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दूसरे दशरथ मांझी बने भुईयां : 30 साल में अकेले खोद डाली नहर

बिहार के गया में एक और दशरथ मांझी. 30 सालों में अकेले ही खोद डाली लंबी नहर. अब गांव वालों को खेती के लिए पानी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है. मिट्टी के घर में रहने वाले लौंगी भुईयां अत्यंत ही गरीब परिवार से आते हैं. लेकिन उनकी गरीबी उनके जज्बे को कम नहीं कर सका. आइए जानते हैं विस्तार से यह खबर.

बिहार के दूसरे दशरथ मांझीबिहार के दूसरे दशरथ मांझी
बिहार के दूसरे दशरथ मांझी
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Published : Sep 13, 2020, 2:33 PM IST

Updated : Sep 13, 2020, 7:19 PM IST

पटना : बिहार के गया जिले की पहचान माउंटेन मैन दशरथ मांझी से भी होती है, जिन्होंने 22 वर्षों की कड़ी मेहनत से पहाड़ को तोड़कर रास्ता बनाया था. इसी गया जिले से दोबारा एक लौंगी भुईयां नामक एक व्यक्ति की संघर्ष की कहानी सामने आई है. इमामगंज प्रखंड के रहने वाले लौंगी भुईयां ने 30 वर्षों की कड़ी मेहनत से 5 किलो मीटर लंबी नहर खोद दी. लौंगी के इस अथक प्रयास के बाद गांव की बंजर भूमि अब खेती के लायक हो जाएगी.

देखें लौंगी भुईयां के संघर्ष की कहानी.

गया जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर बांकेबाजार प्रखंड के लुटुआ पंचायत के जंगल में बसा कोठीलवा गांव के लौंगी भुईयां ने 30 सालों तक कड़ी मेहनत कर पहाड़ के पानी संचय कर गांव तक लाने की ठान ली. वह प्रतिदिन घर से जंगल में बकरी चराने जाते थे. उसी बीच वे नहर बनाने का काम भी करते थे.

मेहनत लाई रंग
सिंचाई के अभाव में ग्रामीण सिर्फ मक्का व चना की खेती करते थे. इन दो फसलों से ग्रामीणों का भरण-पोषण नहीं हो पाता था और रोजगार की तलाश में गांव के अधिकतर पुरुष दूसरे प्रदेशों में काम करने चले जाते थे. इसी बीच लौंगी भुईयां बकरी चराने जंगल गए और उसे ख्याल आया कि अगर गांव तक पानी आ जाए, तो लोगों का पलायन रुक जाएगा. खेतों में सभी फसलों का पैदावार होने लगेगा. इसके बाद वह पूरा जंगल घूम कर आए और वहां उन्होंने देखा कि बंगेठा पहाड़ से वर्षा का पानी पहाड़ पर रुक जाता था.

लौंगी भुईयां  का घर.
लौंगी भुईयां का घर.

उन्होंने पानी को अपने गांव तक लाने के लिए एक डीपीआर यानी नक्शा तैयार किया. उसी नक्शे के अनुसार दिन में जब भी समय मिलता, वह नहर बनाने में लग जाते. 30 साल बाद उनकी मेहनत रंग लाई और नहर पूरी तरह तैयार हो गई. बारिश के पानी को गांव में बने तालाब में स्टोर कर दिया गया, जहां से लोग सिंचाई के लिए पानी का उपयोग कर रहे हैं. अब गांव के तीन हजार से अधिक लोग लाभान्वित हो रहे हैं.

क्या कहते हैं लौंगी भुईयां
लौंगी भुईयां ने बताया कि उनके परिवार के लोग उनको काम करने से मना करते थे. गांव के लोग उन्हें पागल समझते थे, लेकिन जब आज नहर का काम पूरा हुआ और उसमें पानी आया, तो लोग प्रसंशा करने लगे. लौंगी ने बताया कि सरकार अगर हमें ट्रैक्टर देती, तो वह विभाग के बंजर पड़े जमीन को खेती लायक उपजाऊ बना सकते हैं.

कड़ी मेहनत से बनाई 5 किलो मीटर लंबी नहर.
कड़ी मेहनत से बनाई 5 किलो मीटर लंबी नहर.

ग्रामीणों ने बताया कि जब से होश संभाला है, तब से लौंगी भुईयां को जंगल में ज्यादा देखते थे कि वे कुदाल से नहर बना रहे हैं. आज उसी नहर से पानी तालाब तक पहुंचा है. इससे खेत उपजाऊ बनाया जा रहा है. यह क्षेत्र नक्सलियों का गढ़ रहा है. यहां पानी की काफी समस्या थी. सरकार को लौंगी भुईयां को पेंशन व आवास योजना का लाभ देना चाहिए, ताकि घर की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके.

पढ़ें- बिहार चुनाव : भाजपा दो करोड़ घरों से सुझाव लेकर बनाएगी संकल्प पत्र

इमामगंज प्रखण्ड के प्रखंड विकास अधिकारी जय किशन ने बताया कि जल संरक्षण व जल संचय करने को लेकर राज्य सरकार भी कार्य कर रही है. ऐसे में लौंगी भुईयां के जज्बे को सलाम है, जो खुद 30 साल में 5 फिट चौड़ा और 3 फिट गहरा नहर का निर्माण कर बारिश के जल को संचय कर सिंचाई के लिए उपयुक्त बनाया है.

परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं
कोठीलवा गांव निवासी लौंगी भुईयां अपने बेटे, बहू और पत्नी के साथ मिट्टी के घर में रहता है. लौंगी का कहना है कि सरकार कच्ची नहर को पक्की कर दे. लौंगी ने 30 साल की कड़ी मेहनत के बाद जलधारा तो मोड़ दिया पर नेता लौंगी के गांव की तरफ नहीं मुड़े.

पटना : बिहार के गया जिले की पहचान माउंटेन मैन दशरथ मांझी से भी होती है, जिन्होंने 22 वर्षों की कड़ी मेहनत से पहाड़ को तोड़कर रास्ता बनाया था. इसी गया जिले से दोबारा एक लौंगी भुईयां नामक एक व्यक्ति की संघर्ष की कहानी सामने आई है. इमामगंज प्रखंड के रहने वाले लौंगी भुईयां ने 30 वर्षों की कड़ी मेहनत से 5 किलो मीटर लंबी नहर खोद दी. लौंगी के इस अथक प्रयास के बाद गांव की बंजर भूमि अब खेती के लायक हो जाएगी.

देखें लौंगी भुईयां के संघर्ष की कहानी.

गया जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर बांकेबाजार प्रखंड के लुटुआ पंचायत के जंगल में बसा कोठीलवा गांव के लौंगी भुईयां ने 30 सालों तक कड़ी मेहनत कर पहाड़ के पानी संचय कर गांव तक लाने की ठान ली. वह प्रतिदिन घर से जंगल में बकरी चराने जाते थे. उसी बीच वे नहर बनाने का काम भी करते थे.

मेहनत लाई रंग
सिंचाई के अभाव में ग्रामीण सिर्फ मक्का व चना की खेती करते थे. इन दो फसलों से ग्रामीणों का भरण-पोषण नहीं हो पाता था और रोजगार की तलाश में गांव के अधिकतर पुरुष दूसरे प्रदेशों में काम करने चले जाते थे. इसी बीच लौंगी भुईयां बकरी चराने जंगल गए और उसे ख्याल आया कि अगर गांव तक पानी आ जाए, तो लोगों का पलायन रुक जाएगा. खेतों में सभी फसलों का पैदावार होने लगेगा. इसके बाद वह पूरा जंगल घूम कर आए और वहां उन्होंने देखा कि बंगेठा पहाड़ से वर्षा का पानी पहाड़ पर रुक जाता था.

लौंगी भुईयां  का घर.
लौंगी भुईयां का घर.

उन्होंने पानी को अपने गांव तक लाने के लिए एक डीपीआर यानी नक्शा तैयार किया. उसी नक्शे के अनुसार दिन में जब भी समय मिलता, वह नहर बनाने में लग जाते. 30 साल बाद उनकी मेहनत रंग लाई और नहर पूरी तरह तैयार हो गई. बारिश के पानी को गांव में बने तालाब में स्टोर कर दिया गया, जहां से लोग सिंचाई के लिए पानी का उपयोग कर रहे हैं. अब गांव के तीन हजार से अधिक लोग लाभान्वित हो रहे हैं.

क्या कहते हैं लौंगी भुईयां
लौंगी भुईयां ने बताया कि उनके परिवार के लोग उनको काम करने से मना करते थे. गांव के लोग उन्हें पागल समझते थे, लेकिन जब आज नहर का काम पूरा हुआ और उसमें पानी आया, तो लोग प्रसंशा करने लगे. लौंगी ने बताया कि सरकार अगर हमें ट्रैक्टर देती, तो वह विभाग के बंजर पड़े जमीन को खेती लायक उपजाऊ बना सकते हैं.

कड़ी मेहनत से बनाई 5 किलो मीटर लंबी नहर.
कड़ी मेहनत से बनाई 5 किलो मीटर लंबी नहर.

ग्रामीणों ने बताया कि जब से होश संभाला है, तब से लौंगी भुईयां को जंगल में ज्यादा देखते थे कि वे कुदाल से नहर बना रहे हैं. आज उसी नहर से पानी तालाब तक पहुंचा है. इससे खेत उपजाऊ बनाया जा रहा है. यह क्षेत्र नक्सलियों का गढ़ रहा है. यहां पानी की काफी समस्या थी. सरकार को लौंगी भुईयां को पेंशन व आवास योजना का लाभ देना चाहिए, ताकि घर की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके.

पढ़ें- बिहार चुनाव : भाजपा दो करोड़ घरों से सुझाव लेकर बनाएगी संकल्प पत्र

इमामगंज प्रखण्ड के प्रखंड विकास अधिकारी जय किशन ने बताया कि जल संरक्षण व जल संचय करने को लेकर राज्य सरकार भी कार्य कर रही है. ऐसे में लौंगी भुईयां के जज्बे को सलाम है, जो खुद 30 साल में 5 फिट चौड़ा और 3 फिट गहरा नहर का निर्माण कर बारिश के जल को संचय कर सिंचाई के लिए उपयुक्त बनाया है.

परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं
कोठीलवा गांव निवासी लौंगी भुईयां अपने बेटे, बहू और पत्नी के साथ मिट्टी के घर में रहता है. लौंगी का कहना है कि सरकार कच्ची नहर को पक्की कर दे. लौंगी ने 30 साल की कड़ी मेहनत के बाद जलधारा तो मोड़ दिया पर नेता लौंगी के गांव की तरफ नहीं मुड़े.

Last Updated : Sep 13, 2020, 7:19 PM IST
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