रिपुरा200

13.04.2020 तक मेघायल और नागालैंड में कोई मामला सामने नहीं आया है.

हैदराबाद : भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के बुलेटिन के अनुसार, 'उत्तर-पूर्व क्षेत्र की जनसंख्या भारतीय जनसंख्या का 3.7% है. हालांकि इस क्षेत्र में आठ से 12 प्रतिशत मलेरिया के मरीज, 10 से 20% मामले संक्रमण के और वहीं 13% से 41% मौतें मलेरिया के कारण होती हैं.

बहरहाल कोरोना संक्रमण के उत्तर-पूर्व में 37 मामले सक्रिय हैं. असम में 31, मणिपुर और त्रिपुरा में दो-दो और अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा में एक-एक मामला सामने आया है. वहीं मेघालय और नागालैंड अब तक वायरस से अछूता है.

31 कोरोना रोगियों के संपर्क में आने वाले लगभग 2,000 लोगों का कोविड-19 परीक्षण किया गया. हालांकि जांच में सभी सार्स कोव 2 नकारात्मक पाए गए.

असम

असम में कोरोना वायरस के 28 सकारात्मक मामले मिले हैं. सभी मामले दिल्ली के तबलीगी जमात से जुड़े हैं. राज्य के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक लक्ष्मणन एस के अनुसार 1,200-1,300 लोग जो 28 तबलीगियों के संपर्क में आए थे, उनका परीक्षण किया गया था, लेकिन वेह सभी नकारात्मक आए.

इसी प्रकार एक संक्रमित अमेरिकी पर्यटक के ब्रह्मपुत्र नदी पर सात दिन क्रूज पर बिताए फिर गुवाहाटी के एक लक्जरी होटल में और कजरिंगा अभयारण्य के बगल में जोरहाट के एक रिसॉर्ट में बिताया. इस कारण लगभग 500 लोगों का कोरोना वायरस का परीक्षण किया गया. हालांकि सभी नकारात्मक थे.

मणिपुर

मणिपुर में ब्रिटेन के ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के एक 23 वर्षीय संक्रमित छात्र के संपर्क में आने वाले 48 लोगों को नकारात्मक पाया गया. तबलीगी मरकज से वापस लौटे 29 लोगों का परीक्षण किया गया लेकिन वे भी संक्रमित नहीं थे.

मिजोरम

मिजोरम में एक 50 वर्षीय व्यक्ति के नीदरलैंड से लौटने के बाद संपर्क में आए 18 लोगों का परीक्षण किया गया, लेकिन वे सभी नकारात्मक पाए गए.

उत्तर पूर्व में कम मामलों का कारण

लक्ष्मण एस समेत पूर्वोतर के अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना ​​है कि मलेरिया का प्रभाव और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की अत्यधिक खपत के कारण पूर्वोत्तर के लोग कोविड-19 से अधिक संक्रमित है.

मणिपुर स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक के राजो के अनुसार राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अधिकांश डॉक्टर किसी भी बुखार के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा देते हैं. मुझे आश्चर्य हो रहा है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन ने हमारी रोग प्रतिरक्षातंत्र में सुधार किया है.

मिजोरम के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण निदेशक एच लालचुंगुंगा ने भी सहमति व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि यह दवा हमारी शारीरिक रोग प्रतिरक्षातंत्र को मजबूत किया है. मलेरिया प्रभावित क्षेत्र अन्य क्षेत्रों की तुलना में पूरी तरह से अलग है.

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक ने कहा कि अब तक हर राज्य में सार्स कोव 2 की प्रजनन संख्या का विश्लेषण नहीं किया गया है, यह राज्यों में काफी भिन्न हो सकता है. भौगोलिक, मौसम और जैविक तंत्र जैसे कई कारण वायरस को प्रभावित करते हैं. इसलिए यह संभव है कि वायरस हर जगह एक ही तरह व्यवहार से नहीं करे.

पीएचडी शोधार्थी आकाशदीप विश्वास इटली के पीसा विश्वविद्यालय के स्कुओला नॉर्मेल सुपरियोर में कोरोना वायरस पर शोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें कोई प्रत्यक्ष वैज्ञानिक डाटा नहीं मिला है जिसके अनुसार हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन सार्स कोव 2 उपचार में सहायक है.

उन्होंने कहा कि हालांकि दुनियाभर में शारीरिक प्रतिरक्षा क्षमत अलग होती है. यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत के कुछ हिस्सों (पूर्वोत्तर भारत) और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में कोविड-19 के मामले कम हैं.

  • उत्तर पूर्व भारत में राज्यवार कोरोना वायरस से संक्रमण का मामला :
राज्यसक्रिय मामलेसही हुए मौत
अरुणाचल प्रदेश100
असम3101
मणिपुर210
मिजोरम100
त्रिपुरा200

13.04.2020 तक मेघायल और नागालैंड में कोई मामला सामने नहीं आया है.

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