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महाराष्ट्र : लोनार झील का पानी हुआ गुलाबी, विशेषज्ञ हैरान

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Published : Jun 11, 2020, 1:00 PM IST

महाराष्ट्र की लोनार झील के पानी का रंग बदलकर गुलाबी हो गया है. विशेषज्ञ रंग बदलने की बजह लवणता और जलाशय में शैवाल की मौजूदगी को मान रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

lonar lake water color turns to pink
लोनार झील का पानी हुआ गुलाबी

औरंगाबाद : महाराष्ट्र की लोनार झील के पानी का रंग बदलकर गुलाबी हो गया है. विशेषज्ञ इसकी वजह लवणता तथा जलाशय में शैवाल की मौजूदगी को मान रहे हैं. लोनार झील मुंबई से 500 किमी दूर बुलढाणा जिले में है.

यह पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है. माना जाता है कि इस झील का निर्माण करीब 50 हजार साल पहले धरती से उल्कापिंड के टकराने से हुआ था. दुनियाभर के वैज्ञानिकों की भी इस झील में बहुत दिलचस्पी है. करीब 1.2 किमी के व्यास वाली झील के पानी की रंगत बदलने से स्थानीय लोगों के साथ-साथ प्रकृतिविद और वैज्ञानिक भी हैरान हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है, जब झील के पानी का रंग बदला है. लेकिन इस बार यह एकदम साफ नजर आ रहा है.

लोनार झील संरक्षण एवं विकास समिति के सदस्य गजानन खराट ने बताया कि यह झील अधिसूचित राष्ट्रीय भौगोलिक धरोहर स्मारक है. इसका पानी खारा है और इसका पीएच स्तर 10.5 है. उन्होंने कहा, 'जलाशय में शैवाल है. पानी के रंग बदलने की वजह लवणता और शैवाल हो सकते हैं.'

खराट ने बताया, 'पानी की सतह से एक मीटर नीचे ऑक्सीजन नहीं है. ईरान की एक झील का पानी भी लवणता के कारण लाल रंग का हो गया था.' उन्होंने बताया कि लोनार झील में जल का स्तर अभी कम है क्योंकि बारिश नहीं होने से इसमें ताजा पानी नहीं भरा है. जलस्तर कम होने के कारण खारापन बढ़ा होगा और शैवाल की प्रकृति भी बदली होगी.

पढ़ें- देखें वीडियो...

औरंगाबाद के डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग के प्रमुख डॉ. मदन सूर्यवंशी ने कहा कि 'जिस बड़े पैमाने पर पानी का रंग बदला है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि इसमें मानवीय दखल का मामला नहीं है.' उन्होंने कहा, 'पानी में मौसम के मुताबिक बदलाव आता है और लोनार झील में भी मामला यही हो सकता है. अगर हम एक हफ्ते में वहां जा सकते हैं तो बदलाव की जांच कर पाएंगे. तभी इसके बारे में कुछ और बता सकेंगे.'

औरंगाबाद : महाराष्ट्र की लोनार झील के पानी का रंग बदलकर गुलाबी हो गया है. विशेषज्ञ इसकी वजह लवणता तथा जलाशय में शैवाल की मौजूदगी को मान रहे हैं. लोनार झील मुंबई से 500 किमी दूर बुलढाणा जिले में है.

यह पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है. माना जाता है कि इस झील का निर्माण करीब 50 हजार साल पहले धरती से उल्कापिंड के टकराने से हुआ था. दुनियाभर के वैज्ञानिकों की भी इस झील में बहुत दिलचस्पी है. करीब 1.2 किमी के व्यास वाली झील के पानी की रंगत बदलने से स्थानीय लोगों के साथ-साथ प्रकृतिविद और वैज्ञानिक भी हैरान हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है, जब झील के पानी का रंग बदला है. लेकिन इस बार यह एकदम साफ नजर आ रहा है.

लोनार झील संरक्षण एवं विकास समिति के सदस्य गजानन खराट ने बताया कि यह झील अधिसूचित राष्ट्रीय भौगोलिक धरोहर स्मारक है. इसका पानी खारा है और इसका पीएच स्तर 10.5 है. उन्होंने कहा, 'जलाशय में शैवाल है. पानी के रंग बदलने की वजह लवणता और शैवाल हो सकते हैं.'

खराट ने बताया, 'पानी की सतह से एक मीटर नीचे ऑक्सीजन नहीं है. ईरान की एक झील का पानी भी लवणता के कारण लाल रंग का हो गया था.' उन्होंने बताया कि लोनार झील में जल का स्तर अभी कम है क्योंकि बारिश नहीं होने से इसमें ताजा पानी नहीं भरा है. जलस्तर कम होने के कारण खारापन बढ़ा होगा और शैवाल की प्रकृति भी बदली होगी.

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औरंगाबाद के डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग के प्रमुख डॉ. मदन सूर्यवंशी ने कहा कि 'जिस बड़े पैमाने पर पानी का रंग बदला है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि इसमें मानवीय दखल का मामला नहीं है.' उन्होंने कहा, 'पानी में मौसम के मुताबिक बदलाव आता है और लोनार झील में भी मामला यही हो सकता है. अगर हम एक हफ्ते में वहां जा सकते हैं तो बदलाव की जांच कर पाएंगे. तभी इसके बारे में कुछ और बता सकेंगे.'

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